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शाही स्नान करने उमड़ी नागा, साधु-संतों की भीड़

० अस्त्र-शस्त्रों से लैस नागा बाबाओं, साधु-संतों का शौर्य प्रदर्शन

राजिम। राजिम कुंभ कल्प मेला 2024 के अंतिम दिवस महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर नागा बाबाओं, साधु-संतों, विभिन्न अखाड़ों ने शाही स्नान के लिए ऐतिहासिक शोभायात्रा संत समागम स्थल परिसर से सुबह 8 बजे निकली। इस शोभा यात्रा में समस्त नागा, साधु-संतों के साथ अभनपुर विधायक इंद्र कुमार साहू, संस्कृति विभाग के उप संचालक प्रताप पारख, मेला आयोजन समिति के गिरीश बिस्सा के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधि व विभिन्न विभागों के अधिकारी भी शामिल हुए। शोभायात्रा में सुसज्जित पालकियों शाही बग्गी, घोड़ों में विभिन्न साधु-संत सवार थे।

शोभायात्रा संत समागम से शुभारंभ होकर श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पीछे मार्ग से नेहरू बाल उद्यान होते हुए, राजिम पुल, पं. सुंदरलाल शर्मा चौक, गौरवपथ राजिम, व्हीआईपी मार्ग होते हुए मेला में बने शाही कुंड में पहुंचे। शोभायात्रा का स्वागत दोनों शहर नवापारा और राजिम में विभिन्न चौक चौराहों में फूलमालाओं बरसा कर किया गया। शोभायात्रा में विभिन्न चौक में अनेकों अस्त्र-शस्त्रों से लैस नागा बाबाओं, साधु-संतों का शौर्य प्रदर्शन करते हुए अखाड़े चलाते रहे। नागा साधुओं के तलवार और फरसा भांजते खुशी से नाचते देखकर मेले में आए अंचल वासी रोमांचित हो उठे। धीरे-धीरे आगे बढ़ता शोभायात्रा शाही कुंड के पास पहुंचा, जहां शस्त्र पूजन पश्चात सर्वप्रथम नागा बाबाओं ने कुंड में छलांग लगाई और शाही स्नान की प्रक्रिया पूरा की।

नागा बाबाओं के साथ अभनपुर विधायक इंद्र कुमार साहू भी कुंड में डुबकी लगाने के लिए उतर गए। शाही स्नान करने विभिन्न अखाड़ों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल हुए। इस विहंगम दृष्य को देखने पूरे मेला क्षेत्र के अलावा कुंड के पास बड़ी संख्या श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थी की भीड़ उमड़ी हुई थी। शाही यात्रा की भव्यता का आनंद लेने, फ्रांस, इटली के अलावा अन्य देशों से पहुंचे विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस की चाकचौबंध व्यवस्था थी। इस शाही यात्रा में सबसे पहले श्री पंच दशनामी सन्याशी अखाड़ा के नागा साधु, अखिल भारतीय पंच रामानंदी वैष्णव अखाड़ा के तीनों अनी श्रीपंच निर्मोही अनि अखाड़ा, श्रीपंच निर्मोही दिगम्बर अखाड़ा, श्रीपंच निर्मोही निर्वाण, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के अलावा करीब पंथ, सतनाम पंथ के संतों ने भाग लिया।

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