नई दिल्ली। चीफ ऑफ जनरल स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने रविवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की है। यह बैठक 22 अप्रैल को हुए घातक हमले के जवाब में बुलाई गई थी, जिसमें 26 लोगों की आतंकियों ने हत्या कर दी थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक सहित ज़्यादातर पर्यटक शामिल थे।
पुलवामा के बाद पहलगाम सबसे घातक आतंकी हमला
यह घटना जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन शहर पहलगाम के पास बैसरन मैदान में दोपहर करीब 2 बजे हुई। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद से इस क्षेत्र में सबसे घातक हमलों में से एक था। बता दें, पुलवामा में 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान शहीद हो गए थे।
पहलगाम हमले के बाद 23 अप्रैल से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीमों ने सबूतों की तलाश तेज कर दी है। आतंकवाद निरोधी एजेंसी के एक आईजी, डीआईजी और एसपी के नेतृत्व में टीमें 22 अप्रैल के हमले को देखने वाले चश्मदीदों से पूछताछ कर रही हैं।
हाई अलर्ट पर भारतीय सेना
इसके अलावा, भारतीय सेना हाई अलर्ट पर है और पहलगाम में हुए हमले के बाद आतंकवादियों को बेअसर करने के लिए कई तलाशी अभियान चला रही है। इस घटना से पूरे देश में आक्रोश फैला है और पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की 23 अप्रैल को बैठक हुई और उसे पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सीसीएस ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
सीसीएस की बैठक में क्या-क्या हुआ था
सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को उजागर किया गया। यह ध्यान दिया गया कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश में सफलतापूर्वक चुनाव आयोजित होने और आर्थिक वृद्धि और विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ।
सुरक्षा उपाय के तौर पर भारत ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाने का फैसला किया है। संबंधित उच्चायोगों में इन पदों को निरस्त माना जाता है। दोनों उच्चायोगों से सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारियों को भी वापस बुलाया जाएगा।