रायपुर। छ.ग. के मुखिया आदरणीय भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति तीज त्यौहार और छत्तीसगढ़िया खेलकूद जो धीरे-धीरे विलोप हो रहा था उसे नये जमाने के अनुसार उसे उभारने का प्रयास किया छ.ग. के लोगों में अपने संस्कृति परम्परा के प्रति लगाव एवं जोश उमंग की भावना भरी और उसे न केवल राष्ट्रीय स्तर अंतराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का प्रयास किया एवं जनज न के मन में माननीय भूपेश बघेल के प्रति आदर एवं श्रद्धा की भावना जागी एवं भूपेश है तो भरोसा का नारा दिया क्योकि 15 साल की बीजेपी सरकार छ.ग. संस्कृति की न तो संरक्षण किया और न संवर्धन किया बल्कि व्यंगात्मक भाषा का प्रयोग किया। आज 01 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर सभी प्रदेश के किसानों मजदूर एवं आम जनमानस को गाढ़ा-गाढ़ा बधाई।
इस अवसर पर मैं किसान-मजदूर के स्वास्थ्य के राज के बारे मेगं कहना चाहती हॅू। कि हम सब छत्तीसगढ़वासी के स्वास्थ्य का राज है बासी का सेवन चाहे खेतीहार मजदूर हो चाहे खदान में काम करने वाले हमारे मजूदर किसान साथी हो चाहे महिला युवा बच्चे छत्तीसगढ़ में बासी खाने की परम्परा आदिकाल से चली आ रही है। बासी को स्वादिष्ट बनाने के लिए नमक, अचार, भाजी की सब्जी एवं प्याज दही के साथ खाते है। इससे विटामिन सोडियम पोटेशियम एवं पचाने वाले एन्जाइम पाये जाते है। इसको खाने से पेट भारी नही लगता सुबह के नास्ते में बासी को मिलाकर खपूर्री रोटी, पान रोटी बनाया जाता है। इसको खाने से सभी शारीरिक श्रम करने वाले अपने पूर्री एनर्जी के साथ दिनभर काम करते है। पेट को ठंडक मिलती है प्यास भी कम लगता है। बच्चे पहले बासी खाकर जाते थे तो कोई कुपोषण भी नही दिखता था। अतः प्रदेश वासियों (अधिकारी, कर्मचारी किसान मजदूर युवा बच्चे महिलायें) को अपील करती हॅू कि आपकी परम्परागत खान पान को बनाये रखे और शारीरिक लाभ ले।