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पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू की लिखित पुस्तक कोसल के क्रांतिवीर का रमन सिंह ने किया विमोचन

० कोसल व छत्तीसगढ़ के वीर क्रांतिकारियों की रोमांचकारी गाथाओं का विवरण
दिलीप गुप्ता
सरायपाली। रायपुर में विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय के सभागृह में आयोजित एक कार्यक्रम में महासमुन्द लोकसभा के पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू द्वारा कोसल व छत्तीसगढ़ प्रदेश के वीर क्रांतिकारियों के अज्ञात गाथाओं पर लिखित पुस्तक “कोसल के क्रांतिवीर” के विमोचन कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किया गया ।
अपने उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने शुरुवात हंसी मजाक के लहजे में करते हुवे ज़ह की चुन्नीलाल साहू एक अच्छे सांसद थे और अब एक अच्छे इतिहासकार व लेखक भी हो गए हैं । इस पुस्तक में दिए गए तथ्यों व प्रमाणित जानकारी जे लिए इन्होंने काफी घुमा है व रिसर्च किया है कि अब मुझे लगता है कि वे अब भविष्य में डॉ. चुन्नीलाल साहू भी हो सकते हैं ।क्योंकि इनके रिसर्च से किसी भी यूनिवर्सिटी से इन्हें पीएचडी मिल सकती है ।



मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पश्चिम ओड़िसा पूर्व में छत्तीसगढ़ का ही हिस्सा रह चुका है । पश्चिम ओड़िसा व पूर्वी छत्तीसगढ़ के क्रांतिकारियों का परिवार रिश्ते में व संघर्ष में भी एक दूसरे से जुड़ा हुआ है । स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई की शुरुवात वीर नारायण सिंह , सुरेंद्र साय , माधो सिंह , मंगल पांडे व अन्य बहुत वीरों के संघर्ष व बलिदानों से ही हुई है । इस तथ्यात्मक व प्रमाणित जानकारी के साथ पुस्तक प्रकाशन ओर उन्होंने चुन्नीलाल साहू के प्रयासों पर बधाई दी।

अपनी पुस्तक के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुवे लेखक व पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने बताया कि इस पुस्तक को लिपिबद्ध करने की प्रेरणा मुझे कोसल व छत्तीसगढ़ के वीर योद्धाओं के रोमांचकारी गाथाओं से आम जनता को अवगत कराते हुवे पूर्व में अंग्रेजो के अत्याचार , प्रताड़ना , हड़प नीति , स्थानीय गद्दारों के साथ साथ देशभक्तों ,स्वाधिनता व स्वाभिमान के प्रेमियों के बलिदानों के रोचक व छुपाये गये रोमांचक बलिदानों की जानकारी देना है । 1857 में जिन योद्धाओं व परिवारों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी आहुतियां दी थी उसमे सोनाखान के वीर नारायण सिंह , पिता राम राय , पुत्र गोविंद सिंह ,संबलपुर के क्रांतिवीर सुरेंद्र साय , घेंस के जमीदार माधो सिंह बरिहा , सरगुजा के अजित सिंह , बस्तर के गैंद सिंह , राजा खरियार के लाल सिंह मांझी , रायपुर सैन्य क्रांति के जनक हनुमान सिंह ,बस्तर से उठे भूमकाल के नायक गुण्डा धर के पराक्रम व साहस इतिहास के पन्नो में स्वर्णाक्षरो में लिखा गया है ।

 

इस पुस्तक में उद्घृत किये गये लेखों की जानकारी मुझे डॉ. लक्ष्मीशंकर निगम ( सीनियर प्रोफेसर रविशंकर विश्वविद्यालय व संस्थापक कुलपति श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई , इतिहासकार स्व. हरिसिंह ठाकुर के पुत्र आशीष सिंह , घेंस (ओडिसा )के शिक्षक व जानकर अशोक पुजारी व लोकेश्वर सिंह बरिहा ( वीर माधो सिंह वंशज के 6वे पीढ़ी के सदस्य ) आदि से तथ्यात्मक जानकारी व सहयोग प्राप्त हुआ । यह पुस्तक निश्चित रूप से आप सभी को हमारे वीर पुरुषों व योद्धाओ के रणकौशल व बलिदान की याद ताजा करेगी ।
इस अवसर पर महासमुन्द सांसद श्रीमती रूपकुमारी चौधरी ने लेखक व पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू के इस प्रयास की सराहना करते हुवे कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने सभी बिंदुओं को रखा है व इतिहास में अज्ञात बलिदानों व रणकौशल की जानकारी दी गई है । हमारे लिए वीर नारायण सिंह , वीर सुरेंद्र साय , के साथ ही 1905 तक ओडिशा का पश्चिम क्षेत्र संबलपुर से वह छत्तीसगढ़ का ही हिस्सा था के सभी वीर योद्धाओं पर हमें गर्व है ।ये सभी हमारे प्रेरणास्रोत व गौरव के साथ साथ धरोहर व पूंजी है । लेखक व पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने पूरे परिश्रम के साथ ऐतिहासिक व प्रमाणित तथ्यों के साथ पुस्तक में जानकारी दी है ।
कार्यक्रम को लक्ष्मी शंकर निगम , महासमुन्द विधायक योगेश्वर राज राजू ने भी संबोधित किया ।
कार्यक्रम में मुख्यातिथी डॉ रमन सिंह , रूपकुमारी चौधरी , डॉ लक्ष्मी शंकर निगम , योगेश्वर राज राजू , लोकेंद्र सिंह बरिहा व अशोक पूजाहिरा का स्वागत किये जाने के पश्चात स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया ।

10 मई को ही विमोचन का कारण
लेखक व पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने बताया कि इस पुस्तक का विमोचन 10 मई को किये जाने के पीछे का कारण बताते हुवे कहा कि 10 मई 1857 को मेरठ में चर्बीयुक्त कारतूस के मुद्दे पर हिन्दू व मुस्लिम सिपाहियों ने विद्रोह कर क्रांति का बिगुल फुक दिया था जिसे प्रथम स्वाधीनता संग्राम कहा जाता है । तत्कालीन साधु , संतो ने कमल व रोटी के माध्यम से क्रांति का संदेश फैला व इस अभियान में राजा व जमीदारों ने भी भाग लिया था ।
10 मई को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम दिवस जे उपलक्ष्य में 10 मई को विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के हांथो इस पुस्तक के विमोचन का निर्णय लिया गया ।

सिंघोड़ा व निशा घाटी में हुवा था ऐतिहासिक युद्ध
इस ऐतिहासिक घटना का संबंध सरायपाली से भी जुड़ा हुआ है । अंग्रेजो के साथ घेंस के राजा वीर माधो सिंह बरिहा के साथ सरायपाली से जुड़े ग्राम सिंघोड़ा के पास स्थित सिंघोड़ा घाटी व निशाघाटी का भो नाम जुड़ गया है । कालांतर में यहां अंग्रेजो के साथ वीर माधोसिंह के साथ युद्ध हुआ था ।
पत्रिका विमोचन के दौरान लेखक चुन्नीलाल साहू ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह को विस्तृत जानकारी देते हुवे वीर माधोसिंह की स्मृति को चिरस्थाई बनाये रखने हेतु सिंघोड़ा व निशाघाटी में वीर माधोसिंह की एक मूर्ति स्थापना के साथ ही इसे ऐतिहासिक स्थल के रूप में विकसित किये जाने की भी मांग की गई । इस पर डॉ रमन सिंह ने आश्वाशन दिया है ।

इस अवसर पर लोकेंद्र सिंह बरीहा(वीर नारायन सिंह के ससुर के वंशज घेंस बरगढ़) ,शीशपाल सोरी( रिटायर्ड आई ए एस) , भारत सिंह (रिटायर आई पी एस) , यसवेंद्र सिंह ( राजमहल छुरा ) , शिव नेताम ( जिला कोषाध्यक्ष आदिवासी समाज, धमतरी , बेदराम बरिहा ( प्रांताध्यक्ष बिंझवार समाज ) , कल्याण सिंह बरीहा ( रिटायर सेल्टेक्स कमिश्नर) , एन पी नैरोजी- प्रांताध्यक्ष सांवरा समाज) , शंपा चौबे (इतिहासकार) रामेंद्र मिश्रा ( इतिहास कार) , चंद्रशेखर साहू ( पूर्व सांसद ) ,दिलीप गुप्ता ( वरिष्ठ पत्रकार , सरायपाली ) व लालिमा ठाकुर ( जिला पंचायत उपाध्यक्ष गरियाबंद ) के साथ ही भारी संख्या में लोग उपस्थित थे ।

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