नेशनल न्यूज़। कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के साथ वापसी करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दक्षिण भारत में उसके एकमात्र गढ़ से सत्ता से बाहर कर दिया है। भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर कांग्रेस ने शनिवार को स्पष्ट बहुमत के आंकड़े से अधिक सीटें हासिल की हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत न सिर्फ उसके सियासी रसूख को बढ़ाने वाली है, बल्कि 2024 के लोकसभा के चुनाव में उसकी उम्मीदों तथा विपक्षी एकजुटता की पूरी कवायद में उसकी हैसियत को और ताकत देने वाली साबित हो सकती है। माना जा रहा है कि उसकी इस जीत से इस साल के आखिर में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावना को बल मिल सकता है।
कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव को स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रखा। उसने बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध का वादा किया तो जनता के समक्ष पांच ‘गारंटी’ भी दी। उसने अपनी इस रणनीति से कर्नाटक में भाजपा की कल्याणकारी योजनाओं और हिंदुत्व की राजनीति की धार को कुंद कर दिया। निर्वाचन आयोग की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत का 113 सीट का जादुई आंकड़ा पार करते हुए अब तक 135 सीट जीत ली हैं, जबकि एक पर बढ़त बनाए हुए है।
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सिद्धारमैया और शिवकुमार
जन नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार की अगुवाई में एक आक्रामक एवं ‘गरीब-कल्याण’ अभियान के बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की निर्णायक जीत ने कर्नाटक में 38 साल पुराने सत्ता-विरोधी लहर के दस्तूर को बरकरार रखा है। वर्ष 1985 के बाद से राज्य की सत्ता में किसी सत्तारूढ़ दल ने लगातार वापसी नहीं की है। सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जा रहा है। कांग्रेस ने कर्नाटक में 10 साल बाद अपने बल पर सत्ता में वापसी की है। सिद्धरमैया 2013 से 2018 तक राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश के बाद भाजपा के लिए यह दूसरी हार
कर्नाटक के कांग्रेस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला के मुताबिक, कांग्रेस विधायक दल की पहली बैठक रविवार को शाम करीब साढ़े पांच बजे होगी। कर्नाटक में कांग्रेस को 42.88 फीसदी मत मिले हैं, जबकि पार्टी को 2018 में करीब 38 फीसदी मत मिले थे। राज्य के छह क्षेत्रों में से, कांग्रेस ने पुराने मैसूरु, मुंबई कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक और मध्य कर्नाटक क्षेत्रों में जीत दर्ज की। वहीं, भाजपा केवल तटीय कर्नाटक में अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रही, जबकि बेंगलुरु में दोनों दलों का मिलाजुला प्रदर्शन रहा। भाजपा का मत प्रतिशत 36.2 फीसदी से मामूली रूप से घटकर 36 फीसदी रह गया, लेकिन इसकी सीट 2018 में 104 के मुकाबले घटकर 65 रह गई है। पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के लिए यह दूसरी हार है।