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सोशल मीडिया में #भाजपा_का_शराब_घोटाला नंबर वन पर ट्रेंड कर रहा ,7000 से ज्यादा ट्वीट हुए

रायपुर। ट्विटर पर देश भर में ट्रेंड कर हैशटैग #भाजपा_का_शराब_घोटाला नंबर वन पर ट्रेंड कर रहा है. सोशल मीडिया पर कांग्रेस की आक्रामक रणनीति का असर है कि अब तक इस हैशटैग पर 7000 से अधिक ट्वीट हो चुके हैं. कांग्रेस की ओर से भाजपा के शराब घोटाले के खुलासे के बाद से सोशल मीडिया पर मुद्दा गरम है. बता दें कि कांग्रेस ने आज प्रदेश में रमन राज के दौरान शराब घोटाले को लेकर प्रेस वार्ता की. प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सरकार ने 4400 करोड़ का शराब घोटाला किया था. ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने नियम में बदलाव किए गए.

3 साल की CAG की रिपोर्ट में भी कई बातें सामने आई थी. शराब लाइसेंस की शर्तों को भी बदला गया. समुद्र राम सिंह को रमन सरकार ने नियमों के खिलाफ जाकर उसे लंबे समय तक नियुक्ति पर रखा, जिसके बाद EOW ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इसके साथ ही ED तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, पूर्व आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल और गणेशंकर मिश्रा के खिलाफ भी 4400 करोड़ के घोटाले की जांच की जाए.
शुक्ला ने आरोप लगाया कि डॉ. रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच सरकार ने शराब ठेकेदारों से मिली भगत कर लगभग 4400 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया. रमन सरकार ने भी अपने कार्यकाल में दशकों से चली आ रही आबकारी नीति को परिवर्तित कर दिया था, वैसे ही जैसे दिल्ली की आप सरकार ने किया है. दिल्ली की सरकार ने आबकारी नीति में परिवर्तन किया तो भाजपा ने आरोप लगाया कि घोटाला करने के उद्देश्य से शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिए यह नीति परिवर्तित की गई. वहां के उप मुख्यमंत्री को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है, वे जेल में हैं. ऐसे ही नीति परिवर्तन के लिए रमन सिंह की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ भी जांच की जानी चाहिए.

प्रदेश के आबकारी विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्चस्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने एवं करोड़ों के कमीशनखोरी किये जाने के उद्देश्य से बिना मापदण्डों का पालन किये उनके उत्पाद को IMFL (इंडियन मेड फॅरिन लिकर) की कैटेगरी में शामिल करते हुऐ शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया. इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की केटेगरी में रखी गई शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचने का कार्य करते हुए कई सौ करोड़ रूपयों की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है.

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