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Mahesh Navami 2025 : भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित महेश नवमी का व्रत कब है, जानें इस व्रत का महत्‍व और उपाय

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महेश नवमी भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक पावन पर्व है। महेश नवमी इस बार 4 जून को है। यह दिन विशेष रूप से भगवान महेश यानी कि शिवजी की कृपा प्राप्त करने, जीवन के संकटों को दूर करने और पारिवारिक सुख-शांति हेतु मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से सैनी समाज द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन उनके पूर्वजों ने क्षत्रिय धर्म को स्वीकार कर धर्म की रक्षा का संकल्प लिया था। यह पर्व मुख्य रूप से सैनी समाज द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने 72 क्षत्रियों को शाप से मुक्त किया था। इसलिए उनका वंश माहेश्वरी कहलाया। इस दिन पूजा करने से इच्छाएं पूरी होती हैं। साथ ही, पूर्व जन्म के पापों से भी मुक्ति मिलती है। आइए आपको बताते हैं महेश नवमी की तिथि, पूजा का मुहूर्त और इस दिन करने के लिए शिवजी की पूजा के कुछ खास उपाय।



महेश नवमी एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, पूजन करते हैं और शिव-पार्वती की कृपा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं। यह त्योहार महेश्वरी समाज की उत्पत्ति से जुड़ा है। मान्यता है कि भगवान महेश और माता पार्वती ने 72 क्षत्रियों को शाप से मुक्त किया था। उन्होंने कहा था, आज से तुम्हारे वंश पर हमारी छाप रहेगी और तुम माहेश्वरी कहलाओगे। इसलिए, यह त्योहार महेश्वरी समाज के लिए बहुत खास है। इस साल महेश नवमी 4 जून को है। इस दिन जो भक्त शिव-पार्वती का पूजन करके व्रत करते हैं, उन्हें जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। महेश नवमी के दिन व्रत रखने और शिव-पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम, सौहार्द और स्थिरता आती है। साथ ही मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए जानते महेश नवमी की पूजाविधि और उससे जुड़े कुछ खास उपाय।

महेश नवमी की पूजाविधि
महेश नवमी की पूजाविधि में प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र को स्थापित कर उन्हें जल, दूध, पंचामृत, चंदन, फूल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, और अक्षत से पूजन किया जाता है। माता पार्वती को सिंदूर, चूड़ी, श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है। व्रती ॐ नमः शिवाय या ॐ महेश्वराय नमः” मंत्र का जप करते हुए पूजा करते हैं। पूजन के बाद महेश नवमी व्रत कथा का श्रवण किया जाता है, फिर आरती कर प्रसाद वितरित किया जाता है। अंत में ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान देने से व्रत पूर्ण होता है।

महेश नवमी के उपाय
० भगवान शिव को कच्चे चावल चढ़ाने से धन लाभ होता है।
० भगवान शिव को बेला के फूल चढ़ाने से सुंदर पत्नी मिलती है।
० शिवलिंग का अभिषेक गाय के घी से करने से कमजोरी दूर होती है।
० महादेव की पूजा हरसिंगार के फूलों से करें तो सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है ।
० कनेर के फूलों से भगवान शिव की पूजा करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
० महादेव को जूही के फूल चढ़ाने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
० धतूरे के फूल से पूजा करने पर महादेव सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं।
० भगवान शिव को गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।
० शिवजी की पूजा चमेली के फूल से करने पर वाहन सुख मिलता है।
० शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी सुख मिलते हैं।

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