रायपुर। महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय गांधी चौक एवं विवेकानंद महाविद्यालय रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में चल रही 6 दिवसीय कार्यशाला के दूसरा दिन काफी उपयोगी और महत्वपूर्ण रहा। आज के सत्र में दक्षिण दीनाजपुर ,पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति देवव्रत मित्रा विशेषज्ञ के रूप में जुड़े और विषय पर विस्तार से अपनी बातचीत रखी। वहीं आयोजन में महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी एवं विवेकानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर मनोज मिश्रा की विशेष उपस्थिति दर्ज की गई. आयोजन में बौद्धिक संपदा अधिकार एवं शोध पर बातचीत को रखते हुए कुलपति डॉ देवव्रत मित्रा ने कहा की आईपीआर शोध के क्षेत्र में फ्लैग रीजीम को महत्व प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और चैट जीपीटी के द्वारा कॉपीराइट के बढ़ रहे मामलों पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
उन्होंने बताया कि किसी भी क्षेत्र में ओरिजिनल को बनाए रखने के लिए आईपीआर मिल का पत्थर साबित होगा। कुलपति डॉ मित्रा ने कहा कि आईपीआर को वृहद स्तर पर देखने की आवश्यकता है खासतौर पर नई खोज कलात्मक कृतियां के लिए यह उपयोगी साबित हो रहा है उनका कहना था कि ट्रेडमार्क ट्रेड सीक्रेट, जी आई के महत्वपूर्ण निर्देशों को सुरक्षा प्रदान करने में भी आईपीआर की मौजूदगी रही है उन्होंने बासमती राइस के पेटेंट से जुड़े मामले का उदाहरण पेश करते हुए यह बताया कि यह एक्ट मौलिक कृति को प्रोटेक्शन प्रदान करता है इनोवेशन को बढ़ावा देता है.
आर्थिक और सामाजिक समृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अब इसकी शैक्षणिक स्तर पर भी उपयोगिता बढ़ गई है क्योंकि लगातार शोध अध्ययन के कार्य पूरे देश में किया जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा की प्राइवेट और सार्वजनिक क्षेत्र के संयुक्त गठबंधन से आईपीआर के कामों को नई दिशा मिली है सस्टेनेबल डेवलपमेंट में भी बौद्धिक संपदा अधिकार को देखा जा रहा है आईपीआरके माध्यम से शोधार्थियों में गुणवत्ता एक्टिविटी बढ़ेगी ओरिजिनल काम सामने आ सकेंगे। सामाजिक क्षेत्र में नए कार्यो को महत्व मिल पाएगा और शोध करने वाले छात्र-छात्राओं को मोटिवेशन भी मिलेगा विशेष पर डॉक्टरेट करने वाले शोधार्थियों को एक मोरल गाइड के रूप में भूमिका देखी जा सकती है एक क्रिएटर का ओरिजिनल पेटेंट कराया जा सके इस दिशा में भी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के शोध संस्थानों को ध्यान देना चाहिए आईपीआर से न केवल प्रोटेक्शन मिलेगा बल्कि सुरक्षा के साथ बढ़ावा भी मिल पाएगा।
उन्होंने कार्यशाला में शामिल प्रोफेसर्स के प्रश्नों के जवाब भी दिए और बताया कि भारतीय प्रतिलिप्या अधिकार अधिनियम 1957 और बौद्धिक संपदा अधिकार मैं विशेष अंतर नहीं है। लेकिन कॉपीराइट के कुछ अवगुण को दूर करने के लिए आईपीआर को नए स्वरूप में सामने लाया गया है ताकि मौलिक कृति के कार्यों को उसके वास्तविक हकदार के रूप में सापेक्षता मिल सके आयोजन में महंत कॉलेज के प्राचार्य ने संक्षिप्त में भूमिका रखी तत्पश्चात कॉमर्स संकाय के अध्यक्ष डॉ शांतनु पाल ने कुलपति मित्र के परिचय को विस्तार से प्रस्तुत किया। वहीं संचालन का कार्यक्रम डॉक्टर प्रोफेसर श्रुति तिवारी ने किया और आभार प्रदर्शन डॉक्टर प्रोफेसर मेघा सिंह ने दिया।