० संगठन की गलत फहमी पर अब संगठन पर उठने लगे सवाल
० पूर्णानद मिश्रा का इस्तीफा अभी स्वीकार नही किया गया है
दिलीप गुप्ता
सरायपाली। बसना बीआरसीसी के पूर्णानद मिश्र को 10 विभिन्न आरोपों के साथ ब्लाक के 33 संकुल समन्यवको द्वारा एक राय होकर बाकायदा कलेक्टर , डीईओ व डीएमसी को लिखित में शिकायत की गई थी कि यदि पूर्णानद मिश्र को पद से नही हटाया गया तो सभी अंकुल समन्वयक अपने पदों से सामूहिक इस्तीफा दे देंगे । इतना बड़ा निर्णय बगैर विस्तृत मन्त्रणा व सहमति के संभव नही है । बैठक में उपस्थित सभी का यह सामूहिक निर्णय था इसका प्रमाण बाकायदा प्रिंट किये नामो के आगे सभी संकुल समन्वयकों द्वारा किये गए हस्ताक्षरों से होती है । इतना ही नही इसके बाद भी स्टाम्प पेपर में भी दोबारा हस्ताक्षर किया गया । इसमे कहीं अपारदर्शिता व गलतफहमी की कोई गुंजाइश भी दिखाई नही देती । इतनी बड़ी तैयारी व सामूहिक इस्तीफे का निर्णय किसी गलत फहमी की वजह से नही हो सकता ।
हो सकता है एकाद दो संकुल समन्वयक अपनी अलग राय दिए हो पर यह निर्णय सर्वसम्मति से पास किया गया व एक हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन कलेक्टर , डीईओ व डीएमसी को यह कहकर पूर्णानद मिश्रा पर कार्यवाही नहीं किये जाने की मांग की गई कि उन्हें गलतफहमी व आपसी समझौता के तहत यह निर्णय लेना पड़ा । प्रथम दृष्टि में ही यह पत्र व कार्यवाही नही किये जाने का आवेदन किसी आपसी समझौते को स्पस्ट कर रहा है । संकुल समन्वयकों व शिक्षा संगठनों के इस अप्रत्याशित घटना से अब शिकायत कर्ताओं व संगठन पर भी संदेह की उंगली उठाने लग गई है । इस संबंध में संगठन के एक सदस्य ने बताया कि पूर्व में कार्यवाही नही किये जाने हेतु जो पत्र लिखा गया था उसमे “गलतफहमी” शब्द का उल्लेख नही था । जिसे पूर्णानद मिश्रा के कहने पर बाद में जोड़ा गया । कहा गया कि पहले पत्र से उन्हें क्लीन चिट नही मिल पायेगी । बीआरसीसी से पूर्णानद मिश्रा द्वारा इस्तीफा तो दे दिया गया है पर वह अभी तक स्वीकृत नही हुआ है ।
बसना शिक्षक संगठन एवं विकासखण्ड स्रोत्र समन्वयक के बीच जो खींचातानी एवं शिकायत कर जांच कार्रवाई की मांग की गई थी। वह पूर्णानन्द मिश्रा द्वारा बीआरसीसी बसना पद के दायित्व से मुक्त कराने हेतु डीएमसी कार्यालय माध्यम से कलेक्टर महासमुन्द को दिये पत्र से फिलहाल प्रशासनिक अस्थिरता का पटाक्षेप हो गया है। जैसे ही पूर्णानन्द ने बीआरसीसी पद के दायित्व से असमर्थता का पत्र दिया, शिक्षक संगठन एवं समस्त संकुल समन्वयको ने अपने पूर्व में किये गये 10 बिन्दूओ की शिकायत आवेदन में कार्रवाई नही करने, व मामले को समाप्त किये जाने के लिए लिखित में सहमति दे दी गई है ।
ज्ञातव्य हो कि ब्लाक के समस्त संकुल समन्वयको एवं शिक्षक संगठनो ने 30 जून को कलेक्टर महासमुन्द, जिला परियोजना समन्वयक(समग्र शिक्षा) महासमुन्द को लिखित 10 बिन्दूओ में शिकायत की गई थी । जिस शिकायत की जांच के लिए डीईओ विजय लहरे एवं डीएमसी रेखराज शर्मा 02 जुलाई को बसना बीआरसी कार्यालय में पहुंच कर मामले का तथ्यान्वेषण भी किया, लेकिन रिपोर्ट सार्वजनिक नही किया। आरोप गंभीर थे, अधिकारी की भी मंशा रही होगी कि विभाग की किरकिरी होने से बजाय मामले का पटाक्षेप हो जाये। लेकिन शिक्षक संगठन एवं समस्त संकुल समन्वयक एक ही मांग पर अडे थे कि पूर्णानन्द मिश्रा को बीआरसीसी से हटाना जाये ।
मामला गंभीर हो चुका था। दोनो पक्ष अपने अपने जोर अजमाइस कर रहे थे। सूत्रो के अनुसार कुछ संकुल समन्वयको ने पूर्णानन्द मिश्रा के विरूद्व शिकायत में हस्ताक्षर किया था, वही पूर्णानन्द के प्रभाव में आकर उसके समर्थन में भी हस्ताक्षर कर दिये। मामला की भनक जब संगठन खेमे में पहुंची तो बैठक की गई। जिसमें पुनः समस्त संकुल समन्वयको ने स्टाम्प पेपर में पुनः हस्ताक्षर किया। संगठन आर-पार की लडाई में था। बीआरसी पद से पूर्णानन्द को नही हटाने पर इनका अंतिम विकल्प संकुल समन्वयक पद से सामूहिक त्यागपत्र देना था।
पूर्णानन्द मिश्रा ने 11 जुलाई को जिला मिशन समन्वयक के माध्यम से कलेक्टर एवं जिला मिशन संचालक को व्यक्तिगत कारण से दायित्व का निर्वहन करने में असमर्थ होने का हवाला देकर बीआरसी पद छोडने के बाद विवाद को समाप्त मानते हुए शिक्षक संगठन एवं संकुल समन्वयक अनिल सिंह साव, आरिफ बेग, त्रिलोचन पटेल, वारिश कुमार, गोवर्धन डडसेना, प्रफुल्ल कुमार साव, सुरेश प्रधान, त्रिकांत बाघ, घनश्याम साहू, बुन्दलाल नायक, विरेन्द्र कुमार साहू, सुरेश कुमार साहू, महेश कुमार नायक, रोहित पटेल, विकास प्रधान, अमृतलाल चौहान, इन्दल कुमार पटेल, मनोरंजन साहू, अरूण कुमार प्रधान, गजेन्द्र नायक, डिजेन्द्र कुर्रे, राजेश कुमार साहू, संतलाल चौहान, सुरेश कुमार नंद, अमित कुमार भोई, संतलाल पटेल, पुरन्दर बंछोर, संतराम बंजारा, भूपेश कुमार पाढी, संतलाल मुकर्जी, विजय कुमार घृतलहरे, नीलाम्बर नायक, शरण कुमार दास ने संयुक्त हस्ताक्षरित आवेदन देकर पूर्व में दी गई अपनी शिकायत को वापस ले लिया है।