० ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन की महासभा ने सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर को बचाये रखने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों से की अपील
ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन की फेडरल काउंसिल की लखनऊ में हुई बैठक में फेडरेशन ने भारत सरकार और राज्य सरकारों से अपील की है कि किसानों और गरीब उपभोक्ताओं के व्यापक हित में पॉवर सेक्टर का निजीकरण रोका जाये और पॉवर सेक्टर को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाये रखा जाये। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में किये जा रहे बिजली के निजीकरण को तत्काल निरस्त न किया गया तो देश के तमाम बिजली इंजीनियर, बिजली कर्मचारियों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बिजली कर्मियों के समर्थन में सड़क पर उतर कर आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे। फेडरेशन ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अपने हित में बिजली कर्मियों के आन्दोलन का समर्थन करें और निजीकरण की प्रक्रिया को रोकने में बिजली कर्मचिरियों का साथ दें।
फेडरल काउंसिल की मीटिंग की अध्यक्षता ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने की। बैठक में सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव, पैट्रन के अशोक राव, पी एन सिंह, सत्यपाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कार्तिकेय दुबे, संजय ठाकुर सहित फेडरल काउंसिल के वरिष्ठ पदाधिकारी सम्मिलित हुए।
फेडरेशन ने कहा कि उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग तीन बार विफल हो चुका है। अमेरिका की ए ई एस कम्पनी का प्रयोग विफल हुआ। रिलायन्स पॉवर कम्पनी के पूर्णतया विफल रहने के बाद फरवरी 2015 में विद्युत नियामक आयोग ने तीनों कम्पनियों के लाइसेंस रद्द कर दिये। कोरोना के दौरान जून 2020 में टाटा पॉवर को उड़ीसा में विद्युत वितरण के लाइसेंस दे दिये गये। अभी 15 जुलाई को स्वतः संज्ञान लेते हुए उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने टाटा पॉवर की चारों कम्पनियों को उपभोक्ता सेवा में पूरी तरह विफल रहने के कारण नोटिस जारी कर दी है और जन सुनवाई का आदेश दिया है।
फेडरेशन ने कहा कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बिजली के निजीकरण के पीछे कारपोरेट घरानों के साथ मिली भगत और मेगा स्कैम है। उप्र में झूठा शपथ पत्र देने वाले ग्रान्ट थॉर्टन को ट्रांजैक्शन कंसलटेंट बनाकर कुछ चुनिंदा निजी घरानों के पक्ष में निजीकरण का आर एफ पी डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 का खुला उल्लंघन करते हुए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की परिसम्पत्तियां का मूल्यांकन किये बिना और रेवेन्यू पोटेंशियल निकाले बिना निजीकरण का आर एफ पी दस्तावेज तैयार कर दिया गया है जिससे एक लाख करोड़ रूपये से अधिक की परिसम्पत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचा जा सके। फेडरेशन ने कहा है कि उप्र में जिस प्रकार से निजीकरण किया जा रहा है उससे प्रदेश के मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की खुले आम धज्जियां उड़ रही हैं।
फेडरेशन ने पैरेलेल लाईसेंस के नाम पर महाराष्ट्र में बड़े औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में निजीकरण किये जाने की कठोर शब्दों में भर्त्सना करते हुए इसे मुनाफे का निजीकरण बताया है। फेडरेशन ने महाराष्ट्र में पैरेलेल लाईसेंस का निर्णय रद्द करने की मांग की है।
फेडरेशन ने पारेषण के क्षेत्र में टैरिफ बेस्ड कम्पटीटिव बिडिंग और असेट मॉनेटाईजेशन के नाम पर निजीकरण किये जाने का निर्णय वापस लेने की मांग की है। फेडरेशन ने कहा है कि यदि यह न रोका गया तो देखते देखते सम्पूर्ण पारेषण क्षेत्र का निजीकरण हो जायेगा जो उपभोक्ताओं के हित में नहीं होगा।
फेडरेशन ने राज्यों के उत्पादन के क्षेत्र में ज्वांइन्ट वेंचर कम्पनी बनाने का विरोध करते हुए कहा है कि सबसे सस्ती बिजली राज्यों के बिजली घरों से मिलती है। ज्वांइन्ट वेंचर कम्पनी बना देने के बाद उपभोक्ताओं के लिए बिजली मंहगी होगी। फेडरेशन ने उप्र में 2ग्800 मेगावाट ओबरा डी और 2ग्800 मेगावाट अनपरा ई परियोजनाओं का ज्वांइन्ट वेंचर निरस्त कर उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम को देने की मांग की है। राजस्थान में कवई और झालावाड़ ताप बिजली घरों को ज्वांइन्ट वेंचर के नाम पर स्टेट सेक्टर से छीनने का विरोध करते हुए फेडरेशन ने इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
फेडरेशन ने निजीकरण के नाम पर उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों के किये जा रहे दमन की कठोर शब्दों में निन्दा करते हुए कहा है कि भय का वातावरण बनाकर दमन के बल पर निजीकरण नहीं होने दिया जायेगा। फेडरेशन ने कहा कि उप्र में बिजली कर्मियों का हजारों की संख्या में ट्रांसफर किया गया, बिजली कर्मियों का फेसियल अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोक दिया गया, संगठनों के शीर्ष पदाधिकारियों पर विजिलेंस जांच कराकर एफ आई आर करायी गयी और अत्यन्त अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मियों की बड़े पैमाने पर छटनी की गयी। फेडरेशन ने इन सभी दमनात्मक कार्यवाहियों को वापस लेने की मांग की है।
फेडरल काउंसिल की बैठक में तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, दामोदर घाटी निगम, झारखण्ड, जम्मू, कश्मीर, पंजाब, उत्तराखण्ड, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के विद्युत अभियन्ता संघों के अध्यक्ष, महामंत्री और वरिष्ठ पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।