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जस्टिस वर्मा की बढ़ी मुश्किलें ,जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन,लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले – 31 जुलाई को मिला था हटाने का प्रस्ताव

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दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वर्मा मामले पर 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जज शामिल होंगे। आज लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 31 जुलाई को जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव मिला था। उनके खिलाफ मिली शिकायत गंभीर प्रवृति की है।



कमेटी के सदस्य हैं-
1.सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार

2.जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव, चीफ जस्टिस, मद्रास हाइकोर्ट

3. वरिष्ठ वकील बी वी आचार्य

ओम बिरला ने कहा, तीन सदस्यीय समिति है में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश, हाई कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश और एक कानूनी विशेषज्ञ शामिल होंगे। मुख्य न्यायाधीश ने इस गंभीर चौकन्ने वाले घटना और तथ्यों पर विचार करने के बाद और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की प्रतिक्रिया और दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए यह राय बनाई कि इस विषय पर जांच आवश्यक है।

कैश कांड की होगी जांच
जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए प्रक्रिया शुरू करने के लिए दिए गए प्रस्ताव को लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया। जस्टिस वर्मा दिल्ली स्थित सरकारी आवास से जले हुए नोट मिलने के मामले में कमेटी जांच करेगी। कैश मिलने का मामला सामने आने के बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत
कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी। 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। राहत पाने के लिए जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस वर्मा ने कैश कांड में जांच प्रक्रिया को रोकने के लिए याचिका दाखिल की थी। जांच की वैधता को चुनौती देते हुए उन्होंने अर्जी दायर की थी। शीर्ष अदालत ने ने जस्टिस वर्मा की कोई दलील नहीं सुनी और उनकी अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वर्मा के आचरण पर सवाल उठते हैं।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा का आचरण विश्वास से परे है और उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि आंतरिक जांच प्रक्रिया और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों की समिति ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया था और रिपोर्ट को प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को न्यायाधीश वर्मा को हटाने की सिफारिश के साथ भेजना असंवैधानिक नहीं था।

क्या है जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड?
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड एक गंभीर न्यायिक भ्रष्टाचार मामला माना जा रहा है, जो 14 मार्च 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने के बाद सामने आया। इस घटना के दौरान, दमकलकर्मियों को उनके आवास से बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी मिली थी, जिससे पूरे न्यायिक समुदाय में हड़कंप मच गया। इसके बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट में किसी भी न्यायिक कार्य हटा दिया गया। फिर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया।

 

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