० सौर सुजला योजना के तहत् वर्ष 2025-26 अंतर्गत प्रदेश में 7,500 से अधिक सौर सिंचाई पम्पों की स्थापना का लक्ष्य
० अब तक कुल स्थापित 3,012 सोलर पम्पों से प्रतिवर्ष लगभग 145 लाख यूनिट विद्युत का उत्पादन हरित ऊर्जा के माध्यम से हो रहा है
० स्थापित सोलर पम्पों से प्रतिवर्ष 12,830 मिट्रीक टन कार्बन उत्सर्जन में कमी
० स्थापित पम्पों से प्रतिवर्ष 3,650 हेक्टेयर रकबा सिंचित हो रहा है
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व में सौर सुजला योजना अंतर्गत प्रदेश में कुल 7,500 से अधिक सौर सिंचाई पम्पों की स्थापना की जा रही है। स्थापित पम्पों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने एवं अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी, अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, राजेश सिंह राणा के मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं।
योजना अंतर्गत कृषकों के सिंचाई आवश्यकता की पूर्ति हेतु सौर सिंचाई पम्प स्थापित किया जा रहा है। सोलर पम्प के उपयोग से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भू-जल के संरक्षण एवं संवर्धन तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता मिल रही है।
सौर सुजला योजना अंतर्गत अधिकांश सोलर पम्प बस्तर एवं सरगुजा संभाग के जिलों में स्थापित किये गये है। राज्य में बस्तर, सरगुजा संभाग एवं अन्य जिलों में नक्सल गतिविधियाँ होने के कारण क्रियान्वयन में कठिनाई आई है, जिसके पश्चात् भी राज्य में कुल स्थापित पम्पों में से बस्तर संभाग में लगभग 20% तथा सरगुजा संभाग में लगभग 30% सोलर पम्पों की स्थापना की गई है। कृशकों को योजना से लाभ होने के कारण लगातार सोलर पम्प की स्थापना हेतु मांग प्राप्त हो रही है।
योजना अंतर्गत अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के 64% अन्य पिछड़ा वर्ग के 27% एवं सामान्य वर्ग के 09% कृषकों के यहाँ सोलर पम्प की स्थापना की गई है जिससे यह स्पश्ट होता है कि यह योजना मुख्य रूप से कमजोर एवं पिछडे़ वर्ग के कृषकों को लाभ पहुँचा रही है।
योजना अंतर्गत स्थापित सोलर सिंचाई पम्पों का नाबार्ड कंसलटेंसी सर्विसेस (नेबकॉन्स) द्वारा प्रतिवर्श तृतीय पक्ष प्रभावी मूल्यांकन कराया जाता है। मूल्यांकन उपरान्त नेबकॉन्स द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट अनुसार सोलर सिंचाई पम्पों की स्थापना से कृषकों की आय में लगभग 63% की वृद्धि हुई है। खरीफ एवं रबी की फसलों के समय डीजल पम्पों के उपयोग में लगभग 82.7% की कमी हुई है, जिससे सिंचाई की लागत में लगभग 26.9% की कमी आयी है।
सोलर पम्प की स्थापना उपरान्त उचित सिंचाई सुविधा प्राप्त होने से कृषक प्रतिवर्ष दो अतिरिक्त फसलों एवं अन्य बागवानी फसलों का भी लाभ ले पा रहे है, जिससे किसानों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही है तथा आर्थिक स्थिति एवं जीवन शैली में सुधार आया है। साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन की समस्या में भी कमी हुई है।