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वरलक्ष्मी व्रत आज : जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत से मिलने वाले फल के बारे में

हमारे शास्त्रों में मां लक्ष्मी से जुड़े अनेक व्रत पूजा का वर्णन मिलता है। अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग व्रत पूजन होते हैं किंतु एक ऐसा चमत्कारिक पूजन है जिससे आपके जीवन के सारे अभाव, कमियां, परेशानियां दूर हो जाएंगी और आप एक सुख-समृद्ध जीवन व्यतीत कर सकेंगे।



यह व्रत है वरलक्ष्मी व्रत। श्रावण पूर्णिमा से ठीक पहले आने वाले शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाता है, आज ये व्रत आया है। यह व्रत दक्षिण भारत के राज्यों में बड़े पैमाने पर किया जाता है, लेकिन अब यह संपूर्ण भारत में किया जाने लगा है।

विष्णु पुराण और नारद पुराण में वरलक्ष्मी व्रत का विस्तार से उल्लेख मिलता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति वरलक्ष्मी व्रत करता है वह धन, वैभव, संपत्ति और उत्तम संतान से युक्त होता है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी का पूर्ण वरदान प्राप्त होता है और व्यक्ति की अनेक पीढ़ियों से अभाव और गरीबी की छाया मिट जाती है। वर का अर्थ है वरदान और लक्ष्मी का अर्थ है धन-वैभव।

रवि योग में होगा महालक्ष्मी पूजन

इस साल श्रावण पूर्णिमा 31 अगस्त 2023, गुरुवार को आ रही है, उससे पहले 25 अगस्त को शुक्रवार होने से इस दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाएगा। इस बार वरलक्ष्मी व्रत के दिन अनुराधा-ज्येष्ठा नक्षत्र और वैधृति योग रहेगा। प्रात: 9 बजकर 16 मिनट से रवियोग भी रहेगा।

वरलक्ष्मी व्रत-पूजन करने के लाभ

वरलक्ष्मी व्रत केवल विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं। यदि पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखें तो दुगुना फल प्राप्त होता है। व्रत के प्रभाव से जीवन के समस्त अभाव दूर हो जाते हैं। आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और व्रती के जीवन में धन का आगमन आसान हो जाता है। वरलक्ष्मी व्रत से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये हैं श्री, भू, सरस्वती, प्रीति, कीर्ति, शांति, संतुष्टि और पुष्टि। अर्थात वरलक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, ज्ञान, प्रेम, प्रतिष्ठा, शांति, संपन्नता और आरोग्यता आती है।

पूजन सामग्री

मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र, गुलाब और कमल के पुष्प, पुष्प माला, कुमकुम, हल्दी, चंदन चूर्ण, अक्षत, विभूति, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, पंचामृत, दही, केले, दूध, जल, धूप बत्ती, दीपक, कर्पूर, घंटी, प्रसाद, एक बड़ा कलश।

पूजा विधि

वरलक्ष्मी व्रत की पूजा ठीक उसी प्रकार की जाती है जैसे दीपावली पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक कलश सजाकर उस पर श्वेत रंग की रेशमी साड़ी सजाई की जाती है। वरलक्ष्मी को विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प, मिठाई अर्पित किए जाते हैं।

वरलक्ष्मी पूजन मुहूर्त

अमृत : प्रात: 9:18 से 10:53
शुभ : दोप 12:29 से 2:04
चर : सायं 5:14 से 6:49
लाभ : रात्रि 9:39 से 11:04
अभिजित : दोप 12:03 से 12:54

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