नेशनल न्यूज़। 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास स्थित भारतीय थलसेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें कई जवान शहीद हो गए थे। बारामूला जिले के उरी सैक्टर में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास सेना के 12 ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए फिदायीन आतंकी हमले में 17 जवान शहीद हुए और करीब 20 जवान घायल हो गए थे। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में 4 आतंकियों को ढेर कर दिया था। आत्मघाती धमाके से टैंटों में आग लगने के कारण शहीद हुए कुछ जवानों के शव झुलस गए थे।
अधिकतर जवान तंबुओं में थे
हालांकि यह आधिकारिक तौर पर माना जा रहा है कि अधिकतर जवानों की मौत उन तम्बुओं और बैरकों में आग लगने से हुई, जहां वे सो रहे थे। कश्मीर में 26 सालों में सेना पर यह सबसे बड़ा हमला है। हमला चेंज ऑफ कमांड यानि एक यूनिट के दूसरी यूनिट की जगह लेने के दौरान हुआ। यह हमला सुबह 5.30 बजे हुआ, जब आतंकियों ने उरी कस्बे के इन्फैंट्री बटालियन के पिछले आधार शिविर को निशाना बनाया। हमले के बाद आतंकियों और जवानों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जो करीब चार घंटे चली थी।शहीद होने वाले जवान 11 डोगरा और 6 बिहार रेजीमेंट के थे।
सर्जिकल स्ट्राइक
उरी आतंकी हमले के 10 दिनों के भीतर ही सेना ने एलओसी पार करके आतंकियों को वो चोट पहुंचाई, जिसका खौफ आज भी उनके जेहन में होगा। सर्जिकल स्ट्राइक से सेना ने दुश्मनों के घर में घुसकर कई आतंकियों को ढेर किया था। 28 सितंबर की आधी रात को ऑपरेशन शुरू हुआ था और इसमें सेना के एक भी जवान को खरोंच तक नहीं आई थी।