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18 जनवरी 1927 को ल इरविन ने किया था पुराने संसद भवन की उद्घाटन, 96 साल बाद हो रहा रिटायर

नेशनल न्यूज़।पुराने संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को ल इरविन ने किया था तब इसे सेंट्रल असैंबली कहा जाता था। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने इसमें बम फेंक कर ब्रिटेन तक हलचल मचा दी थी।

पुराने संसद भवन का उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को ल इरविन ने किया था तब इसे सेंट्रल असैंबली कहा जाता था। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने इसमें बम फेंक कर ब्रिटेन तक हलचल मचा दी थी।

संविधान निर्माण
देश के संविधान निर्माण के लिए लंबी चर्चा इसी पुराने संसद भवन में चली थी। 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पहले राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। यह 1921 से 1927 तक बनकर तैयार हुआ। 18 जनवरी 1927 और 15 अगस्त 1947 के बीच यह इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल हुआ करती थी। इसके बाद 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत की संविधान सभा और फिर संसद बनी।

105 संविधान संशोधन
पुराने संसद भवन में 105 संविधान संशोधन हुए संविधान संशोधन 18 जून 1951 [को] [अनुच्छेद 15, 19, 85 87. 174, 176, 341, 342, 372 और 376 में किया गया। अनुच्छे 31 A 31b और अनुसूची 9 को जोड़ा गया संविधान का 105वां संशोधन 10 अगस्त 2021 को हुआ। इसमें अनुच्छेद 3384342 और 366 को संशोधित किया गया।

आपातकाल का गवाह
पुराना संसद भवन आपातकाल का भी गवाह है। 25 जून 1975 को तत्काली राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की थी। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक आपातकाल चला।

3 संयुक्त सत्र देखे : 75 वर्ष में पुराने संसद भवन ने 3 संयुक्त सत्र भी देखे । संसद का पहला संयुक्त सत्र 1961 में पं. जवाहर लाल नेहरू ने दहेज विरोधी अधिनियम के लिए बुलाया था। दूसरा संयुक्त सत्र 1978 में मोरारजी देसाई बैंकिंग सेवा आयोग विधेयक के लिए बुलाया था। तीसरी बार 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने आतंकवाद निरोधक विधेयक (पोटा) के लिए संयुक्त सत्र बुलाया था।

2 वर्ष में 4 प्रधानमंत्री मिले: 1996 से 1998 के बीच 2 वर्ष में इस पुराने संसद भवन ने 4 प्रधानमंत्री देखे। 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और बहुमत साबित नहीं कर पाए। उसके बाद 1 जून 1996 को एच. डी. देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी तथा 21 अप्रैल 1997 को इंद्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने । इसके बाद 19 मार्च 1998 को फिर अटल प्रधानमंत्री बने ।

कई बार हुए स्पेशल सेशन

•14-15 अगस्त 1947 को आजादी की पूर्व संध्या पर भारतीय संसद का पहला विशेष सत्र ब्रिटिश अधिकारियों से भारतीयों को सत्ता सौंपने के लिए आयोजित किया गया था।

• 8-9 नवम्बर 1962 को भारत-चीन युद्ध पर चर्चा के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था। यह मंत्र जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के विशेष अनुरोध पर बुलाया गया था।

• 14-15 अगस्त 1972 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अभी रात के समय सत्र बुलाया था। यह स्वतंत्रता के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उत्सव के रूप में आयोजित किया 3-4 जून 1991 को 2 दिन का राज्यसभा का विशेष सत्र हरियाणा में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा के लिए बुलाया नया 08-9 अगस्त 1992 को प्रधानमंत्री सहा राव ने आधी रात के समय यह विशेष सत्र बुलाया था। यह सत्र भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित किया गया था। • 14-15 अगस्त 1997 को प्रधानमंत्री कुमार गुजरात ने स्वतंत्रता दिवस की 50वीं वर्षगाठ पर मध्यरात्रि को संसद का विशेष सत्र बुलाय 13 मई 2012 को भारतीय संसद को उद्घाटन बैठक की साठवीं वर्षगांठ मनाने के लिए संसद का विशेष बुलाया गया था।

• 26-27 नवंबर 2015 में 2 दिन का विशेष सदस संविधान डॉ. बी. आर. अंबेडकर की 125वीं जयंती पर जल के लिए आयोजित किया गया था। • 30 जून 2017 को जी.एस.टी. लागू करने के लिए मोदी सरकार ने आधी रात को विशेष संसद सत्र बुलाया था। इस सत्र में पी.एम. मोदी ने प्रतीक के रूप में घंटा बजाकर देश में जी.एस.टी. व्यवस्था की शुरुआत की…

• 18 सितम्बर 2023 को संसदीय लोकतंत्र के 75 वर्ष की उपलब्धियों की चर्चा करने के लिए और नए बने भवन में प्रदेश के लिए दिवसीय विशेष संसद सत्र बुलाया गया है। पहले दिन का सत्र पुराने भवन में ही हुआ।

 

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