हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है. इस खास दिन पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. दरअसल, एक महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत किया जाता है और भगवान शिव समेत उनके पूरे परिवार की आराधना की जाती है. साथ ही, विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं सितंबर के महीने में अंतिम प्रदोष व्रत कब आ रहा है.
कब है प्रदोष व्रत?
वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर, 2024 दिन रविवार को शाम 4 बजकर 47 मिनट से होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन 30 सितंबर, 2024 को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगा. पंचांग के आधार पर प्रदोष व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा, जिसमें कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है.
रवि प्रदोष व्रत का महत्व
शिव पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास रखने से साधक रोग और दोष आदि से मुक्ति प्राप्त करता है, साथ ही उसे धन-सम्पदा की भी प्राप्ति होती है. ऐसा करने से साधक को करियर में भी लाभ देखने को मिल सकता है. रवि प्रदोष का संयोग कई तरह के दोषों को दूर करता है. इस संयोग के प्रभाव से तरक्की मिलती है.
जरूर करें इन नियमों का पालन
-प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर व्रत का संकल्प लें. -इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करके भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.
-इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेल पत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. -फिर प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें.
-पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.