रायपुर। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अायोग के सदस्य धन्य कुमार जिनप्पा गुंडे छत्तीसगढ़ प्रवास पर थे। उन्होंने सिख, मुस्लिम जैन, मसीही समाज के धर्मस्थलों का भ्रमण किया। ुन्होंने इन समाज के प्रतिनिधियों व धर्मगुरुअों से भी चर्चा की। उन्होंने छत्तीसगढ़ के आर्च बिशप विक्टर हेनरी ठाकुर से बिशप्स हाउस में मुलाकात का। उन्हें समस्याअों, जरूरतों अौर प्रकरणों से अवगत कराया गया। गुण्डे का छत्तीसगढ़ के कोसा के शॉल से सम्मान किया गया।
गुण्डे से मांग की कि वे दिल्ली तक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अायोग की अोर से केंद्र सरकार के समक्ष इसे समस्याअों को प्रस्तुत कर निदान निकालने का प्रयास करें। इस मौके पर विकार जनरल फादर सेबेस्टियन पी., जॉन राजेश पॉल एवं प्रकाश मोदी भी मौजूद थे। अायोग सदस्य को बताया गया कि प्रदेश के लगभग सभी मसीही कब्रस्थान भर चुके हैं। अधिकांश ब्रिटिशकालीन हैं। इस वजह से दफन संस्कार में काफी दिक्कतें अाती हैं। पिछले दो दशकों से इस समस्या का समाधान नहीं किया है। इस संबंध में समाज ने शासन के साथ काफी लिखापढ़ी भी की है। इसलिए शासन से कब्रस्थान के लिए जमीन उपलब्ध कराने निर्देश देवें। इसके साथ ही यदि वर्तमान कुछ कब्रस्थानों के पुनर्उपयोग की गुंजाइश बनती है, तो इस योजना को पूरा करने में अाने वाला व्यय शासन की अोर से वहन हो। सरकारी योजनाअों के तहत कब्रस्थानों में सुविधाएं मुहैया करवाएं।
इसी तरह प्रदेश के लगभग सभी गिरजाघरों की हालत काफी खराब है। ये 75 से लेकर डेढ़ सौ साल पुराने हैं। इनके जीर्णोद्वार की जरूरत है। मसीही समाज अार्थिक हालत कमजोर है। इस वजह से जीर्णोद्वार में अाने वाला व्यय राज्य व केंद्र सरकार से दिलवाने में मदद करें।
प्रदेश में मसीही समाज की मिशन की ज्यादातर जमीनों का लीज खत्म हो गया है या होने वाला है। इस वजह से शासन योजना चलाकर इनका अधिग्रहण करने के प्रयास में लगी है। स्कूल, कालेज, अस्पताल, हास्टल, अनाथालय अादि समाज ही नहीं प्रदेश की धरोहर हैं। 100 से भी ज्यादा सालों से प्रदेशवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य व समाजसेवा के क्षेत्र में योगदान देते अा रहे हैं। इनका अस्तित्व मिटाना किसी भी तरह से भी उचित नहीं है। प्रदेशवासियों का इन संस्थाअों से दिली जुड़ाव है। इनका गौरवशाली इतिहास है। कृपया इन्हें बचाने में मदद करें। शासन के अधिग्रहण पर रोक लगवाएं। प्रदेश में कई जमीनें तो अंग्रेजों ने तत्कालीन शासन से खरीदकर सेवाकार्य प्रारंभ किया था। इन्हें भी अधिग्रहित करने का प्रयास किया जा रहा है।
कानून हाथ में लेने वालों पर लगे रोक –
अायोग सदस्य को बताया गया कि कुछ सालों से धर्मांतरण के बेबुनियाद अारोप लगाकर कई मसीही धर्म गुरुअों अौर सेवकों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। गिरजाघरों पर हमले किए जा रहे हैं। धर्म सभाअों में हुड़दंग किया जाता है। एेसे मामलों पर रोक लगाने शासन को निर्देशित करें। यह भी ध्यान रखा जाए कि इस मामले में भारतीय संविधान में दिए नागरिक अधिकारों का हनन न हो। पास्टरों, पादरियों व फादर्स पर दर्ज मुकदमें उसी तरह वापस लिए जाएं, जिस तरह राजनीतिक मामले वापस लिए जाते हैं। इसके लिए अलग से अायोग या हाईपावर कमेटी बनाकर प्रकरणों की समीक्षा कर प्रकरणों की वापसी का रास्ता निकाला जाए।
प्रदेश के पादरियों को भी हर महीने कम से कम 10-10 हजार रुपए की सरकार की अोर से अनुदान-मानदेय (वजीफा) प्रदान किया जाए। अल्पसंख्यक परिवारों के निर्धन युवक-युवतियों का विवाह बड़ी समस्या बनकर सामने अाया है। इस संबंध में योजना बनाकर उनका विवाह संपन्न कराने समाधान किया जाए। सरकारी नौकरियों में मसीहीजनों का प्रतिनिधित्व लगभग खत्म हो रहा है। इस पर विशेष ध्यान देकर नौकरियों में कोटा तय किया जाए। छत्तीसगढ़ एक पावर स्टेट है। यहां खपत से ज्यादा बिजली उत्पादन है। बिजली के बिल अदा करने में गिरजाघर प्रबंधन सक्षम नहीं है। बिल भी मनमाने तरीके से भेजे जाते हैं। अापसे अाग्रह है कि गिरजाघरों व पुराहितों के अावास पर मुफ्त बिजली सप्लाई की जाए। मसीहीजनों को भी सरकारी तौर पर इजराइल की तीर्थ यात्रा के अवसर केंद्र सरकार की अोर प्रदान किए जाएं।
मदकूद्वीप में रोकें अधिग्रहण –
मुंगेली जिले में बैतलपुर के पास मदकूद्वीप पर मसीहीजनों का 115 सालों से मेला लगता है। इसमें देश-विदेश से मसीहीजन ही नहीं सभी धर्मावलंबी शिरकत करते हैं। ये मसीहियों की धरोहर है। पिछले कुछ सालों से राज्य सरकार इसकी जमीन पर लगातार अधिग्रहण कर रही है। इसी द्वीप पर पहले हिंदू समाज का मेला लगता है, फिर मसीहीजनों का। कभी किसी प्रकार की रूकावट व समस्या नहीं अाई। सब मिलकर रहते हैं। अधिग्रहण का हथौड़ा चलने से दोनों समाज के बीच लकीर खींचने के प्रयास हो रहे हैं। कृपया इस समस्या का भी समाधान निकाला जाए।