कही-सुनी ( 02 NOV-25) : छत्तीसगढ़ रजत जयंती वर्ष के बहाने बड़ा जलसा
रवि भोई की कलम से
छत्तीसगढ़ निर्माण को 25 वर्ष पूरे हो गए। छत्तीसगढ़ की रजत जयंती उत्सव के बहाने एक नवंबर 2025 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य में बड़ा जलसा हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी छत्तीसगढ़ आए, पर इस बार जिस तरह आयोजन हुआ और लोगों में उत्साह रहा, वह अपने आप में अनोखा रहा। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार को ब्रेक देकर छत्तीसगढ़ के रजत जयंती समारोह में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्योत्सव के मुख्य कार्यक्रम में खुली गाड़ी में राज्य के नेताओं को साथ लेकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया। प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नजर आए तो उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा भी दिखे। प्रदेश अध्यक्ष किरण देव भी प्रधानमंत्री के साथ जीप में सवार थे। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पर भरोसा जताया तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह की खूब तारीफ़ की। प्रधानमंत्री ने राज्य के नेताओं को साथ लेकर एकजुटता का संदेश दिया, वहीं देश के संविधान बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले छत्तीसगढ़ की हस्तियों पंडित रविशंकर शुक्ल,बैरिस्टर छेदीलाल, रामप्रसाद पोटाई, किशोरी मोहन त्रिपाठी और रघुराज जी को याद किया। प्रधानमंत्री ने एक दिन में ही आधे दर्जन से ज्यादा कार्यक्रमों में शिरकत कर 25 वें वर्ष में छत्तीसगढ़ का मान बढ़ा दिया। प्रधानमंत्री राज्योत्सव के मुख्य कार्यक्रम में तो शामिल हुए ही, विधानसभा के नए भवन और ट्राइबल म्यूजियम का उद्घाटन किया। नए विधानसभा भवन में पूर्व प्रधानमंत्री और छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने ब्रम्हकुमारी संस्थान के शिखर ध्यान केंद्र का उद्घाटन किया और श्री सत्य साईं अस्पताल में बच्चों से मिले भी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में आपरेशन सिंदूर और नक्सलवाद का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी एक दिन में छत्तीसगढ़ की झोली में बहुत कुछ डाल गए और यहां के लोगों में नया उत्साह और उमंग पैदा कर दिया।
निर्माण विभाग में ठेकेदार की तूती
कहते हैं कि राज्य के एक निर्माण विभाग में आजकल एक ठेकेदार की तूती बोल रही है। चर्चा है कि ठेकेदार ने विभाग को ठेके में ले लिया है। कई कामों में ठेकेदार अपनी चला रहा है। विभाग के अफसर उसकी हाँ में हाँ मिलाने पर मजबूर हैं। खबर है कि ठेकेदार ने विभाग के ऊंचे पद पर बैठे एक आला अफसर को संविदा नियुक्ति दिलवाई है। आमतौर पर संविदा नियुक्ति वाले अफसर को वित्तीय अधिकार नहीं मिलता, पर ठेकेदार की मेहरबानी से अधिकारी के बल्ले-बल्ले हो गए। अधिकारी को प्रशासनिक के साथ वित्तीय अधिकार भी मिले हुए हैं। हल्ला है कि इस अधिकारी को दोबारा संविदा नियुक्ति दिलाने में ठेकेदार लगा है। ठेकेदार ने भाजपा के एक बड़े नेता को पकड़ लिया है और उनके माध्यम से अपना खेल चलाता रहता है। जल से जुड़ा यह विभाग पिछली सरकार में सूखा हो गया था। बताते हैं भाजपा सरकार में यह विभाग मलाईदार हो गया है और इस विभाग के पास कई बड़े प्रोजेक्ट आ गए हैं। सुनते हैं कि संविदा वाले अफसर और ठेकेदार की नजर बड़े प्रोजेक्ट्स पर है और दोनों मिलकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
मंदिर की जमीन पर खेला
कहते हैं राजधानी के एक बड़े बिल्डर रायपुर से लगे दतरेंगा में मंदिर ट्रस्ट की 19 एकड़ जमीन खरीदने की जुगत में हैं, पर मंदिर ट्रस्ट के लोग बिल्डर के सामने रोड़ा बनकर सामने खड़े हो गए हैं। बिल्डर एक राजनीतिक पार्टी से भी जुड़े हुए हैं। खबर है कि भारत माला घोटाले से जुड़े भू- माफिया सरकारी अफसरों से मिलीभगत कर राजस्व रिकार्ड में मंदिर का नाम कटवाकर एक व्यक्ति के नाम चढ़वा दिया। बताते हैं इस जमीन को बिल्डर ने अपने एक मुलाजिम के नाम 15 करोड़ रुपए में सौदा कर लिया। जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई, पर नामंतरण में मामला फंस गया। मंदिर ट्रस्ट के लोगों को भनक लग गई और उन्होंने आपत्ति पेश कर दी। इससे बिल्डर और भू माफिया के प्रयासों पर फिलहाल तो पानी फिर गया है।
बिना एच ओ डी के उद्यानिकी
सरकार ने कलेक्टर-एसपी और डीएफओ कांफ्रेंस के बीच ही पिछले महीने उद्यानिकी विभाग के संचालक एस जगदीशन को अचानक हटा दिया। 2005 बैच के आईएफएस अधिकारी जगदीशन को संचालक उद्यानिकी के पद से हटाए जाने की घटना चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते हैं अभी उद्यानिकी विभाग उप संचालक के भरोसे ही चल रहा है। यहां अभी न तो अतिरिक्त संचालक हैं और न ही संयुक्त संचालक। खबर है कि इन पदों को तत्काल भरना भी आसान नहीं हैं, क्योंकि ऊंचे पदों पर पहुंचने के लिए जूनियर अफसरों को लंबी छलांग लगानी पड़ेगी। कहा जा रहा है कि उद्यानिकी विभाग में फील्ड में भी भारी मारामारी है। कई जिलों में अफसर ही नहीं हैं, तो कइयों के पास कई जिलों का प्रभार है। ऐसे में चर्चा शुरू हो गई है, क्या उद्यानिकी को कृषि विभाग में मर्ज की तैयारी तो नहीं है, जबकि उद्यानिकी के अधीन अभी आइल पाम, बांस, मधुमक्खी जैसे कई मिशन चल रहे हैं।
जनता के प्रधानमंत्री
छत्तीसगढ़ के रजत जयंती कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लेने रायपुर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले राज्य के विभूतियों की सुध ली। रायपुर विमानतल पर उतरते ही प्रधानमंत्री ने सबसे पहले लोक कलाकार तीजनबाई और साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का हालचाल जाना। इन दिनों दोनों अस्वस्थ चल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने फोन से तीजनबाई की बहू और विनोद कुमार शुक्ल से सीधे बातचीत की। विनोद कुमार शुक्ल और तीजनबाई का कुशलक्षेम पूछकर प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ की जनता का दिल जीत लिया। इतने व्यस्त कार्यक्रम के बीच लोगों को याद करना और उनसे बात करना बताता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमीन से जुड़े नेता हैं और वे हर किसी की चिंता करते हैं। लोग कह रहे हैं सही मायने में वे जनता के प्रधानमंत्री हैं। तीजनबाई ने पंडवानी गायन के जरिए देश और विदेश में छत्तीसगढ़ की पहचान बनाई, तो विनोद कुमार शुक्ल ने साहित्य से छत्तीसगढ़ को चमकाया है।
सप्लायर की डायरी में राज
पिछले दिनों ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ के तहत सामान सप्लाई करने वाले ठेकेदारों के ठिकानों में छापेमारी की कार्रवाई की। कहते हैं राजनांदगांव के एक सप्लायर के यहां एक डायरी मिली हैं। बताते हैं सप्लायर ने डायरी में कई राज की बात लिख रखी है। डायरी में कुछ आईएएस अफसरों के बारे में विवरण लिख रखा है। खबर है कि डायरी में उल्लेखित कुछ आईएएस समय-समय पर अलग-अलग जिलों के कलेक्टर रहे हैं। डायरी सामने आने के बाद चर्चा होने लगी है कि कलेक्टर रहे कुछ आईएएस घेरे में आ सकते हैं और लपट की आंच उन्हें भी प्रभावित कर सकती है। लोगों को इंतजार है कलेक्टर रहे किन-किन आईएएस के बारे में क्या-क्या राज सामने आता है।
बिहार के भाजपा नेता का दर्द
कहते हैं छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं को लेकर बिहार के एक भाजपा नेता इन दिनों बड़े दुखी हैं और रोना रो रहे हैं। चर्चा है कि चेहरा दिखाने के छत्तीसगढ़ के कुछ भाजपा नेता और कार्यकर्ता बिना बुलाए ही बिहार विधानसभा का चुनाव प्रचार करने वहां पहुँच गए हैं। बताते हैं ऐसे नेता और कार्यकर्ता प्रचार से ज्यादा अपना फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया में डालने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। खबर है कि फोटो प्रेमी नेता और कार्यकर्ताओं से बिहार के एक उम्मीदवार दुखी होकर यहां के नेताओं से अपना रोना रोया। अब देखते हैं ऐसे नेता-कार्यकर्ता उम्मीदवार के दुःख को समझते हैं या फिर अपने सोशल मीडिया प्रेम में डूबे रहते हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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