कही-सुनी (09 NOV-25) : बिहार के नतीजे पर टिकी भाजपा-कांग्रेस की राजनीति
रवि भोई की कलम से
चर्चा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में भाजपा और कांग्रेस दोनों की राजनीति में बदलाव हो सकता है। माना जा रहा है कि बिहार चुनाव निपटने के बाद कांग्रेस हाईकमान छत्तीसगढ़ के जिलाध्यक्षों की सूची को हरी-झंडी देगा। बताते है कि कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी हो गई है। जिलाध्यक्षों की लिस्ट आने के बाद प्रदेश बॉडी पर मंथन होगा। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य भाजपा में बदलाव की हलचल है। कुछ लोग भाजपा में 20 नवंबर से 20 जनवरी के बीच बड़े बदलाव की बात कर रहे हैं। कुछ मंत्रियों के विभागों में हेरफेर की अटकलें चल पड़ी हैं। बताते हैं कि पिछले दिनों राजधानी आए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने कुछ लोगों से बंद कमरे में बातचीत की। बातचीत में उन्होंने कई संकेत भी दिए। कहा जा रहा है कि भाजपा पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए अभी से तैयारी करना चाहती है। छत्तीसगढ़ के कुछ भाजपा दिग्गजों को जल्द पश्चिम बंगाल भेजे जाने की खबरें आ रही हैं। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी फैसला होने के आसार हैं।
तारीफ़ से गरमाई राजनीति
पिछले दिनों रायपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की खूब तारीफ की, उन्हें सार्वजनिक मंच से अपना मित्र बताया। एक जमाना था जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और डॉ रमन सिंह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री। नरेंद्र मोदी लगभग 13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के बाद सीधे प्रधानमंत्री बने। डॉ रमन सिंह 15 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद 2018 में सत्ता से बाहर हो गए। 2023 में भाजपा ने सत्ता में वापसी की तो हाईकमान ने डॉ रमन की जगह विष्णुदेव साय को सत्ता की कमान सौंप दी और डॉ रमन को विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका दे दी। मित्र और साथी की तारीफ़ तो हर कोई करता है,पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा डॉ रमन सिंह की तारीफ़ से छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है। राजनेता से आमलोग तक मोदी की तारीफ़ को लोग डॉ रमन के लिए नए अवसर के रूप में देखने लगे हैं। अब देखते हैं आगे क्या होता है?
जनवरी में तीन आईएएस बन सकते हैं प्रमुख सचिव
खबर है कि जनवरी 2026 में राज्य के तीन आईएएस अफसर प्रमुख सचिव बन सकते हैं। इनमें 2001 बैच की शहला निगार और 2002 बैच के डॉ रोहित यादव और डॉ कमलप्रीत सिंह का नाम चर्चा में हैं। बताते हैं शहला निगार का जनवरी 2026 में प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नति ड्यू है। डॉ रोहित यादव और डॉ कमलप्रीत सिंह को एक साल पहले प्रमोशन का फायदा मिलने की बात सामने आ रही है। राज्य में अभी सुबोध सिंह, निहारिका बारीक और सोनमणि बोरा प्रमुख सचिव हैं। हल्ला है कि अपर मुख्य सचिव ऋचा शर्मा और मनोज पिंगुआ अगले कुछ महीने में केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जा सकते हैं। माना जा रहा है कि प्रतिनियुक्ति पर जाने और प्रमोशन के बाद राज्य में शीर्ष स्तर पर अफसरों के विभागों में बदलाव हो सकता है।
आईपीएस डांगी पर गिरी गाज
एक एसआई की पत्नी के आरोपों के बाद विवादों में घिरे 2003 बैच के आईपीएस रतनलाल डांगी को सरकार ने पुलिस प्रशिक्षण अकादमी के डायरेक्टर के पद से हटाकर पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया है। डांगी को फिलहाल कोई चार्ज नहीं दिया गया है और माना जा रहा है कि जांच पूरी होने तक डांगी साहब बिना काम के ही पीएचक्यू में पदस्थ रहेंगे। रतनलाल डांगी के खिलाफ लगे आरोपों की जाँच आईजी डॉ आनंद छाबड़ा कर रहे हैं। बताते हैं कि शिकायतकर्ता महिला ने जाँच कमेटी के सामने कई साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं। अब जाँच रिपोर्ट में क्या खुलासा होता है, यह आगे ही पता चलेगा, पर डांगी साहब को पुलिस प्रशिक्षण अकादमी के डायरेक्टर के पद से हटाकर पुलिस मुख्यालय में अटैच करने का मतलब है कि उनके खिलाफ शिकायत मजबूत है और सरकार उन्हें बख्शना नहीं चाहती। कहा जा रहा है पुलिस प्रशिक्षण अकादमी के डायरेक्टर का पद कोई प्राइम पोस्टिंग नहीं हैं, पर अकादमी में पुलिस प्रशासन की भावी पीढ़ी को तैयार की जाती है, उनमें कोई गलत संदेश न जाए, इस कारण रतनलाल डांगी को वहां से हटा दिया गया। डांगी साहब कांग्रेस राज में रायपुर के आईजी रहे हैं। भाजपा की सरकार ने डांगी साहब को रायपुर आईजी के पद से हटाकर पुलिस प्रशिक्षण अकादमी में भेजा था। अब डांगी की जगह 2004 बैच के आईपीएस अजय यादव को पुलिस प्रशिक्षण अकादमी का जिम्मा सौंपा गया है।
जनप्रतिनिधि क्यों खफा हैं कलेक्टरों से
कहते हैं एक भाजपा विधायक ने अपने जिले के कलेक्टर की शिकायत मुख्यमंत्री से की है। कुछ दिनों पहले भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने कोरबा कलेक्टर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। कुछ महीने पहले एक कैबिनेट मंत्री और एक कलेक्टर में गर्मागर्म बहस हो गई थी। बताते हैं एक जिले में तो विधायक जी गुस्से में सरकारी कार्यक्रम छोड़कर चले गए। जनप्रतिनिधि और कलेक्टरों के बीच तनातनी से कई सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठने लगा है कि क्या जनप्रतिनिधि कलेक्टरों पर अनावश्यक दबाव बनाने लगे हैं, या फिर कलेक्टर जिलों में अपना एक छत्र राज चलाना चाहते हैं। जिलों में कलेक्टर सरकार के प्रतिनिधि होते हैं, उनके माध्यम से सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन होता है। जनप्रतिनिधि भी जनता की अपेक्षाओं को कलेक्टर के माध्यम से पूरा करवाते हैं। जनप्रतिनिधियों और कलेक्टर के बीच तालमेल न होना राज्य के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता।
निगम अध्यक्ष के जलवे
निगम-मंडल अध्यक्ष बने कुछ भाजपा नेता अपने को अधिकारविहीन मान रहे हैं ,पर ऐसे निगम अध्यक्ष भी हैं जिनके जलवे चर्चा में हैं। बताते हैं ये निगम अध्यक्ष अपनी पसंद के निगम में ताजपोशी कराने में कामयाब रहे और अब कुछ लोगों के लिए मार्केटिंग भी कर रहे हैं। इस निगम अध्यक्ष की संगठन में अच्छी खासी पकड़ हैं और पार्टी के ताकतवर लोगों के चहेते भी हैं। कहते हैं ये निगम अध्यक्ष अपनी ताकत का ढोल पीटने में पीछे नहीं रहते।
सिंचाई विभाग को सुधारने की कवायद
पिछले दिनों मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जल संसाधन विभाग की बैठक लेकर परियोजनाओं और योजनाओं को गति देने और विभाग में शीर्ष स्तर पर खाली पदों को भरने के लिए जल्द प्रमोशन के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर एवं सरगुजा क्षेत्र में बड़ी परियोजनाओं को शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री साय जल संसाधन विभाग के मंत्री भी हैं। आने वाले दिनों में जल संसाधन विभाग में कई परियोजनाएं शुरू होने वाली हैं। जल संसाधन विभाग निर्माण विभाग में आता है। निर्माण विभागों में अफसर ठेकेदारों पर ज्यादा निर्भर हो जाते हैं। मुख्यमंत्री ठेकेदारों से ज्यादा अफसरों को गतिशील बनाना चाहते हैं, जिससे समय सीमा पर परियोजाएं पूरी हों और जनता को उसका फायदा मिले। मुख्यमंत्री ने विभाग में शीर्ष स्तर पर रिक्त पदों को जल्द भरकर कार्य में तेजी के निर्देश दिए । बताते हैं मुख्यमंत्री की मंशा राज्य को जल संसाधन से परिपूर्ण करना हैं, जिससे कृषि उत्पादकता बढे और लोगों को जल संकट का सामना न करना पड़े।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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