० दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में होगा लांच – वृक्ष की अवैध कटाई पर तत्काल सिस्टम के माध्यम से मिलेगी सूचना
० पुरे देश में सिर्फ छत्तीसगढ के उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आधुनिक तकनीकी के माध्यम से होगी अब जंगल की सुरक्षा
० 10 वर्षो के भीतर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में अतिक्रमण व अवैध कटाई से 2862.25 हेक्टेयर जंगल हो गये है कम
जीवन एस. साहू
गरियाबंद। अब तक ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड जैसे देशो में आधुनिक तकनीक के माध्यमों से जंगलो की सुरक्षा किया जा रहा है.लेकिन अब पुरे देश में गरियाबंद जिले के उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के घने जंगलों की सुरक्षा भी आधुनिक तकनीकी के माध्यम से किया जायेगा।जिसके लिए उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक युवा अफसर वरूण जैन ने इसरो के पूर्व छात्रों के मदद से एक साॅफ्टवेयर तैयार करवा रहे है, जो आचार संहिता खत्म होने के बाद दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह से विधिवत इसका शुभांरभ कर जंगल की सुरक्षा आधुनिक तकनीकी से किया जायेगा।
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व पुरे देश में पहला ऐसा जंगल क्षेत्र होगा जिसकी सुरक्षा आधुनिक तकनीकी सॉफ्टवेयर सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से होगा, उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व कॉरिडोर में मानव मूवमेंट तथा पेड़ों की कटाई से टाईगर का मूवमेंट कमजोर होने लगी है. विशेषज्ञों की राय के बाद वन विभाग अब इसरो के पूर्व छात्रों की मदद से एक गूगल अर्थ इंजन आधारित सॉफ्टेवयर एवं ड्रोन पोर्टल बनवा रहा है. यह सॉफ्टवेयर सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर नियर-रियल टाइम (करीब-करीब तुरंत) अलर्ट देगा, इसका फायदा यह होगा कि जंगल में कहीं भी पेड़ की कटाई होगी एआई सैटेलाइट उस क्षेत्र को लाल रंग से दर्शाते हुए संबंधित अफसरों को तत्काल मैसेज भेजा देगा।
ज्ञात हो कि पिछले 10 साल में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में अतिक्रमण के कारण 2862.25 हेक्टेयर जंगल कम हो गए हैं। नए साफ्टवेयर को दिसंबर माह के अंतिम पखवाड़े में लॉच किया जाएगा, इसमें खर्च बहुत कम है, सिर्फ ढाई से तीन लाख रुपए में बनाया जा रहा है.चुनावी आचार संहिता हटने के बाद नए सरकार के हाथों गूगल अर्थ इंजन पर आधारित ये साफ्टवेयर लॉन्च करने की तैयारी किया जा रहा है, उदंती सीतानदी टागयर रिजर्व पहला होगा जहां इस तकनीक की मदद ली जाएगी, इसके बाद यह प्रदेश के दूसरे घने वनों में इस्तेमाल किया जाएगा। वर्तमान समय में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों में इसी पोर्टल से जंगल बचाए जा रहे हैं, गूगल की मुफ्त सेटेलाइट सेवा है, इसी गूगल अर्थ इंजन की एपीआई के उपयोग से कस्टमाइज्ड पोर्टल लांच होगा, प्रोफेसर मैथ्यू हेन्सन एक रिमोट सेंसिंग वैज्ञानिक हैं, जिनके पास बड़े क्षेत्र के भूमि आवरण और भूमि उपयोग परिवर्तन मानचित्रण में अनुसंधान विशेषज्ञता है, उनका शोध बेहतर एल्गोरिदम, डेटा इनपुट और विषयगत आउटपुट विकसित करने पर केंद्रित है।
उदती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया –
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के युवा अफसर उपनिदेशक वरुण जैन ने चर्चा में बताया कि साल 2010 में जंगल को आधार वर्ष मानकर प्रति वर्ष होने वाली कमी को चिह्नांकित किया जा रहा है, अब तक 2020 तक का नक्शा बन चुका है, नया सॉफ्टवेयर इसरो के कुछ पूर्व छात्र बना रहे हैं, इस पोर्टल में वन आवरण के साथ साथ जल आवरण का भी हर 15 दिन में आंकलन कर सकते हैं।वन विभाग के मुताबिक उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व ओडिशा से लगा है.सीमावर्ती होने, नक्सल मूवमेंट तथा वन विभाग में अमले की कमी के कारण इसमें बसाहट बढ़ी है,यही नहीं, लकड़ी तथा वनोपज की तस्करी भी तेजी से बढ़ रही है, इसीलिए सैटेलाइट बेस्ड मॉनिटरिंग पर काम चल रहा है, ताकि हॉट स्पॉट्स को चिह्नांकित कर सकें और रायपुर से भी निगरानी की जा सके।
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक श्री जैन ने बताया कि इस साॅफ्टवेयर से बहुत लाभ मिलेगा घने वनक्षेत्रों में सूखते हुए जलस्त्रोतों को भी इसी इंजन से चिह्नांकित कर सकेंगे, इससे पानी बचाने जरूरी कदम उठाए जाएंगे, नया सॉफ्टवेयर उन इलाकों में निगरानी बढ़ाएगा, जहां वन आवरण कम हो रहा है, इससे शिकारी-तस्करों का दबाव कम होगा।
नए साॅफ्टवेयर में 40 साल की सैटेलाइट इमेजरी मुफ्त उपलब्ध है
नया सॉफ्टवेयर गूगल द्वारा उपलब्ध करवाया एक ताकतवर पोर्टल है, इस पर 40 साल की सैटेलाइट इमेजरी मुफ्त उपलब्ध है, इसका कई देश वानिकी, जल संसाधन, पर्यावरण बदलाव एवं कृषि कार्यों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. इस सिस्टम के जरिए सर्वे एवं मैपिंग ड्रोन के उपयोग से पौधरोपण क्षेत्र, तालाब निर्माण, भू-जल संरक्षण कार्यों को मैपिंग कर पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। जिससे इन कार्यों की प्रति वर्ष ड्रोन से मैपिंग कर इनके परफॉरमेंस एवं तुलना की जा सके, पौधों का विकास, पौधों की गिनती, भू-जल संरक्षण कार्य को मोबाइल या डेस्कटॉप पर देख सकेंगे, ड्रोन मैपिंग क्षेत्र को 5 सेमी लेवल तक जूम करके एचडी इमेज देख सकते है।
इसके पूर्व भी युवा उपनिदेशक के प्रयास से मानव और हाथी द्वंद्व को रोकने ‘एलीफेंट अलर्ट’ एप बनाया गया है.
और अब इससे मिलने लगी है लाभ
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी हाथियों से बढ़ते जनहानि को रोकने एलिफेंट एप के मदद लिया जा रहा है इसे भी बनाने से लेकर उसके सफल क्रियान्वयन में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के युवा उपनिदेश वरुण जैन और उनकी टीम की भूमिका अहम रही। जैन ने बताया कि इस एप की भूमिका के अलावा अभयारण्य के प्रभावित 5 रेंज के 1200 स्क्वेयर किमी एरिया में 24 घंटे निगरानी कर रहे 20 हाथी मित्र व 70 से ज्यादा वन कर्मी अफसरों की कड़ी मेहनत भी शामिल है.