नेशनल न्यूज़। विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के सहारे इंडिया गठबंधन में शामिल दलों पर दबाव बनाने की मंशा पालने वाली कांग्रेस की रणनीति नतीजे आने के बाद उसी पर भारी पड़ रही है। गठबंधन में कांग्रेस को लेकर कलह मची हुई है। क्षेत्रीय दल कांग्रेस की हार को उसके अहंकार और सहयोगी दलों की अनदेखी का नतीजा बता रहे हैं। वहीं, टीएमसी, शिवसेना, जदयू व सपा ने नतीजों के बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पर क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व स्वीकार करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी के फॉर्मूले पर आगे बढ़ने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि भाजपा को हराने के लिए जिस राज्य में जो भी क्षेत्रीय दल प्रभावी हैं, उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाना चाहिए। वहीं, सहयोगी दलों से जुड़े नेताओं ने दबी जुबान में कहा, कांग्रेस को लगा कि बड़ी जीत हासिल कर वह सहयोगी दलों के साथ मजबूत बनकर सौदेबाजी करेगी। यही कारण है कि पार्टी ने न तो सीट बंटवारे की सलाह मानी और न ही संयुक्त जनसभा पर बनी सहमति का पालन किया। सीट बंटवारे के सवाल से बचने के लिए गठबंधन की बैठक तक नहीं होने दी। अब सारे दांव उल्टा पड़ने के बाद कांग्रेस को गठबंधन की याद आई है।
जदयू ने साधा तीखा निशाना
नतीजों को लेकर जदयू नेता और बिहार के मंत्री विजय चौधरी व अशोक चौधरी ने कहा कि कांग्रेस अहंकार की वजह से हारी है। इंडिया गठबंधन में किसके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा, यह तय होना चाहिए। नीतीश को आगे लाने से फायदा होगा।
गठबंधन की बैठक में नहीं जाएंगी ममता
प. बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वह छह दिसंबर को दिल्ली में होने वाली विपक्षी गठबंधन की बैठक में नहीं जा पाएंगी। उन्होंने कहा िक वह तारीख से अनभिज्ञ थीं। उन्होंने कहा, सीट बंटवारे में संवदेनशीलता दिखाकर कांग्रेस हिंदीपट्टी के तीन राज्यों में जीत सकती थी, पर इस पर ध्यान नहीं दिया।