#संपादकीय

कही-सुनी (07 DEC-25) : नई गाइड लाइन और निशाने पर मंत्री ओ पी चौधरी

Advertisement Carousel

रवि भोई की कलम से

छत्तीसगढ़ की सरकार ने जमीन रजिस्ट्री की नई गाइडलाइन जारी की है। नई गाइडलाइन में बाजार मूल्य और जमीन रजिस्ट्री की दरें एक सामान हो गई हैं, पर इस बदलाव से रजिस्ट्री दरें 100 से 800 फीसदी उछल गई हैं। बताते हैं कुछ जगहों पर रजिस्ट्री दरें 1000 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई हैं। इससे जमीन के कारोबारी, बिल्डर और आम लोग उत्तेजित हैं। दुर्ग और अन्य जगह पर जमीन कारोबारियों ने मंत्री ओ पी चौधरी का पुतला जलाया और सड़क भी जाम किया। नई गाइडलाइन से राज्य में जमीन का कारोबार एक तरह से ठप्प पड़ गया। मंत्री ओ पी चौधरी पंजीयन मंत्री हैं, इस कारण जवाब भी वही दे रहे हैं और लोगों के गुस्से के शिकार भी। आमतौर पर जमीन रजिस्ट्री गाइडलाइन हर साल कुछ न कुछ बढ़ता है, जिससे सरकार के राजस्व में कुछ वृद्धि हो, पर हवाई जहाज की स्पीड से पहली बार बढ़ा है। इसे लोग स्वीकार ही नहीं कर पा रहे हैं। जमीन में कच्चे और पक्के का खेल सालों से चला आ रहा है। इसे एक दिन या एक झटके में बंद नहीं किया जा सकता। इसे सरकार को समझना होगा। इस मुद्दे में कांग्रेस अलाव में आग तापने का काम जरूर कर रही है, पर सरकार को हिला नहीं पा रही है। इस मुद्दे में भाजपा का एक तबका जमीन कारोबारियों के साथ हैं,क्योंकि नेतागीरी के साथ जमीन के कारोबार में भी हाथ आजमाते हैं। अब देखते हैं लोगों के उबाल के सामने सरकार कदम पीछे खींचती हैं या अपने फैसले पर अडिग रहती है। वैसे बिजली छूट के मुद्दे पर सरकार 100 से 200 यूनिट की,तो लोगों को आस है नई गाइडलाइन मुद्दे में भी कुछ राहत मिलेगी।

विधायक जी ने बनाई नई कंपनी

चर्चा है कि भाजपा के एक विधायक जी ने अपने रिश्तेदार के नाम से एक प्रचार एजेंसी बनाई है और सरकारी संस्थाओं के प्रचार-प्रसार का काम लेना शुरू कर दिया है। बताते हैं पहली बार के विधायक जी जमीनी नेता नहीं हैं। भाजपा की लहर में जीत गए और टिकट भी फेस वेल्यू पर मिल गया। खबर है कि भाजपा के जमीनी नेता अबकी बार विधायक जी को उनकी जमीन दिखाने की ठान ली है। विधायक जी के बारे में हल्ला है कि वे अपने विधानसभा में गदर मचा के रखे हैं। कुछ फैक्टरियों में अपनी गाड़ी लगवा ली है, तो कुछ के साथ महीने की डीलिंग कर ली है। वैसे भी विधायक जी जिस विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहां के जनप्रतिनिधि में यह अवगुण तो आ ही जाता है, फिर फर्स्ट एंड लास्ट में अपना नाम दर्ज करवा लेते हैं। भाजपा के नए-नवेले विधायक जी भी शायद अपने पूर्ववर्तियों का अनुशरण कर रहे हैं।

पांच कलेक्टरों के तबादले का प्रस्ताव

खबर है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के पांच कलेक्टरों के तबादले का प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजा है। राज्य में एस आई आर के चलते के सरकार को कलेक्टरों के तबादले के लिए भारत निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी होगी। चर्चा है कि सरकार ने जिन पांच कलेक्टरों के तबादले का प्रस्ताव भेजा है, उनमें एक दुर्ग संभाग, एक रायपुर संभाग, एक बिलासपुर संभाग, एक बस्तर संभाग और एक सरगुजा सभाग में कलेक्टर हैं। कलेक्टरों के तबादले के प्रस्ताव के साथ कोरबा कलेक्टर का मामला सुर्ख़ियों में आ गया है। पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर राज्य के मुख्य सचिव विकासशील से मिले थे। सुनने में आ रहा है कि कंवर ने चीफ सेक्रेटरी से कलेक्टर की शिकायत की और कोरबा कलेक्टर को बदलने की मांग की। अब देखते हैं ननकीराम की बात कितनी सुनी जाती है।

सचिव साहब की भभकी

कहते हैं कि राज्य के एक सचिव साहब अपने मातहतों को गीदड़ भभकी देने के लिए चर्चित हो चले हैं। बताते हैं सचिव साहबअपने मातहतों को कभी सीबीआई का डर दिखाते हैं तो कभी ईडी का।सचिव साहब अपने को बड़े पाक-साफ़ और ईमानदार बताते हैं। सचिव साहब जब कलेक्टर थे, तब सुर्ख़ियों में आए थे और तब उनके वरिष्ठ अफसर ने उन्हें नोटिस भी थमा दिया था। समय-समय की बात है। अब वे वरिष्ठ हो गए तो शेर बन गए और अपने मातहतों को गुर्राने लगे हैं। सचिव साहब की भभकियों से परेशान कुछ महिला अफसरों ने अपना विभाग ही बदलवा लिया और उनसे मुक्ति पा ली। चर्चा है कि सचिव महोदय की आदत से मातहत काम में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और विभाग रसातल में जा रहा है, जबकि सरकार ने तेजतर्रार छवि के चलते उन्हें विभाग में जान फूंकने और ऊंचाई में पहुँचाने के लिए पदस्थ किया है।

ओएसडी ने मंत्री जी को लगा दी चपत

खबर है कि ओएसडी साहब ने राज्य के एक मंत्री महोदय को लंबी चपत लगा दी। चर्चा है कि एक काम के बदले करोड़ों के डील में मंत्री महोदय को 25 फीसदी ही मिला। ओएसडी साहब 75 फीसदी हिस्सा डकार गए। बताते हैं कि ओएसडी साहब मंत्री जी के बड़े भरोसे के आदमी थे। मंत्री जी सभी तरह के काम धाम ओएसडी के मार्फ़त ही करवाते थे। सुनने में आ रहा है कि ओएसडी साहब मंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र के ही रहने वाले हैं और दोनों की जान-पहचान काफी पुरानी है। मंत्री जी पहली बार विधायक बने हैं, पर विधायक बनने से पहले सत्ता के कई घाट का पानी पी चुके हैं। पर इस मामले में मंत्री जी को न तो कुछ बोलते बन रहा है और न ही सहन कर पा रहे हैं। भाजपा के भीतर इस घटना का चटखारे लिया जा रहा है।

मंत्री जी का नया पैतरा

चर्चा है कि राज्य के एक मंत्री जी ने विभाग में ठेके और अन्य कामों में वसूली के लिए नया पैतरा अपनाया है। बाकायदा इसके लिए अपने दो विश्वसनीय लोगों की विभाग में पोस्टिंग करवाई है। दोनों विश्वसनीय मंत्री जी के विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। बताते हैं मंत्री जी के विश्वसनीय लोग दूसरे फील्ड में महारत रखते हैं, पर उन्हें ऐसा काम दे दिया गया है, जिसके बारे में वे जानते ही नहीं हैं। अब मंत्री जी का फरमान है, तो कोई कुछ नहीं बोल रहा है, पर कानाफूसी तो चल ही रही है। खबर है कि मंत्री जी के विश्वसनीय लोगों का काम विभाग में चल रहे कामों को देखना और मंत्री जी के लिए उचित व्यवस्था करवाना है। अब देखते हैं यह व्यवस्था कितने दिन तक चलती है। बताते हैं मंत्री जी अपनी जेब गर्म करने के लिए पहले अपने एक निज सचिव पर निर्भर रहते थे। अब नया रास्ता अपनाया है।

बहती गंगा में डुबकी की कोशिश

कहते हैं एक अध्यक्ष महोदय धान खरीदी के मौसम में अपना भी कुछ भला कर लेना चाहते हैं। अध्यक्ष महोदय जिस संस्था के प्रमुख हैं, उस संस्था की प्रदेश इकाई से लेकर गांव-गांव तक धान खरीदी में सक्रिय भूमिका निभाता है। संस्था धान खरीदी के नाम पर नापतौल उपकरण से लेकर अन्य सामानों की व्यवस्था भी करती है। चर्चा है कि अध्यक्ष महोदय अपने कुछ अफसरों को इस खरीदी में हिस्सेदारी के काम में लगा दिया है। बताते हैं अध्यक्ष काम की मॉनिटरिंग में भी लगे हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )