रायपुर। आवारा घूमते हुए मवेशियों और उनसे होने वाली घटनाओं तथा हरियाली को नुक़सान पहुँचाना अब बर्दाश्त से बाहर हो गया है,ऐसा प्रतीत होता है की जैसे आपे किसी प्रदेश की राजधानी में नहीं अपितु किसी अव्यवस्थित गाँव में घूम रहे हों।
बेहतर होगा कि एनआरडीए इन पशुओं को पकड़ने की स्वयं ही व्यवस्था बनाकर हरियाली को बचाये और उनके द्वारा सभी सड़कों पर की जा रही गंदगी को ख़त्म करे। रायपुर नगर निगम पर उसे नहीं आश्रित रहना चाहिए।
इन आवारा मवेशियों को पकड़ कर या तो जंगल सफारी में छोड़ दिया जाये या फिर राखी गाँव की गोठान में राज्य सरकार की योजना अनुसार रख दिया जाये।नया रायपुर के राखी गांव के गोठान का निरक्षण किया गया तो वहा ताला लगा हुआ था,गोठान में एक भी गाय नजर नहीं आई, यहां करीब 300 गायों की व्यवस्था की गई है जो की अब पूरा वीरान और बंजर पड़ा हुआ हैं।
नया रायपुर में शासन की स्टेटमेंट गोठान योजना का व्यवस्थित रूप दिखाने के लिए राखी गाँव की गोठान की छमता १०००० हज़ार मवेशियों के लिए बनाकर योजना का क्रियान्वयन करना चाहिए और उसे एक टूरिस्ट स्पॉट बनाते हुए स्वयं की आय का स्रोत बनाकर दर्शाना चाहिए।यहाँ पर गोबर द्वारा निर्मित खाद , गोबर गैस से संचालित खाना बनाने की व्यवस्था और अन्य इलेक्ट्रिसिटी इक्विपमेंट को चलाने का प्रदर्शन करना चाहिए ।इसको करने के लिए जो भी व्यवस्था चाहिए वह शासकीय या फिर किसी एनजीओ के माध्यम से तुरंत क्रिन्यवयन करना चाहिए।
नया रायपुर में अनुमानित 20 हजार से अधिक आवारा पशु घूम रहे है और पशुओं के इन झुंड को आसानी से खुली सड़क के बीच देखा जा सकता है।रात में तो यह बनी हुई बिल्डिगों के बेसमेंट में चली जाती हैं और गन्दगी भी कर देती हैं।
सार्वजनिक स्थल और सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों की धरपकड़ में ढिलाई की वजह से आए दिन नई राजधानी न भी हादसे होते रहते हैं।मवेशियों के झुंड की वजह से रात में भी हादसे बढ़ जाते हैं।
खुले घूमते मवेशी को खतम करना एक चुनौतीपूर्ण काम हैं जिसे खत्म करना निश्चित तौर पर जरूरी हैं और एनआरडीए के अधिकारियों का प्रथम दायित्व भी है।