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समुद्रयान : अब समुद्र फतह करने की तैयारी में भारत, क्या है समुद्रयान, क्यों अहम है यह मिशन?

नेशनल न्यूज़। अंतरिक्ष की तरह ही समुद्र भी रहस्यों को समाए हुए है। दुनियाभर में समुद्र को लेकर कई खोजें हुई हैं, अब इस कड़ी में भारत भी अपना मिशन भेजने की तैयारी में है। लिहाजा हमें जानना चाहिए कि समुद्रयान मिशन क्या है? मिशन को लेकर अभी क्या हुआ है? इसका उद्देश्य क्या है? समुद्रयान को कब तक भेजा जाएगा?

समुद्रयान मिशन क्या है?
समुद्रयान परियोजना के तहत गहरे समुद्र के भीतर तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक सफलतापूर्वक ले जाने की योजना है। अक्टूबर 2021 में चेन्नई से भारत के पहले मानव युक्त समुद्र मिशन ‘समुद्रयान’ का शुभारंभ किया गया था। समुद्रयान, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक स्वदेशी समुद्री मिशन है।

इस पूरी समुद्रयान परियोजना के लिए छह हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें लगे वाहन को मत्स्य-6000 नाम दिया गया है जो टाइटेनियम धातु से बना है। इसका व्यास 2.1 मीटर है। यह यान तीन लोगों को समुद्र की गहराई में ले जाने में सक्षम है।

मिशन को लेकर अभी क्या हुआ है?
सोमवार को समुद्रयान मिशन से जुडी तस्वीरें सामने आईं। मिशन में इस्तेमाल होने वाली मत्स्य-6000 की तस्वीरों को साझा करते हुए केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि इसका निर्माण चेन्नई में स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान में किया जा रहा है। इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि समुद्रयान में गहरे समुद्र के संसाधनों का अध्ययन करने वाली योजना समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को अस्त-व्यस्त नहीं करेगी। यह योजना प्रधानमंत्री की नीली अर्थव्यवस्था वाली नीति का समर्थन करती है।

इसका उद्देश्य क्या है?
मिशन में जाने वाला वाहन मानव युक्त सबमर्सिबल मत्स्य-6000 निकल, कोबाल्ट, दुर्लभ मृदा तत्व, मैंगनीज आदि से समृद्ध खनिज संसाधनों की खोज में गहरे समुद्र में मानव द्वारा प्रत्यक्ष अवलोकन की सुविधा प्रदान करेगा। इसके साथ ही मिशन कई तरह के नमूनों का संग्रह करेगा जिनका उपयोग बाद में विश्लेषण के लिए किया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि लाभ के रूप में मिशन से वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा इस मिशन से संपत्ति निरीक्षण, पर्यटन और समुद्री साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा।

भारत की समुद्री स्थिति बहुत व्यापक है जिसमें नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों के साथ 7,517 किलोमीटर लंबी तटरेखा भी है। मंत्री के अनुसार, इस मिशन का उद्देश्य केंद्र सरकार के ‘न्यू इंडिया’ के उस दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है जो नीली अर्थव्यवस्था को विकास के दस प्रमुख आयामों में से एक के रूप में उजागर करता है।

समुद्रयान को कब तक भेजा जाएगा?
2024 की दूसरी तिमाही तक मत्स्य-6000 के परीक्षण के लिए तैयार हो जाने की उम्मीद है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि समुद्रयान अभियान के अगले तीन साल में साकार होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि इस वाहन का डिजाइन तैयार कर लिया गया है और वाहन के विभिन्न उपकरणों और घटकों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। यह मानव सुरक्षा के लिए सामान्य संचालन के अंतर्गत 12 घंटे और आपातस्थिति में 96 घंटे की धारण क्षमता रखता है।

बता दें कि केंद्र ने पांच साल के लिए 4,077 करोड़ रुपये के कुल बजट में गहन सागर मिशन को स्वीकृति दी थी। तीन वर्षों (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2021 और 2022 में लगातार दो वर्षों के अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में गहन समुद्र अभियान (डीप सी मिशन) का उल्लेख किया था।

मिशन की अहमियत क्या है?
परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अभियान नीली अर्थव्यवस्था के युग में भारत के उन प्रयासों की शुरुआत करता है जो आने वाले वर्षों के दौरान भारत की समग्र अर्थव्यवस्था के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहे हैं।

वहीं, अक्तूबर 2021 में इस मिशन पर काम करने की शुरुआत के साथ ही भारत अमेरिका, फ्रांस, रूस, जापान और चीन जैसे उन्नत प्रौद्योगिकी वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया था।

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