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महालया अमावस्या कब है, जानें महत्व और पितरों की मुक्ति के लिए विशेष श्राद्ध पूजा विधि

महालया अमावस्या को पितरों के तर्पण और श्राद्ध को करने के लिए बहुत ही विशेष माना जाता है। महालया अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल महालया अमावस्या 2 अक्टूबर, बुधवार के दिन है। पितृपक्ष में पड़ने वाली महालया अमावस्या पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए भी जानी जाती है। महालया अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध करने से न केवल उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है बल्कि तर्पण करने वाले व्यक्ति के पुण्य कर्मों में भी वृद्धि होती है। आइए, जानते हैं महालया अमावस्या का महत्व और पूजा विधि।

महालया अमावस्या कब है
हिन्दू पंचांग के अनुसार, महालया अमावस्या नवरात्र की शुरुआत और पितृपक्ष के अंत का प्रतीक है। वैदिक पंचांग के अनुसार, नवरात्र की शुरुआत और पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है। आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09 बजकर 38 मिनट पर आरंभ होगी। वहीं इस तिथि का अंत 2 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 19 मिनट पर होगा, यानी 3 अक्टूबर की शुरुआत हो जाएगी। ऐसे में सूर्य उदय तिथि के अनुसार महालया अमावस्या 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

महालया अमावस्या का महत्व
पितृपक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को महालया अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या और विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। पितृपक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म करके उनकी आत्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। कुछ लोग महालया अमावस्या पर अपने सभी पितरों का तर्पण करते हैं। पितृदोष से मुक्ति के लिए महालया अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध भी बहुत महत्व रखता है। पितृदोष दूर होने से जीवन में तरक्की और सुख-समृद्धि का वास होता है।

महालया अमावस्या पूजन विधि
महालया अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद दक्षिण दिशा में पितरों को जल अर्पित करें। इसके बाद घर पर सात्विक भोजन बनाकर पितरों के नाम का भोजन निकालकर दक्षिण दिशा में रख दें। इसके बाद ब्राह्मण, गरीब, गाय, कुत्ता और कौए के लिए भी भोजन खिलाएं। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसी के साथ शाम के समय दक्षिण दिशा में दीया भी जलाएं।

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