छठ महापर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड राज्यों नें विशेष महत्व रखने वाला पर्व है। दीवाली के बाद से ही छठ की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। छठ व्रत रखने वाले लोग ज्यादातर लोग अपने घर जाकर इस महापर्व में शामिल होते हैं। छठ पूजा के विशेष महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छठ पर घर जाने के लिए ट्रेन, फ्लाइट टिकट की बुकिंग काफी पहले से ही शुरू हो जाती है। आइए, विस्तार से जानते हैं छठ पूजा की तारीख।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा एक बहुत ही कठिन व्रत होता है। चार दिवसीय छठ पूजा में लोग अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि, बच्चों की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं। इस व्रत में सूर्य की पूजा की जाती है जिससे हमें जीवन में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। छठ पूजा में लोग बहुत सारे नियमों का पालन करते हैं। छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाई जाती है। लोग अपने परिवार की खुशहाली के लिए यह व्रत रखते हैं।
5 नवंबर से शुरू होगा चार दिवसीय छठ पर्व
छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इस चार दिवसीय उत्सव में व्रत और पूजा शामिल है, जिसकी शुरुआत नदी स्नान से होती है। पहले दिन व्रती नदी में स्नान करके भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग खाते हैं। दूसरे दिन खरना होता है, जहां शाम को गुड़ की खीर बनाकर छठ मैय्या को भोग लगाया जाता है और पूरा परिवार प्रसाद ग्रहण करता है। तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ के चौथे यानी अंतिम दिन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन होता है। यह त्यौहार सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। नहाय-खाय से लेकर उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक, छठ पर्व का प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
छठ पूजा की तिथियां (Chhath Puja 2024 Dates)
नहाय खाय (5 नवंबर 2024): छठ पूजा के पहले दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
खरना (6 नवंबर 2024): दूसरे दिन, व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाए जाते हैं।
संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024): तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
प्रातःकालीन अर्घ्य (8 नवंबर 2024): चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं।
छठ पूजा का प्रसाद भी है विशेष
छठ पूजा में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है। सबसे पहले ये सारी चीजें सूर्यदेव और छठी मैय्या को अर्पित की जाती है।