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कही-सुनी (24 NOV-24) : सुनील सोनी की जीत से बढ़ेगा बृजमोहन का कद

रवि भोई की कलम से

उम्मीद के अनुसार रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी सुनील सोनी चुनाव जीत गए। सुनील सोनी भले बृजमोहन अग्रवाल की बराबरी नहीं कर पाए, लेकिन 46 हजार से अधिक वोटों के अच्छे खासे अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा को हरा दिया। हार -जीत के अंतर में सुनील सोनी ने सबको चौंका दिया। लोग अनुमान लगा रहे थे कि सुनील सोनी 10-15 हजार के वोटों के अंतर से जीत जायं, तो बड़ी उपलब्धि होगी। सुनील सोनी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज कर, ऐसे ही लोगों को चौंकाया था। कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा का दक्षिण विधानसभा की जनता से कोई कनेक्शन न होने से उन्हें नुकसान हुआ। दक्षिण के लोग चुनाव के दौरान ही आकाश से मिले। कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर लड़ाई अच्छी लड़ी, पर बृजमोहन अग्रवाल की रणनीति के आगे कांग्रेस के हथियार भोथरे साबित हो गए। सुनील सोनी के मुकाबले में आकाश शर्मा की उम्मीदवारी की घोषणा से लोग कहने लग गए थे कि बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस में दांव खेल लिया। कहा जा रहा है कि सुनील सोनी की जीत से पार्टी के भीतर बृजमोहन अग्रवाल की साख बढ़ जाएगी। कहते हैं बृजमोहन ने सुनील सोनी को जितवाने में अपनी पूरी प्रतिष्ठा लगा दी थी। इस कारण सुनील सोनी की जीत का श्रेय बृजमोहन को दिया जा रहा है।

अब क्या सुनील सोनी मंत्री बनेंगे ?

जीत के साथ अब चर्चा भी शुरू हो गई है कि सुनील सोनी जल्द विष्णुदेव साय की कैबिनेट में मंत्री बनेंगे। राज्य की साय मंत्रिमंडल में अभी मंत्री के दो पद खाली हैं। बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद राजधानी का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। हल्ला है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नए साल में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के पहले मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। इस विस्तार में सुनील सोनी का नंबर लग सकता है। सुनील सोनी ओबीसी नेता होने के साथ सोने -चांदी के व्यवसायी भी हैं। वैसे मंत्री की दौड़ में कई विधायक हैं।

दामाद को नहीं जितवा पाए राजेश तिवारी

बताते हैं दक्षिण विधानसभा सीट से पराजित कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी राजेश तिवारी के दामाद हैं। राजेश तिवारी कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री के सलाहकार भी रह चुके हैं। राजेश तिवारी को प्रियंका गाँधी का भी करीबी कहा जाता है। चर्चा है कि प्रियंका गाँधी से नजदीकी के चलते राजेश तिवारी ने दामाद के लिए टिकट का जुगाड़ कर दिया, पर जितवा नहीं पाए। आकाश शर्मा को टिकट मिलने के बाद से ही दक्षिण के दावेदार रहे प्रमोद दुबे,कन्हैया अग्रवाल और अन्य बगावती तेवर में आ गए थे। आकाश शर्मा के लिए कांग्रेस के बड़े नेता मैदान में उतरे, पर कार्यकर्ताओं में करंट नहीं दिखा और इसका असर वोटिंग पर दिखा। कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपने परंपरागत वोटर को ही बूथ तक ला नहीं पाए।

एक मंत्री जी पिक्चर से गायब

चर्चा है कि राज्य के एक मंत्री इन दिनों पिक्चर से गायब हो गए हैं। सार्वजानिक कार्यक्रमों में बहुत ही कम नजर आते हैं। नए नवेले मंत्री रहते सुर्ख़ियों में रहने वाले मंत्री जी पिछले दिनों बस्तर विकास प्राधिकरण की बैठक में भी नजर नहीं आए। मुख्यमंत्री के साथ कई मंत्री फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ देखने गए, उसमें भी मंत्री जी नहीं दिखे।मंत्री जी अभी तक किसी बड़े कार्यक्रम में दिखे नहीं। उनका सार्वजनिक बयान भी गाहे -बगाहे आ रहा है। मंत्री जी का दिखाई न देना, लोगों में चर्चा का विषय बना है।

अफसरों का नया प्रयोग

कहते हैं कुछ अफसरों ने पाक-साफ़ रहने का नया तरकीब ढूढ़ निकाला है। चर्चा है कि राज्य के कुछ अफसर अपने कमरे में आवाज की रिकार्डिंग वाला वीडियो कैमरा लगा लिया है, जिससे उनसे मिलने आने वाले का रिकार्डिंग के साथ आवाज भी कैद हो जाय। खबर है कि एक विभागाध्यक्ष ने अपने कई मातहतों के कक्ष में ऐसे ही कैमरे लगवा दिए हैं। वायस रिकार्डिंग वाले वीडियो कैमरे की खबर से लोग अब संभल के बातचीत करने लगे। अब देखते हैं इससे कामकाज में कितनी पारदर्शिता आती है। वैसे भी पारदर्शिता के कई प्रयोग हो चुके हैं। आईएफएस अधिकारी अलोक कटियार जब पीएमजेएसवाय के सीईओ थे, तब उन्होंने अपने कमरे में कैमरे लगा रखा था और बाहर टीवी स्क्रीन पर सब कुछ दिखता रहता था।

ई-कुबेर के चक्रव्यूह में वन महकमा

कहते हैं कि राज्य का जंगल विभाग ई-कुबेर के चक्रव्यूह में ऐसे फंस गया है कि न तो उसे खाते बन रहा है और न ही निगलते। ई-कुबेर एक भुगतान प्रणाली है, जिसकी निगरानी भारतीय रिजर्व बैंक कर रहा है। ई-कुबेर के फेर में विभाग का ईको सिस्टम ही बिगड़ गया है। न तो काम हो रहे हैं और न ही भुगतान। विभाग को ई -कुबेर के चक्रव्यूह से निकलने का रास्ता भी नहीं सूझ रहा है। बताते है अभी विभाग 10 से 15 फीसदी बजट ही खर्च कर पाया है। सवाल है कि 85 फीसदी बजट अगले तीन-चार महीने में खर्च कैसे करेगा ?

कांग्रेस के ख्याली पुलाव में उलझे भूपेश

महाराष्ट्र में सत्ता पाने के ख्वाब में कांग्रेस ने नतीजों से पहले ही प्यादे फिट करने शुरू कर दिए थे और अपने सिपहसालारों को ड्यूटी पर तैनात कर दिया था। बताते हैं सेनापति के तौर पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी 22 नवंबर की शाम मुंबई पहुंच गए थे। भूपेश बघेल कुछ कर पाते उससे पहले महाराष्ट्र की जनता ने ही कांग्रेस को आईना दिखा दिया। कहते हैं भूपेश बघेल 24 घंटे के भीतर ही छत्तीसगढ़ लौट आए और कांग्रेस विधायकों को गोपनीय स्थान पर ले जाने वाले प्लेन विमानतल पर ही खड़े रह गए। महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को इतनी सीटें दे दी कि वहां किसी को खेल करने का मौका ही नहीं मिला।

ओहदे से प्रेम

कहते हैं जल संसाधन विभाग के करीब आधा दर्जन अधिकारी संविदा अवधि खत्म होने के बाद भी दफ्तर जाने और काम करने का मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं। कहा जा रहा है कि संविदा पीरियड खत्म होने के बाद भी साधन -सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं और अपने ओहदे को बनाए हुए हैं। उम्र ढ़लने के बाद भी पद नहीं छोड़ने के कारण नई पीढ़ी के लिए रास्ता जाम हो गया है। चर्चा है कि सेवानिवृति के बाद संविदा, फिर संविदा के बाद कुर्सी पर जमे रहने से जल संसाधन विभाग की धार धीमी पड़ गई है।

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