मुंबई। महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 80 फीसदी सीटें जीतकर इतिहास रच दिया, तो भाजपा ने 132 सीटें जीतकर अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। पार्टी अपने दम पर बहुमत से सिर्फ 13 सीटें कम है। सहयोगी शिवसेना की 57, एनसीपी (अजीत) की 41 व तीन छोटे सहयोगियों की चार सीटाें के साथ महायुति ने 288 में से 234 सीटों पर बंपर जीत हासिल की है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी (एमवीए) को झटका लगा, वह सिर्फ 50 सीटों पर सिमट गया।
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के सात महीने में ही खेला हो गया
शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे दिग्गजों को पटखनी देकर महायुति ने सात माह पहले आम चुनाव में मिली हार का बदला ले लिया। कांग्रेस के कई बड़े मोहरे धराशाई हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, बाला साहेब थोराट जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता अपनी सीट तक नहीं बचा पाए। पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत विलासराव देशमुख के दो बेटों में एक धीरज देशमुख को हार का सामना करना पड़ा, जबकि अमित कड़े मुकाबले में जीते। उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे भी कड़े संघर्ष में ही जीत पाए। उद्धव की शिवसेना जिसने पिछली बार 16 सीटें अकेले मुंबई में जीती थीं, वह पूरे प्रदेश में वह 20 पर ही सिमट गई। शरद पवार 2019 की तरह किंगमेकर बनने का ख्वाब देख रहे थे, जो बिखर गया। दिवंगत एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी का बेटा जीशान व राज ठाकरे का बेटा अमित भी चुनाव हार गए।
अब भाजपा का बनेगा मुख्यमंत्री
महायुति में भाजपा का सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट है। 149 सीटों पर मैदान में उतरी भाजपा ने 132 सीटें जीती हैं। ऐसे में इस बार उसका मुख्यमंत्री बनना तय है। पर पार्टी किसे मुख्यमंत्री बनाएगी यह अभी तय नहीं है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा से 1% वोट से आगे था एमवीए…इस चुनाव में 15% से पिछड़ा
महाराष्ट्र विधानसभा : कुल सीट 288 बहुमत : 145
234 सीटें महायुति गठबंधन को
पार्टी सीटें
भाजपा 132
शिवसेना (शिंदे) 57
एनसीपी (अजीत) 41
अन्य सहयोगी 04
50 सीटें महाविकास आघाड़ी को
पार्टी सीटें
शिवसेना (उद्धव) 20
कांग्रेस 16
एनसीपी (शरद) 10
सपा+अन्य 4
दोनों गठबंधन से इतर : 8 सीटें
ऐसी जीत…भाजपा का स्ट्राइक रेट 89%
महायुति सिर्फ जीता नहीं, बल्कि अगले-पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। जीत की दर (स्ट्राइक रेट) के मामले में भाजपा सबसे आगे रही। उसने 149 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 132 जीत गए। इस तरह उसका स्ट्राइक रेट 89.26 फीसदी रहा। वहीं, शिवसेना (शिंदे) के 81 में 57 उम्मीदवार जीते और जीत की दर 70.3 फीसदी रही। राकांपा (अजीत पवार) ने 59 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके 69.5 फीसदी यानी 41 उम्मीदवार जीते।
जाहिर है, महाराष्ट्र की महाजीत में भाजपा के स्ट्राइक रेट ने सबसे अहम भूमिका निभाई। यदि भाजपा भी अपने सहयोगियों की तरह 69 या 70 फीसदी सीटें जीतती, तो महायुति की करीब 30 सीटें कम हो जाती और पार्टी अपना मुख्यमंत्री बनाने से चूक जाती।
शिंदे सेना पर मुहर
शिवसेना को 2019 के चुनाव में 56 सीटें मिली थीं। बंटवारे के बाद पहले चुनाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अपने दम पर 57 सीटें जीत लीं।
असली और नकली शिवसेना की लड़ाई हालांकि सुप्रीम कोर्ट में है, पर महाराष्ट्र की जनता ने तो फैसला सुना दिया।
उद्धव ठाकरे फिर वहीं खड़े दिख रहे हैं, जहां वह पार्टी के दोफाड़ होने पर पहुंच गए थे।
अजीत हीरो साबित
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार हीरो साबित हुए। उन्होंने न केवल चाचा शरद पवार को सीटों के मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया, बल्कि विरासत भी पा ली।
लोकसभा चुनाव में 3.60% मत पाकर एक सीट जीतने वाले अजीत गुट ने अब 9% मत हासिल किए। वहीं, शरद पवार की एनसीपी ने 86 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से सिर्फ 10 विजयी हुए।
शरद पवार की राजनीतिक कॅरिअर की सबसे बड़ी हार
84 साल की उम्र में शरद पवार राजनीति की सबसे बड़ी शिकस्त खा गए। हालत इतनी खराब रही कि उनकी पार्टी को मिली सीटें अन्य के खाते में गई सीटों के करीब पहुंच गईं। एनसीपी (शरद पवार) को 10 और अन्य के खाते में 08 सीटें रहीं। वहीं, अजीत गुट ने राज्य में सिर्फ 59 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और 41 पर जीत हासिल की।
नेता प्रतिपक्ष पद के लायक विधायक भी नहीं…
एमवीए की हालत इतनी खराब है कि इसके घटक दलों में से कोई भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर दावा नहीं कर सकता। नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के पास कम से कम 29 विधायक होना चाहिए। इस बार विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के पास सिर्फ 20 विधायक हैं।