प्रयागराज। प्रयागराज महाकुंभ से इन दिनों भोपाल की हर्षा रिछारिया सुर्खियों में हैं। एंकरिंग-मॉडलिंग का करियर छोड़कर साध्वी का रूप धारण किया तो विवाद खड़ा हो गया। निरंजनी अखाड़े के रथ पर सवार हो शाही स्नान करने पर उनके चर्चा में आने से कुछ साधु-संतों ने उन्हें फटकार लगाई, पाखंडी भी कह दिया, जबकि कई महात्माओं ने उनका बचाव भी किया है। महाकुंभ में साध्वी की वेशभूषा में वायरल हो रही हर्षा रिछारिया की मां किरण रिछारिया भोपाल में हर्षा के नाम से ही बुटीक चलाती हैं, जबकि हर्षा रिछारिया के पिता दिनेश रिछारिया एक प्राइवेट बस में कंडक्टर (परिचालक) हैं। वहीं, हर्षा का एकलौता भाई कपिल रिछारिया एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं।
भोपाल के वृंदावन नगर निवासी हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया, मां किरण और भाई करण ने सवाल उठाया कि मॉडलिंग का सम्मानजनक करियर छोड़कर हर्षा ने दो-तीन साल पहले धर्म का मार्ग अपनाया है तो क्या गलत किया? उन्होंने कहा कि यदि दूसरे देशों की महिलाएं महाकुंभ में स्नान करती हैं, तब सभी उनकी वाहवाही करते हैं, लेकिन अपने ही देश और धर्म की बेटी यदि गुरु से दीक्षा लेकर महाकुंभ में स्नान करती है तो उसे पाखंडी बताने लगते हैं, यह उचित नहीं।
मां किरण रिछारिया ने बताया कि हर्षा साध्वी नहीं है, वह साध्वी बनेगी भी नहीं. मूल रुप से बुंदेलखंड के झांसी का रहने वाली हर्षा ने भोपाल में ही रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की है। फिलहाल, हर्षा परिवार से अलग अकेले हरिद्वार में रहती हैं। कहा जाता है कि उन्होंने कैलाश नंद गिरी महाराज से गुरुदीक्षा ली है।
हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया कहते हैं कि, हमने अपनी बेटी को कभी कुछ करने से नहीं रोका, हमेशा उसका साथ दिया है। हम इसके पहले भी हर्षा के फैसले से खुश थे और अभी भी खुश हैं। वहीं, हर्षा रिछारिया की शादी पर पूछने पर पिता ने कहा कि, ‘अभी शादी की कोई प्लानिंग नही है।
जानिए हर्षा की मां ने क्या कहा?
हर्षा की मां ने कहा कि हमारी बेटी ने कभी झूठ नहीं बोला है। देशभर में हर्षा की चर्चा के बाद निरंजनी अखाड़ा का नाम और बढ़ गया है, इससे कुंठित होकर ऐसी बातें कही जा रही हैं। बता दें कि हर्षा का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के झांसी के मऊरानीगंज से हैं। उनका परिवार बीते 25 वर्षों से भोपाल में है। हर्षा की मां किरण ने बताया कि 2004 के उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में शाही स्नान के दौरान जब हर्षा साधु-संतों के स्नान के लिए बने स्थान पर चली गई थी तो पुलिस ने उसे धक्का देकर भगा दिया था। इससे हर्षा को बुरा लगा था और उसने कहा था कि एक दिन ऐसा भी होगा, जब मैं साधु-संतों के बीच ही स्नान करूंगी। प्रयागराज महाकुंभ के अमृत स्नान के बाद हर्षा ने उन्हें फोन किया था। उस दिन वह 2004 के कुंभ को याद करते हुए वह रो पड़ी थी।