रवि भोई की कलम से
चर्चा है कि विधानसभा के बजट सत्र के बाद छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय मंत्रिमडल का विस्तार संभव है। साय मंत्रिमडल में अभी दो मंत्री पद खाली हैं। रिक्त स्थान को भरने के अलावा कुछ मंत्रियों को बदला भी जा सकता है। साय मंत्रिमडल में अभी रामविचार नेताम, दयालदास बघेल और केदार कश्यप को छोड़कर सभी पहली बार मंत्री बने हैं। पहली बार मंत्री बने,अरुण साव, विजय शर्मा,श्यामबिहारी जायसवाल, ओपी चौधरी,लखनलाल देवांगन,लक्ष्मी राजवाड़े और टंकराम वर्मा पहली बार के विधायक भी हैं। खबर है कि पुराने विधायकों की जगह नए चेहरों को ही मौका मिलने की संभावना ज्यादा है। हालांकि नगर निगम चुनाव के बाद पुराने चेहरों में राजेश मूणत, अमर अग्रवाल जैसे विधायकों का पार्टी में कद बढ़ गया है, पर रमन राज में डेढ़ दशक तक मंत्री रहना आड़े आ रहा है। कहा जा रहा है कि पार्टी हाईकमान नए चेहरे को सामने लाना चाहती है। नए चेहरों में पुरंदर मिश्रा,गजेंद्र यादव जैसे विधायकों का नाम चर्चा में ज्यादा है। तय माना जा रहा कि विधानसभा के बजट सत्र के बाद मंत्रिमडल का विस्तार भी होगा और कुछ नेताओं को निगम-मंडल की कुर्सी भी मिलेगी। अब देखते हैं किसकी लाटरी लगती है और किसकी किस्मत चमकती है।
महंत और सिंहदेव का गठजोड़
चर्चा है कि इन दिनों कांग्रेस की राजनीति में नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव की केमेस्ट्री मिल गई है। दोनों मिलकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नैया पार लगाने वाले हैं। टीएस सिंहदेव का नाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चल रहा है। उम्मीद की जा रही है कि महाराष्ट्र और ओडिशा की तरह छत्तीसगढ़ को जल्द प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मिल जाय। कहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज एक पखवाड़े से भी अधिक समय से राजधानी में नहीं हैं और नगरीय निकायों में पार्टी की हार की अब तक कोई समीक्षा नहीं की है। भाजपा सरकार पर लगातार हमला कर सुर्ख़ियों में रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कांग्रेस हाईकमान ने एआईसीसी का महासचिव बनाकर राष्ट्रीय राजनीति की राह दिखा दी है, हालांकि भूपेश बघेल बार-बार कह रहे है कि वे छत्तीसगढ़ की राजनीति से दूर नहीं होने वाले हैं। पर सबको पता है कि कांग्रेस की राजनीति में भूमिका के साथ लोग भी बदल जाते हैं। भूपेश बघेल के राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खेवनहार के रूप में महंत और सिंहदेव को देखा जा रहा है।
कौन बनेगा छत्तीसगढ़ का अगला मुख्य सचिव ?
छत्तीसगढ़ के अगले मुख्य सचिव के नाम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। यह तय माना जा रहा है कि वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन मुख्य सूचना आयुक्त बन जाएंगे। विधानसभा के बजट सत्र के बाद मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति हो जाएगी, ऐसे में अमिताभ जैन को समय से पहले रिटायरमेंट लेना पड़ेगा। इस कारण लोगों में नए मुख्य सचिव को लेकर लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है। वैसे अमिताभ जैन के बाद वरिष्ठता क्रम में 1991 बैच की रेणु पिल्लै और 1992 बैच के सुब्रत साहू हैं। लोगों को दोनों की संभावना कम लग रही है। इनके बाद 1993 बैच के अमित अग्रवाल अभी भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। 1994 बैच के आईएएस मनोज पिंगुआ और ऋचा शर्मा का नाम भी नए मुख्य सचिव के लिए चर्चा में है। 1994 बैच के अधिकारी विकासशील और निधि छिब्बर केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव का फैसला दिल्ली से होगा, जैसे मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान के मुख्य सचिव की नियुक्ति के मामले में हुआ।
जी पी सिंह को कब मिलेगा काम ?
1994 बैच के आईपीएस जी पी सिंह पिछले दिनों डीजी के तौर पर प्रमोट हो गए और उन्होंने डीजी के रूप में चार्ज भी ले लिया है, लेकिन उन्हें अभी तक कोई विभाग नहीं मिला है। जीपी सिंह को मिलाकर अब राज्य में चार डीजी स्तर के अधिकारी हो गए हैं। डीजी होमगार्ड और संचालक लोक अभियोजन 1992 बैच के आईपीएस अरुण देव गौतम को अभी प्रभारी डीजीपी बनाया गया है। 1992 बैच के आईपीएस पवनदेव पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष हैं, जबकि 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता डीजी जेल हैं। चर्चा है कि अरुण देव गौतम का एक प्रभार काम करके उसे जीपी सिंह को दे दिया जाएगा। अब कब तक जीपी सिंह को प्रभार सौंपा जाएगा, इसका इंतजार है। वैसे राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में डीजी स्तर के अधिकारी की पोस्टिंग की जा सकती है। अभी ईओडब्ल्यू के मुखिया आईजी स्तर के अधिकारी अमरेश मिश्रा हैं।
डीजीपी के लिए संशोधित पैनल तैयार
चर्चा है कि छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी के लिए सरकार ने संशोधित पैनल तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री की हरी झंडी के बाद नया पैनल संघ लोक सेवा आयोग को भेजा जाएगा। कहा जा रहा है कि डीजीपी के लिए संशोधित पैनल में अरुणदेव गौतम, पवनदेव, हिमांशु गुप्ता और जीपी सिंह का नाम है। चारों डीजी स्तर के अधिकारी हैं। पैनल में एडीजी स्तर के किसी आईपीएस का नाम शामिल नहीं किया गया है। खबर है कि डीजीपी का संशोधित पैनल वाली फाइल मंत्रालय से बाहर निकल गई है। अब पैनल कब तक यूपीएससी को भेजा जाता है, इसका इंतजार है।
आईपीएस अफसरों की बैठक
कहते हैं कांग्रेस की भूपेश सरकार में पावरफुल रहे कुछ अफसरों ने पिछले दिनों बैठक की थी। इस बैठक की बड़ी चर्चा है। इनमें कुछ अफसरों पर जाँच की तलवार भी लटक रही है। बताते हैं इनमें से एक अधिकारी को भाजपा के कुछ अधिकारी अच्छी पोस्टिंग दिलाना चाहते हैं ,जबकि कुछ नेता विरोध कर रहे हैं। खबर है कि इस अफसर की पोस्टिंग वाली फाइल कई बार मुख्यमंत्री की टेबल तक भी पहुंच चुकी है, पर भाजपा नेताओं के मनभेद के चलते अधिकारी की किस्मत चमक नहीं पा रही है। अब देखते हैं इस अधिकारी को लेकर भाजपा नेताओं में कब तक मनभेद चलता है और अफसर मुख्यधारा से दूर रहते हैं।
वन विभाग की भर्ती सुर्खियों में
राज्य के वन विभाग में फारेस्ट गार्ड के करीब 1628 पदों पर भर्ती सुर्ख़ियों में है। कहते हैं कि फारेस्ट गार्ड की भर्ती डिजिटल और मैन्युअल के फेर में फंस गई है। खबर है कि कुछ लोगों का नाप-जोख और अन्य प्रक्रिया कंप्यूटर से किया गया तो कुछ का बिना मशीन के कर लिया गया। भर्ती प्रक्रिया दिसंबर 2024 से शुरू हुई थी। करीब सवा चार लाख अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए। बताते हैं अधिवक्ता विजय मिश्रा ने भर्ती प्रक्रिया को लेकर मुख्य सचिव, वन विभाग की एसीएस और सतर्कता आयुक्त से शिकायत की थी। सरकार अब जिनका मैन्युअल नाप-जोख हो चुका है, उनका भी डिजिटल प्रक्रिया पूरी करने की सोच रही है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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