कही-सुनी (14SEPT-25) : विकास शील होंगे छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव ?

रवि भोई की कलम से
चर्चा है कि 1994 बैच के आईएएस विकास शील छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव होंगे। बताते हैं सरकार ने विकास शील की राज्य में वापसी के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है। आईएएस विकास शील एशियाई विकास बैंक (ADB) के कार्यकारी निदेशक के रूप में मनीला में तैनात हैं। उन्हें 6 जनवरी 2024 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले, वह जल शक्ति मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर थे। विकास शील छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा, खाद्य और सामान्य प्रशासन जैसे विभाग संभाल चुके हैं। वे कई जिले में कलेक्टर भी रहे हैं। विकास शील केंद्र सरकार में सचिव के पद के लिए इम्पैनल हो चुके हैं। विकास शील जून 2029 में रिटायर होंगे। एक अक्टूबर को चीफ सेक्रेटरी बनते हैं तो उन्हें करीब पौने चार साल का कार्यकाल मिलेगा। वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन का सेवा विस्तार 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है। अमिताभ जैन का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो गया था, उन्हें तीन महीने की सेवावृद्धि दी गई। बताते हैं विकास शील केंद्र सरकार की पसंद हैं। केंद्र सरकार ने भाजपा शासित राज्य ओड़िशा, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी अपनी पसंद के अफसर को चीफ सेक्रेटरी बनाकर भेजा। कहा जा रहा है कि विकास शील के चीफ सेक्रेटरी बनने के बाद 1991 बैच की आईएएस रेणु पिल्लै और 1992 बैच के सुब्रत साहू मंत्रालय से बाहर हो जाएंगे। वैसे भी अभी रेणु पिल्लै माध्यमिक शिक्षा मंडल और व्यापम की अध्यक्ष हैं। मंत्रालय में उनके पास साइंस एंड टैक्नालाजी विभाग है। सुब्रत साहू एसीएस सहकारिता के साथ प्रशासन अकादमी के महानिदेशक हैं। 1994 बैच की आईएएस ऋचा शर्मा वर्तमान में एसीएस वन एवं पर्यावरण और 1994 बैच के मनोज पिंगुआ एसीएस गृह और जेल हैं। माना जा रहा है कि विकास शील के मुख्य सचिव बनने के बाद उनकी पत्नी आईएएस निधि छिब्बर भी छत्तीसगढ़ आ सकती हैं। निधि छिब्बर 1994 बैच की आईएएस हैं।
एक आईएफएस नौकरी छोड़ने के मूड में
कहते हैं कि एक सीनियर आईएफएस अफसर इन दिनों बड़े खफा हैं और इस्तीफे के मूड में हैं। बताते हैं कि वे अपनी मनपसंद पोस्टिंग चाहते थे, पर ऐसा नहीं हुआ। वे जिस पोस्टिंग के इच्छुक थे, उस पद पर किसी दूसरे अफसर की पोस्टिंग कर दी। सीनियर आईएफएस उस पद के रिक्त होने का इंतजार कर रहे थे। खबर है कि मनपसंद पोस्टिंग नहीं मिलने पर आईएफएस ने एक वरिष्ठ आईएएस अफसर को अपने दुखड़े के साथ खरी-खरी कह दी। वरिष्ठ आईएएस अफसर ने आईएफएस को समझाइस दी और सांत्वना तो दिया है, पर आईएफएस अफसर के मन को तसल्ली नहीं मिली। माना जा रहा है कि काबिल होने के बाद भी राजनीतिक समीकरण के चलते आईएफएस को अपने पसंद की पोस्टिंग नहीं मिली।
आधे दर्जन से ज्यादा आईएएस ईडी के निशाने पर
कहते हैं कि डीएमएफ घोटाले और कृषि उपकरणों की सप्लाई के मामले में आधे दर्जन से ज्यादा आईएएस ईडी के निशाने पर हैं। ईडी ने भूपेश सरकार के जमाने में कृषि उपकरणों की सप्लाई के मामले में पिछले दिनों कुछ सप्लायरों के यहां छापा मारा था। बताते हैं ये आईएएस अफसर भूपेश सरकार के समय अलग-अलग जिलों की कमान संभाले हुए थे। चर्चा है कि भूपेश बघेल की सरकार के समय कांग्रेस नेता रामगोपाल अग्रवाल, अफसर अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया से जुड़े लोग ही ज्यादा सप्लाई के धंधे में लगे थे। अभी अनिल टुटेजा जेल में हैं। सौम्या जमानत पर है और रामगोपाल लापता हैं, पर ईडी के निशाने पर हैं।
एक मंत्री सचिव से खफा
खबर है कि राज्य के एक पावरफुल मंत्री अपने एक विभागीय सचिव से खफा हैं। बताते हैं कि मंत्री को अपने विभागीय सचिव की कार्यशैली नहीं भा रही है। चर्चा है कि मंत्री जी ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री के साथ हाईकमान से भी की है। सुनने में आ रहा है कि सचिव महोदय को मंत्री जी की नाराजगी का अहसास हो गया है और वे खुद भी दूसरे विभाग में जाने के लिए प्रयासरत हैं। अब देखिए क्या होता है। वैसे पहले सचिव महोदय के पास दो महत्वपूर्ण विभाग थे। अब एक ही विभाग है। जनता से जुड़ा विभाग होने के कारण मंत्री जी और सचिव महोदय की लाइन-लेंथ नहीं मिल पा रही है।
मंत्री और अध्यक्ष में टकराव
चर्चा है कि राज्य में एक मंत्री जी और उनके अधीन आने वाले एक निगम के अध्यक्ष के बीच आजकल जबर्दस्त जंग छिड़ी हुई है। बताते हैं जंग का कारण हिस्सा-बंटवारा को लेकर है। खबर है कि पहले फील्ड से सीधे मंत्री जी तक सब कुछ पहुंचता था। अब अध्यक्ष जी ने अपना हक जताना शुरू कर दिया है। सुनने में आ रहा है कि अध्यक्ष जी ने फील्ड के अफसरों के लिए टारगेट फिक्स कर दिया है। इससे फील्ड के अफसर भारी परेशान बताए जाते हैं। कहते हैं फील्ड के अफसर अपनी समस्या लेकर निगम के एक आला अफसर से मिले और मार्गदर्शन माँगा। आला अफसर ने मार्गदर्शन की जगह दोनों को साधने की सलाह दे दी। हवा है कि फील्ड के अफसर मंत्री और अध्यक्ष को खुश करने के लिए धंधा-पानी करने वालों पर भार डालने लगे हैं।
मंत्री जी के गड्ढे खोदने में लगे सांसद जी
कहते हैं एक सांसद जी राज्य के एक मंत्री के पीछे पड़ गए हैं और उनके पुराने मामले निकालने में लगे हुए हैं। वैसे राज्य में विष्णुदेव साय की सरकार बनने के बाद से दोनों नेताओं में छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों एक-दूसरे को काटने में लगे रहते हैं। मंत्री जी नए -नवेले हैं, पर हाईकमान के समर्थन से सांसद के पर कतरने में लगे रहते हैं, तो सांसद जी अपने अनुभव और संपर्क से मंत्री जी की राह में रोड़ा बिछाने का काम कर देते हैं। वैसे कहा जाता है कि मंत्री सुपर वीआईपी बन गए हैं और भाजपा नेताओं के फोन तक नहीं उठाते। इसको लेकर नेता संगठन से कई बार शिकायत कर चुके हैं। इसके बाद भी नेताओं को अब तक कोई राहत नहीं मिल पाई है। मंत्री जी की कार्यशैली से कई नेता नाराज हैं, तो सांसद जी को मोर्चा खोलने का अवसर मिल गया। अब देखते हैं जंग कहा तक जाती है और पटाक्षेप कैसे होता है।
बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस में फेरबदल
कहते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में व्यापक फेरबदल होगा। कहा जा रहा है कि नए चेहरों को आगे लाया जाएगा। खबर है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इन दिनों नेताओं के बीच काफी खींचतान मची हुई है। नेता अपना अस्तित्व बचाने के लिए एक-दूसरे पर वार करने से भी नहीं चूक रहे हैं। कुछ नेता अपनी मर्जी चला रहे हैं । नेतागण जुबान में जो आ रहा है, बोल दे रहे हैं या बड़े नेता स्वयंभू हो गए हैं। चर्चा है कि नवंबर के बाद सर्जरी होगी। राहुल गांधी का पूरा ध्यान बिहार में होने से छत्तीसगढ़ उनकी प्राथमिकता में नहीं है, फिर यहाँ जल्दी चुनाव भी नहीं है। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी की टीम छत्तीसगढ़ को आव्जर्व कर रही है। केवल समय का इंतजार है। समय आते ही व्यापक बदलाव हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ का कोई भाजपा नेता बनेगा राज्यपाल ?
महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद खाली हो गया है। सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है। सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल के लिए डॉ रमन सिंह का नाम चर्चा में था। छत्तीसगढ़ के 15 साल के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह अभी विधानसभा अध्यक्ष हैं। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता रमेश बैस महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके हैं। ऐसे में आगे छत्तीसगढ़ भाजपा के किसी नेता को क्या संवैधानिक पद मिल सकता है, इसको लेकर सुगबुगाहट है। छत्तीसगढ़ के कई वरिष्ठ विधायक बिना ताज के हैं। मंत्री बनने की रेस से बाहर हो गए हैं। कुछ पुराने सांसद भी घर बैठे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की नजरें इनायत हो पाएगी क्या, यह बड़ा सवाल है। प्रधानमंत्री 31 अक्टूबर और एक नवंबर को (दो दिन) छत्तीसगढ़ में ही रहने वाले हैं, अब देखते हैं आगे क्या होता है।
एसपी साहब के जलवे
कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक एसपी साहब अपने रुतबे का इस्तेमाल कर अपने जिले के ही एक बड़ी कंपनी में अपनी पत्नी और साले साहब को मोटी तनख्वाह पर नौकरी दिलवा दी है। एसपी साहब का जिला गृह मंत्री जी के जिले से सटा हुआ है। अब एसपी साहब जिले में कितने दिन रहते हैं, यह शायद उन्हें भी नहीं पता, पर जब तक जिले में रहते हैं, तब तक बहती गंगा में हाथ तो धो ही सकते हैं। कहा जाता है कि जिले में भले उद्योग नहीं हैं, पर खनिज संसाधन तो भरपूर हैं। खबर है कि गौण खनिज से ही एसपी साहब लाल हैं। चर्चा है कि एसपी साहब की दसों अंगुली घी में होने के बाद पत्नी और साले को प्राइवेट कंपनी में नौकरी में रखवाने की क्या जरुरत पड़ गई ?
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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