कही-सुनी (05 OCT-25) : कार्यकर्ताओं की पीड़ा हरने छह मंत्रियों की ड्यूटी

रवि भोई की कलम से
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने करीब-करीब दो साल होने को हैं। दो साल में भाजपा ने लोकसभा से लेकर पंचायत चुनाव तक जीत लिया। सभी जगह ट्रिपल इंजन की सरकार हो गई। इसके बाद भी संगठन को कार्यकर्ताओं की नाराजगी की शिकायत मिल रही है। अब पहले चरण में छह अक्टूबर से विष्णुदेव साय के छह मंत्री एक -एक दिन बैठकर कार्यकर्ताओं का दुःख-दर्द सुनेंगे और उसे हल करेंगे। पहले दिन छह अक्टूबर को राजस्व और उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा प्रदेश भाजपा कार्यालय में दोपहर को तीन घंटे बैठेंगे। इनके बाद अगले दिन स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव की पारी है। ऐसे ही वन मंत्री केदार कश्यप, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास मंत्री गुरु खुशवंत साहेब और खाद्य मंत्री दयालदास बघेल कार्यकर्ताओं की बात सुनेंगे। इसके पहले भी मंत्री पार्टी दफ्तर में जाकर समस्या निवारण शिविर का आयोजन कर चुके हैं, फिर भी कार्यकर्ताओं का भड़ास कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कहते है पिछले दिनों भाजपा की एक महिला नेता समय लेकर एक मंत्री से मिलने गईं, दो घंटे के इंतजार के बाद मंत्री जी नहीं मिले और महिला नेता को मंत्री जी से बिना मिले लौटना पड़ा। इसके पहले वित्त मंत्री ओपी चौधरी से मुलाक़ात नहीं होने पर भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों को गुस्से में चिट्ठी छोड़कर आना पड़ा था, फिर जाकर कुछ दिनों बाद मुलाक़ात हो सकी।
दवा सप्लायरों ने मुंह मोड़ा
कहते हैं कि दवा सप्लायरों ने छत्तीसगढ़ से मुंह मोड़ लिया है। बताते हैं सरकार को फिलहाल 120 करोड़ की दवाई खरीदनी है, पर कोई सप्लायर टेंडर में हिस्सा नहीं ले रहा है। खबर है कि तात्कालिक व्यवस्था के लिए सरकार ने बड़े अस्पतालों को दवाई खरीदी के लिए हर महीने 20 लाख रुपए देने का फैसला किया है, जिससे वे लोकल मैनेज कर लें। चर्चा है कि दवा खरीदी घोटाले में मोक्षित कार्पोरेशन और अन्य पर सख्ती के बाद दवा सप्लायर दहशत में आ गए हैं और कोई भी बड़ा सप्लायर अपना गला नहीं फंसाना चाहता है। इसके अलावा कुछ सप्लायरों का भुगतान भी अटका पड़ा है।सूचना है कि वे पिछला भुगतान क्लीयर होने से पहले छत्तीसगढ़ में नया काम करने के इच्छुक नहीं हैं। बताते हैं सरकार साल में करीब 250 करोड़ रुपए की दवाई खरीदती है और पहले चरण में ही ब्रेक लग गया है। अब देखते हैं आगे क्या होता है और सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवा किस तरह उपलब्ध कराई जाती है।
क्या इस बार ओपी चंद्रपुर से लड़ेंगे ?
हल्ला है कि वित्त और पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी 2028 का विधानसभा चुनाव चंद्रपुर से लड़ेंगे। चंद्रपुर में अभी कांग्रेस के रामकुमार यादव विधायक हैं। भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में चंद्रपुर से जशपुर राजपरिवार की सदस्य को टिकट दिया, पर वे चुनाव हार गईं। ओपी चौधरी अभी रायगढ़ से विधायक हैं। चौधरी 2018 में आईएएस की नौकरी छोड़कर खरसिया विधानसभा से चुनाव लड़े थे और हार गए थे। बताते हैं रायगढ़ में बिजनेस कम्युनिटी का दबदबा है। ओपी चौधरी अपने विधानसभा में विकास कार्य की गंगा बहा रहे हैं, तो रवि भगत जैसे भाजपा के नेता खुलकर विरोध भी कर रहे हैं। पिछले दिनों ओपी चौधरी आरएसएस के गणवेश में भी नजर आए। अब देखते हैं राजनीतिक समीकरण क्या बनता है ?
ननकीराम का गुस्सा और रेणुका की बात क्या गुल खिलाएगा
भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर गुस्से में हैं, वे कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत को हटाने की मांग कर रहे हैं। अपनी मांग मनवाने के लिए वे चार अक्टूबर को रायपुर में धरने पर बैठने वाले थे, पर उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया। चार अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ दौरे पर थे, तो सरकार कोई बखेड़ा नहीं चाहती थी। पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि भाजपा की सरकार में भाजपा नेता बड़ा या कलेक्टर ? दो दिन पहले भाजपा की विधायक रेणुका सिंह ने विजयादशमी के कार्यक्रम में सरकार में भी रावण की बात कर कांग्रेस के हाथ में मुद्दा दे दिया। भाजपा नेताओं के तेवर से कांग्रेस के लोग खुश हैं और 2028 में अपने लिए अनुकूल माहौल मान रहे हैं। रेणुका सिंह 2023 के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की दौड़ में थीं। विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले केंद्र में राज्य मंत्री रहीं रेणुका राज्य में मंत्री भी नहीं बन पाईं। ननकीराम और रेणुका ही नहीं, भाजपा के भीतर असंतुष्टों की फेहरिस्त बताई जाती है। कहा तो यह भी जाने लगा है कि भाजपा के भीतर ही विरोधी दल तैयार हो गया है।
भाजपा की एक नेत्री भी कोरबा कलेक्टर से नाराज
चर्चा है कि कोरबा के कलेक्टर अजीत बसंत से भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर ही नहीं,भाजपा की एक वरिष्ठ महिला नेता भी नाराज हैं। वरिष्ठ महिला नेता की नाराजगी को दूर करने के लिए अजीत बसंत को हटाने का विचार चल रहा था, पर विष्णुदेव साय के एक मंत्री और एक आईएएस ने उन्हें बचा लिया। अजीत बसंत को विष्णुदेव साय की सरकार में ही कोरबा का कलेक्टर बनाया गया। इसके पहले वे नारायणपुर और मुंगेली जिले के कलेक्टर थे। बताते हैं अजीत बसंत एक वरिष्ठ सचिव की पसंद पर कोरबा भेजे गए हैं। भाजपा की एक वरिष्ठ महिला नेत्री, कलेक्टर अजीत बसंत के खिलाफ मैदान पर तो नहीं उतरीं, पर ननकीराम कंवर सड़क पर उतर गए हैं। शुक्रवार की रात को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने फोन पर ननकीराम से बात की, तो उनके सामने कलेक्टर को हटाने की शर्त रखी।
कांफ्रेंस के बाद कलेक्टरों के ट्रांसफर
विष्णुदेव साय की सरकार ने रविवार 12 अक्टूबर को कलेक्टर कांफ्रेंस रखा है। मुख्यमंत्री ने कांफ्रेंस के लिए छुट्टी का दिन चुना है, जिससे वर्किंग डे में कलेक्टरों की गैरमौजूदगी में सरकारी कामकाज प्रभावित न हो और जनता को भटकना न पड़े। कहा जा रहा है कि छुट्टी के दिन कलेक्टर कांफ्रेंस से कुछ अफसर असहज हुए, पर मुख्यमंत्री के लिए रोज वर्किंग डे है। चर्चा है कि कांफ्रेंस के बाद कई जिलों के कलेक्टर इधर से उधर होंगे। कुछ जिलों के कलेक्टर फील्ड से मंत्रालय या एचओडी में आएंगे। कुछ आईएएस मंत्रालय से जिलों में जाएंगे। कहते हैं दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर और सरगुजा संभाग के कलेक्टर ज्यादा प्रभावित होंगे।
मंत्री पर भारी आयोग अध्यक्ष
बताते हैं एक आयोग के अध्यक्ष एक मंत्री पर भारी पड़ रहे हैं। आयोग के अध्यक्ष संगठन के खाटी नेता हैं और काफी वरिष्ठ भी, जबकि मंत्री पहली बार के विधायक हैं। कहते हैं आयोग के अध्यक्ष अपनी सुख-सुविधा के लिए मंत्री पर काफी दबाव बना रहे हैं। संगठन के वरिष्ठ नेता होने के कारण अध्यक्ष जी को कुछ बोल पाना भी संभव नहीं हो रहा है। बताते हैं आयोग अध्यक्ष के दबाव से बचने के लिए आयोग का पालक विभाग ही बदल देने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। याने न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी। अब देखते हैं मुख्यमंत्री से प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है या नहीं।
राजस्व मंडल में डायरेक्ट आईएएस
सरकार ने 1992 बैच के आईएएस सुब्रत साहू को राजस्व मंडल का अध्यक्ष बनाया है। कहते हैं लंबे समय बाद सरकार ने सीनियर अफसर और डायरेक्ट आईएएस को राजस्व मंडल का अध्यक्ष बनाया है। सीके खेतान के बाद पदोन्नत आईएएस और सचिव स्तर के अधिकारी राजस्व मंडल की कुर्सी पर बैठाए गए। उमेश अग्रवाल, रीता शांडिल्य और टोपेश्वर वर्मा के बाद अब सुब्रत साहू राजस्व मंडल की कुर्सी संभालेंगे। सुब्रत साहू मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी हैं। राजस्व मंडल के अध्यक्ष का पद मुख्य सचिव के समकक्ष है। सुब्रत साहू राजस्व मंडल के अध्यक्ष के साथ प्रशासन अकादमी के अध्यक्ष भी रहेंगे, वह भी मुख्य सचिव के स्तर का पद है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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