कही-सुनी (26 OCT-25) : रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम नए साल में खिसका
रवि भोई की कलम से
कहते हैं रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम अब 2026 में ही लागू होगा। पहले नवंबर से अमलीजामा पहनाने की कोशिश थी, लेकिन खाका तैयार नहीं हो पाने के कारण मामला आगे खिसक गया। देश के अधिकांश भाजपा शासित राज्यों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम है, ऐसे में छत्तीसगढ़ में पुलिस कमिश्नर सिस्टम का अमल होना तो तय है। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राज्य में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का श्रेय लेना चाहेंगे। राजधानी रायपुर पुलिस कमिश्नर सिस्टम की चर्चा काफी पुरानी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दिखने में सहज और सरल हों, पर निर्णय लेने में तो सख्त हैं। उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री समेत 13 की जगह 14 मंत्री करके तो यह दिखा ही दिया। डॉ रमन सिंह और भूपेश बघेल के राज में सरकार 13 मंत्रियों से चली। विष्णुदेव साय ने राज्य में 14 मंत्रियों की नींव रख दी है तो वह आगे भी चलता ही रहेगा। राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने से अपराध पर कितना नियंत्रण पाया जा सकता है और कानून व्यवस्था दुरुस्त होती है, यह तो समय बताएगा। इस प्रणाली के लागू होने से राजधानी का स्टेटस जरूर बढ़ जाएगा और महानगर जैसा हो जाएगा। बताते हैं पुलिस कमिश्नर सिस्टम के लिए अभी अन्य राज्यों का अध्ययन ही चल रहा है। खाका सामने आने के बाद साफ़ होगा कि पुलिस कमिश्नर एडीजी स्तर का होगा या आईजी स्तर का। पर अभी से कई आईपीएस दावेदारी में लगे हैं। राजधानी के पहले पुलिस कमिश्नर का तमगा किसे मिलता है, इसका सबको इंतजार है। कमिश्नर के साथ एडिशनल कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर पद के बहाने ही कई आईपीएस का भला हो जाएगा।
मोना सेन की छलांग
भाजपा की नेता मोना सेन को इंतजार का मीठा फल मिल गया। राज्य केश शिल्पी कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष बनने के बाद भी कुर्सी नहीं मिली तो उन्हें राज्य फिल्म विकास निगम के अध्यक्ष पद से नवाज दिया गया। मोना सेन का फिल्म विकास निगम की अध्यक्ष बनने से ज्यादा चर्चा बनाने वालों की हो रही है। भाजपा के भीतर लोग मोना सेन की रहनुमा को तलाश रहे हैं। डॉ रमनसिंह के कार्यकाल में मोना सेन, राज्य केश शिल्पी कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकी हैं। कहते हैं तब मोना सेन को पद दिलाने के लिए भाजपा के कई नेताओं और मंत्रियों ने सिफारिश की थी। बताते हैं मोना सेन को उनकी पसंद का पद मिल गया है। गीत -संगीत से उनका वास्ता रहा है। सरकार ने केदारनाथ गुप्ता और श्रीनिवास राव मद्दी के बाद मोना सेन का ताज बदला है। श्रीनिवास राव मद्दी को पहले राज्य वित्त आयोग और केदारनाथ गुप्ता को दुग्ध महासंघ का अध्यक्ष बनाया गया था। बाद में श्रीनिवास राव मद्दी को वेबरेज कार्पोरेशन और केदारनाथ गुप्ता को राज्य सहकारी बैंक का अध्यक्ष बनाया गया।
माइनिंग के धंधे में उतरे विधायक जी
कहा जा रहा है कि माइनिंग के धंधे में भाजपा के एक विधायक उतर आए हैं। विधायक जी नीलामी में बस्तर अंचल का एक खदान ख़रीदा है। इसमें एक रिटायर्ड वन अफसर भी उनके पार्टनर हैं। कांग्रेस के राज में यह माइंस कांग्रेस के बड़े नेता को आबंटित हुआ था। कांग्रेस के नेता माइंस का दोहन कर पाते, उससे पहले उन पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा और वे अपने आप को बचाने में लग गए और माइंस लावारिस हो गई। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद बाजी पलट गई। माइंस का कोई दावेदार न होने के कारण सरकार ने लीज रद्द कर दोबारा नीलामी कर दी। इसमें भाजपा के विधायक ने भाग्य आजमाया और उन्हें सफलता मिल गई।
बिल्डर के एम्प्लाई के चौके-छक्के
कहते हैं जमीन के बड़े-बड़े सौदे करने में अब तक तो बिल्डरों को ही माहिर खिलाड़ी माना जाता था, पर आजकल जमीन के सौदे में चौके-छक्के लगाने वालों में राज्य के एक नामी बिल्डर के मैनेजर का नाम आने लगा है। अब मैनेजर साहब बिल्डर के लिए सौदे कर रहे हैं या वे भी धंधे में उतरने वाले हैं, इसकी खोज चल रही है। मजेदार बात तो यह है कि मैनेजर साहब सौदों में अपना पैसा नहीं लगा रहे हैं। कुछ अफसरान के काले को सफ़ेद करने में लगे हैं। चर्चा है कि काले को सफ़ेद करवाने में पुरुष अफसर ही नहीं, महिला अफसर भी पीछे नहीं हैं। खबर है कि इस काम में मैनेजर को मालिक का भी आशीर्वाद है।
कौन बनेगा महासमुंद का एसपी
महासमुंद के एसपी आशुतोष सिंह प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में जा रहे हैं। भारत सरकार ने आदेश कर दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने आशुतोष सिंह की जगह अभी तक किसी अफसर की पोस्टिंग नहीं की है। सरकार ने 24 अक्टूबर को सात आईपीएस की पोस्टिंग में हेरफेर किया। चार एसपी भी इधर से उधर हुए, पर महासमुंद अछूता रहा। अब महासमुंद का एसपी किसे बनाया जाता है, यह चर्चा का विषय है। पहले राज्यपाल के एडीसी सुनील शर्मा का नाम चर्चा में था, पर सुनील शर्मा की जगह जिन्हें एडीसी बनाया गया था, उन्होंने अब तक चार्ज नहीं लिया है और न ही किसी अन्य की पोस्टिंग हुई है। वैसे बताते हैं कि महासमुंद के एसपी के लिए तीन नामों पर विचार चल रहा है, जिसमें टॉप पर सुनील शर्मा का नाम है। सुनील शर्मा 2017 बैच के आईपीएस हैं। माना जा रहा है कि महासमुंद एसपी की पोस्टिंग के साथ कुछ और जिले प्रभावित हो सकते हैं।
लालच ने उलझाया कारोबारी को
जिसकी सरकार, उसकी नाव में सवार होने में माहिर राजधानी के कारोबारी इस बार जमीन के खेल में उलझ गए हैं और पुलिस से बचते फिर रहे हैं। मामूली सरकारी मुलाजिम से कई धंधों के मालिक बनने वाले कारोबारी के बारे में कहा जाता है कि वे किसी की जमीन पर अपनी तख्ती लगाकर उसे हथियाने के खिलाड़ी हैं। कहते हैं साल 2023 में कारोबारी ने एक निजी स्कूल के शिक्षक की जमीन पर कब्ज़ा कर लिया तो शिक्षक को दिल का दौरा पड़ गया। कांग्रेस राज में कारोबारी के खिलाफ कुछ लोगों ने धरना भी दिया था, पर उसका कुछ नहीं बिगड़ा। सत्ता के एक करीबी अफसर से दोस्ती के कारण वह बच गया। कारोबारी ने अपने कारनामों पर पर्दा डालने के लिए ताकतवर अफसर के रिश्तेदारों को भी अपने खेल में शामिल कर लिया था। पिछली सरकार में इस कारोबारी का नाम शराब के खेल में आया था। ईडी के छापे भी पड़े थे, पर तब किस्मत ने साथ दे दिया था। इस बार फर्जी रजिस्ट्री के मामले में ऐसे उलझे हैं कि मुंह छिपाना पड़ रहा है। कहते हैं न “बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी”, ऐसा ही कुछ कारोबारी के साथ दिखाई पड़ रहा है।
राज्योत्सव के बाद बदलेंगे कलेक्टर ?
चर्चा है कि राज्योत्सव के बाद कुछ जिलों के कलेक्टर इधर से उधर होंगे। खबर है कि पांच नवंबर के बाद छह-सात जिले के कलेक्टर बदल सकते हैं। इसमें रायपुर, सरगुजा, बेमेतरा, कोरबा समेत कुछ अन्य जिलों के कलेक्टर बदले जाने की सुगबुगाहट है। बताया जा रहा कि जिले में फेरबदल के साथ मंत्रालय में भी कुछ सचिवों का विभाग बदल सकता है। कुछ निगम-मंडल के प्रबंध संचालक भी प्रभावित हो सकते हैं। संभाग आयुक्त की भी पोस्टिंग बदल सकती है। एक-दो संभाग आयुक्त मंत्रालय में वापसी चाहते हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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