कही-सुनी (16 NOV-25) : निवेशकों को लुभाने में जुटी साय सरकार
रवि भोई की कलम से
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार सत्ता में आने के बाद से ही राज्य में इंडस्ट्रियल ग्रोथ पर फोकस करते हुए नई उद्योग नीति लांच की और राज्य में निवेश के लिए उद्योगपतियों से लगातार संपर्क में है। राज्य में निवेश के लिए देश के उद्योगपतियों को न्योता देने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महानगरों में इन्वेस्टर्स मीट किया। खबर है कि साय सरकार के 22 महीने के कार्यकाल में साढ़े सात लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। चार दिन पहले अहमदाबाद में आयोजित इन्वेस्टर कनेक्ट कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सामने गुजरात के कई बड़े उद्योगपतियों ने राज्य में निवेश की इच्छा जताई। कहते हैं मुख्यमंत्री के साथ एक ही बैठक में गुजराती कारोबारियों ने 33 हजार करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दे दिया। यह छत्तीसगढ़ के लिए शुभ संकेत हैं। राज्य में निवेश आएगा तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। राजस्व बढ़ेगा साथ ही दूसरे धंधों में भी चार-चाँद लगेगा। इससे छत्तीसगढ़ को पर लगेंगे।
कब रिलीव होंगे महासमुंद एसपी आशुतोष सिंह
2012 बैच के आईपीएस आशुतोष सिंह का सीबीआई में डेपुटेशन का आदेश निकले करीब तीन हफ्ते हो गए हैं, पर सरकार ने उन्हें अभी तक रिलीव नहीं किया है। आशुतोष सिंह अभी महासमुंद जिले के एसपी हैं। ऐसे में चर्चा होने लगी है कि आशुतोष सिंह कब रिलीव होंगे। खबर है कि आशुतोष सिंह की जगह महासमुंद एसपी बनने के लिए कई दावेदार पैदा हो गए हैं। कहते हैं सभी दावेदार अपने -अपने स्तर से लॉबिंग भी कर रहे हैं। इस कारण महासमुंद एसपी तय करने में विलंब हो रहा है। सुनने में आ रहा है कि सीधी भर्ती वाले आईपीएस के साथ प्रमोटी आईपीएस भी महासमुंद के एसपी बनने में लगे हैं। बताते हैं पहले महासमुंद एसपी के लिए तीन नाम चल रहे थे अब आधे दर्जन से ज्यादा आईपीएस दौड़ में शामिल हो गए हैं। अब देखते हैं महासमुंद जिले के एसपी की कमान किसे मिलती है और आईपीएस आशुतोष सिंह कब रिलीव होते हैं।
कब तक खाली रहेगा संचालक उद्यानिकी का पद
आईएफएस अधिकारी एस जगदीशन के संचालक उद्यानिकी के पद से हटे एक महीने से ज्यादा समय होने को है, पर अब तक सरकार ने संचालक उद्यानिकी के पद पर किसी की पदस्थापना नहीं की है। बताते हैं कि सरकार ने एस जगदीशन को संचालक उद्यानिकी के पद से अचानक हटा दिया, पर किसी की पोस्टिंग नहीं की। संचालक उद्यानिकी के पद पर अब तक अधिकांश समय आईएफएस अधिकारी ही रहे हैं, पर कई मौकों पर आई ए एस अफसर भी संचालक उद्यानिकी रहे हैं। आमतौर से विभागाध्यक्ष का पद इतने लंबे समय तक खाली नहीं रहता। मजेदार बात है कि किसी अधिकारी को संचालक उद्यानिकी का प्रभार भी नहीं सौंपा गया है। उद्यानिकी विभाग में फिलहाल कोई अपर संचालक भी नहीं है। अब चर्चा होने लगी है कि सरकार ने संचालक उद्यानिकी का पद किसके लिए रिक्त रखा है या फिर उद्यानिकी का कृषि विभाग में विलय कर दिया जाएगा।
पवन साय को पश्चिम बंगाल में जिम्मा
बिहार फतह के बाद अब भाजपा का टारगेट पश्चिम बंगाल है। पश्चिन बंगाल में अगले साल मार्च -अप्रैल में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी की सरकार है और भाजपा मुख्य विपक्षी दल है। चर्चा है भाजपा ने इस बार पश्चिम बंगाल में सत्तासीन होने के लिए अभी से ताकत झोंकना शुरू कर दिया है। रणनीतिक तौर पर अलग-अलग राज्यों के नेताओं की ड्यूटी वहां लगाई जा रही है। बताते हैं कि छत्तीसगढ़ भाजपा के महामंत्री संगठन पवन साय को भी कुछ सीटों का जिम्मा दिया गया है और वहां पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का लक्ष्य दिया गया है। 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने और सत्ता के द्वार तक पहुंचाने में पवन साय की अहम भूमिका रही थी। माना जा रहा है कि उनके अनुभव और रणनीतिक कौशल को देखते हुए उन्हें पश्चिम बंगाल में जिम्मेदारी दी गई। पवन साय छत्तीसगढ़ भी देखेंगे और पश्चिम बंगाल में अपना जादू दिखाने का काम करेंगे।
टाइम पास वाली अफसर
कहते हैं कि एक महिला आईएएस अफसर काम से ज्यादा टाइम पास में दिलचस्पी लेती हैं। ये महिला आईएएस एक संवेदनशील और जनता से सीधे जुड़े विभाग की डायरेक्टर हैं। महिला आईएएस अफसर के रैवेये से विभागीय मंत्री और सचिव दोनों परेशान बताए जाते हैं। चर्चा है कि महिला अफसर फैसला लेने की जगह पोस्टमेन का काम करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाती हैं। बताते हैं महिला अफसर अपने स्तर पर निर्णय ले सकने वाली फाइलें ऊपर भेज देती हैं। इससे विभाग का काम थम जाता है या धीमा पड़ जाता है। सुनने में आता है कि ये अफसर अपने हिस्से का बला ऊपर वालों पर डालकर मुक्त हो जाती हैं और कुछ लोगों को अपने कक्ष में बैठाकर बातें करने में मशगूल हो जाती हैं। बताते हैं कई बार उनके विभागीय सचिव और मंत्री उन्हें अपने कंधे में जिम्मेदारी उठाने की समझाइश दे चुके हैं, पर महिला अफसर हैं कि मानती ही नहीं।
नितिन नबीन के विधानसभा में छत्तीसगढ़ की अफसर
कहते हैं छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी नितिन नबीन बिहार के बांकीपुर विधानसभा से पांचवीं बार विजयी रहे। नितिन नबीन के नामांकन दाखिले के समय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय वहां गए थे, तो चुनाव प्रचार में छत्तीसगढ़ के आधे दर्जन मंत्री, कई निगम मंडल अध्यक्ष और यहां के भाजपा नेता वहां पहुंचे थे। नितिन नबीन की जीत के बाद उनके विधानसभा क्षेत्र में डेरा जमाये नेता अब ताल ठोंक रहे हैं और जीत पर गदगद हैं। चर्चा है कि नितिन नबीन के बांकीपुर विधानसभा में चुनाव आयोग की आब्जर्वर छत्तीसगढ़ की एक महिला आईएएस अफसर थीं । छत्तीसगढ़ के कई आईएएस अफसर बिहार चुनाव में आब्जर्वर बनकर अलग-अलग विधानसभा में तैनात थे।
तीन आईएएस जा सकते हैं केंद्र में
चर्चा है कि 2006 बैच के आईएएस अंकित आनंद, 2011 बैच के दीपक सोनी और 2015 बैच के हरीश एस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन करने वाले हैं। बताते हैं अंकित आनंद भारत सरकार में संयुक्त सचिव बनने के लिए आवेदन करेंगे। अंकित आनंद अभी राज्य सचिव आवास -पर्यावरण हैं। दीपक सोनी और हरीश एस भारत सरकार में संचालक स्तर के पद के आवेदन करेंगे। आवेदन के बाद इंपैनल होने के बाद ये अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाएंगे। दीपक सोनी अभी बलौदाबाजार -भाटापारा और हरीश एस बस्तर कलेक्टर हैं।
देर आयद ,दुरुस्त आयद
देर से ही सही, शहीद वीरनारायण सिंह क्रिकेट स्टेडियम को सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ को सौंपकर अच्छा फैसला किया है। देश के बड़े स्टेडियम में शुमार नवा रायपुर के इस क्रिकेट स्टेडियम में गिने -चुने वन-डे और आईपीएल मैच के अलावा कोई आयोजन ही नहीं हो रहा था। स्टेडियम उजाड़ हो रहा था और हर मैच के पहले सुधार पर काफी व्यय करना पड़ता था। छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के पास जाने से उम्मीद है कि मैचों की संख्या बढ़ेगी और छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी भी स्टेडियम का बेहतर उपयोग कर सकेंगे। इस स्टेडियम को छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ को सौंपने की मांग काफी पुरानी थी। इस मांग को विष्णुदेव साय की सरकार ने पूरी की।
निजी मेडिकल कालेज सीबीआई की राडार पर
कहते हैं छत्तीसगढ़ का एक और निजी मेडिकल कालेज सीबीआई की राडार पर है। इस मेडिकल कालेज में भी मेडिकल सीट के लिए फर्जी तरीके अपनाने की शिकायत है। छत्तीसगढ़ में 3 -4 प्रायवेट मेडिकल कालेज हैं, बाकी सभी सरकारी हैं। पिछले दिनों रावतपुरा मेडिकल कालेज में सीट का कोटा बढ़ाने के लिए घूस देने के आरोप में निरीक्षण टीम के सदस्यों के साथ एक डायरेक्टर भी गिरफ्तार हो गए थे।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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