आरबीआई ने देश में लगातार बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का बचाव किया है. शनिवार को ननी पालखीवाल मेमोरियल लेक्चर में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए डॉलर में उतार-चढ़ाव से और ग्लोबल अर्थव्यवस्था से बचाव के लिए उथलपुथल सलिए विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का अलावा और कोई चारा नहीं है. दास ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब अमेरिका भारत को करेंसी मैनिपुलेटर्स देशों में शामिल करने को तैयार दिख रहा है.
अमेरिका की ओर से पिछले महीने भारत को निगरानी सूची में रखने बाद इस मामले को लेकर दास का यह पहला बयान है. अमेरिका ने कहा है कि भारत ने करंट अकाउंट सरप्लस के दो मानदंडों में से दो हासिल कर लिए हैं और वह लगातार इकतरफा हस्तक्षेप कर रहा है. अमेरिका ने विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार हस्तक्षेप करने के लिए भारत समेत वियतनाम, स्विट्जरलैंड और सिंगापुर की आलोचना की थी. लेकिन दास ने शनिवार को कहा कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था के ऐसे अनिश्चित दौर में उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर सबसे ज्यादा मार पड़ती है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए भारत जैसे देशों के पास विदेशी मुद्रा बफर बनाए रखने के अलावा और कोई चारा नहीं होता
पिछले कुछ वक्त में भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक काफी निवेश कर रहे हैं. इससे भारत की विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ कर 586 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. दास ने कहा कि ग्लोबल और घरेलू अर्थव्यवस्था के उभरते नए ट्रेंड पर आरबीआई की पैनी नजर है. वह किसी भी स्थिति में नीतिगत हस्तक्षेप के जरिये हालात नियंत्रण करने के लिए तैयार है.