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अब जगदलपुर में भी होगा इरिगेशन का चीफ इंजीनियर आफिस

रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने जगदलपुर में जल संसाधन विभाग का मुख्य अभियंता कार्यालय खोलने का फैसला किया है। जगदलपुर में जल संसाधन विभाग का मुख्य अभियंता कार्यालय खोलने की मांग काफी समय से की जा रही थी। अब जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप के प्रयासों से जगदलपुर में जल संसाधन विभाग का मुख्य अभियंता कार्यालय खोलने का आदेश 17 जनवरी को जारी कर दिया गया है। मुख्य अभियंता कार्यालय जगदलपुर के लिए एक अधीक्षण अभियंता, तीन कार्यपालन अभियंता , तीन सहायक अभियंता और अन्य 29 पदों की स्वीकृति भी दे गई है।

अभी छत्तीसगढ़ में जल संसाधन विभाग के पांच मुख्य अभियंता कार्यालय हैं। इनमें मुख्य अभियंता, महानदी परियोजना, (मुख्यालय-रायपुर), मुख्य अभियंता, महानदी गोदावरी कछार, (मुख्यालय-रायपुर), मुख्य अभियंता, मिनीमाता (हसदेव), बांगो परियोजना (मुख्यालय-बिलासपुर), मुख्य अभियंता, हसदेव कछार, (मुख्यालय-बिलासपुर)और मुख्य अभियंता, हसदेव कछार, (मुख्यालय-अंबिकापुर) हैं। वर्तमान में बस्तर संभाग की सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण एवं रख-रखाव, मुख्य अभियंता महानदी परियोजना (मुख्यालय-रायपुर) अंतर्गत संचालित है। बस्तर संभाग के सुकमा जिले के भोपालपट्टनम से रायपुर की दूरी 550 किलोमीटर एवं सुकमा जिले के कोन्टा से रायपुर की दूरी 410 किलोमीटर है। मुख्य अभियंता मुख्यालय रायपुर की दूरी अधिक होने के कारण योजनाओं का संचालन एवं रखरखाव निर्माण कार्य की स्वीकृति इत्यादि में विलंब होता है।
बस्तर संभाग में लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ यांत्रिकीय विभाग एवं छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मण्डल वितरण कंपनी के मुख्य अभियंता कार्यालय संचालित है। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय खोलने की मांग विगत कई वर्षों से की जा रही हैं।

बस्तर संभाग में स्वीकृत नवीन मुख्य अभियंता कार्यालय के अधीन दो अधीक्षण अभियंता कार्यालय अधीक्षण अभियंता इन्द्रावती परियोजना मण्डल जगदलपुर एवं अधीक्षण अभियंता बोधघाट परियोजना मण्डल दन्तेवाड़ा एवं आठ संभागीय कार्यालयों का प्रशासकीय नियंत्रण होगा। संभागों की सिंचाई परियोजनाओं का संचालन, रखरखाव एवं नई योजनाओं के सर्वेक्षण, अनुसंधान, तकनीकी स्वीकृति शासन की जल संसाधन नितियों, प्रक्रियाओं लक्ष्यों और उद्देश्यों का क्रियान्वयन से वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण में गति आयेगी एवं परियोजनआंे को समय सीमा में पूर्ण किया जायेगा। इससे जल के संरक्षण एवं समुचित उपयोग को सुनिश्चित किया जायेगा। इस क्षेत्र के किसानों के जीवन स्तर में खुशहाली, संपन्नता आएगी। औद्योगिक विकास में प्रमुख भूमिका का निर्वाहन सुनिश्चित होगा। साथ ही अंर्तराज्यीय जल विवाद ओडिसा राज्य के जोरानाला मुद्दे एवं आंध्रप्रदेश राज्य के पोलावारम जल विवाद में छत्तीसगढ़ के हित का संरक्षण प्रभावी रूप से किया जा सकेगा।

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