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निकाय चुनाव में प्रचार करने मिलेंगे केवल 11 दिन, जानें कब तक आएगी भाजपा-कांग्रेस की प्रत्याशियों की सूची… अब लाबिंग भी शुरू

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के ऐलान होते ही चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। दरअसल, इस बार मतदान की तारीख के बीच महज 21 दिनों का ही समय मिलेगा। इसके साथ ही भाजपा और कांग्रेस में टिकट को लेकर लाबिंग शुरू हो गई है। जानकारी मिली है कि भाजपा और कांग्रेस 25 से 26 जनवरी के बीच ही प्रत्याशियों की ऐलान कर सकती है। इसे बाद ही सभी प्रत्याशी एक-दो फरवरी से ही पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर पाएंगे। मतदान के 48 घंटे पहले प्रचार थम जाएगा। यानी प्रत्याशियों को प्रचार-प्रसार के लिए केवल 10 से 11 दिन का ही समय मिलेगा।



दरअसल, निगम के चुनाव में डेढ़ से ढाई सौ वोटों के अंतर से परिणाम निकल आते हैं। कम मतदाता होने के कारण नगर निगम के वार्ड का चुनाव विधानसभा और लोकसभा से भी ज्यादा टफ माना जाता है। दोनों ही उच्च सदन के चुनाव में पार्टी का सिंबल निर्णायक होता है, लेकिन वार्ड चुनाव में प्रत्याशी का चेहरा महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए करीब दर्जनभर वार्ड में पिछले चुनाव में महज दो से ढाई सौ वोटों के अंतर से ही प्रत्याशियों के बीच जीत-हार का फैसला हुआ है। वीरांगना अवंति बाई वार्ड में तो केवल एक वोट का अंतर रहा था। भाजपा की गीता सोनी और कांग्रेस की अंजनी विभार के बीच सीधा मुकाबला था।

इस बीच, भाजपा और कांग्रेस के कुछ दावेदारों का कहना है कि कम समय होने के कारण खर्च कम होगा और प्रत्याशी पूरी शिद्दत के साथ प्रचार-प्रसार कर पाएंगे। आमतौर पर ज्यादा समय होने पर प्रत्याशी प्रचार में ढिलाई करते हैं और आखिरी के 10-15 दिनों में ही युद्ध स्तर पर भिड़ते हैं। इस बार कम समय मिलने के कारण प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा डोर टू डोर जनसंपर्क करेंगे। होर्डिंग, बैनर और प्रचार के अन्य माध्यमों पर कम खर्च करना पड़ेगा। दावा किया जाता है कि नगर निगम चुनाव में ज्यादातर प्रत्याशी 25 से 30 लाख के बीच खर्च करते हैं। कुछ बड़े और हाईप्रोफाइल वार्ड में खर्च 50 से 60 लाख तक पहुंच जाता है। पिछले चुनाव में एक-दो वार्डों में अधिकतम एक करोड़ तक खर्च करने का हल्ला था। इस बार चुनाव आयोग ने वार्ड पार्षदों के लिए अधिकतम खर्च की सीमा 8 लाख रुपए तय की है।

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