Close

‘माता-पिता की असहमति के बाद शादी के वादे से मुकरना रेप नहीं’, हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी

महाराष्ट्र। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने शादी का झांसा देकर रेप करने के आरोप के मामले में बड़ी टिप्पणी की है। पीठ ने कहा है कि अगर कोई पुरुष अपने परिवार के सहमत नहीं होने के कारण किसी महिला से शादी करने के अपने वादे से मुकर जाता है तो इसमें बलात्कार का अपराध नहीं बनता है।

हाईकोर्ट ने 31 साल के एक व्यक्ति को उसके खिलाफ दर्ज मामले में बरी करते हुए यह टिप्पणी की। व्यक्ति के खिलाफ शादी के बहाने एक महिला से कथित तौर पर बलात्कार करने का मामला दर्ज कराया गया था। न्यायमूर्ति एम डब्ल्यू चंदवानी की एकल पीठ ने 30 जनवरी को दिए एक आदेश में कहा कि एक व्यक्ति ने केवल शादी के अपने वादे को तोड़ा है और महिला को उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी का झांसा नहीं दिया था।

अदालत ने कहा, ‘वादा तोड़ने और झूठा वादा पूरा न करने के बीच अंतर है।’ वर्ष 2019 में 33 वर्षीय महिला ने नागपुर पुलिस के समक्ष दर्ज कराई गई प्राथमिकी में दावा किया था कि वह 2016 से उस व्यक्ति के साथ रिश्ते में थी और उसने शादी का वादा करने के बाद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। जब महिला को पता चला कि उस व्यक्ति की किसी और से सगाई हो गई है तो उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

मामले में आरोपमुक्त करने के अनुरोध संबंधी याचिका में व्यक्ति ने कहा कि उसका महिला से शादी करने का पूरा इरादा था, लेकिन उसने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और उससे कहा कि वह किसी और से शादी करेगी। याचिका में कहा गया कि इस व्यक्ति के परिवार वालों ने भी इस रिश्ते को स्वीकार करने से मना कर दिया था, जिसके बाद वह दूसरी महिला से सगाई करने को तैयार हो गया।

‘झूठे वादे के संकेत नहीं’

इसमें कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने 2021 में किसी अन्य पुरुष से शादी कर ली थी। अदालत ने कहा कि महिला एक परिपक्व वयस्क हैं और कहा कि उसके द्वारा लगाए गए आरोप इस बात का संकेत नहीं देते कि उस व्यक्ति का उससे शादी करने का वादा झूठा था।

अदालत ने कहा कि यह साबित करने के लिए कोई तथ्य नहीं है कि रिश्ते की शुरुआत के बाद से, इस व्यक्ति का महिला से शादी करने का कोई इरादा नहीं था और उसने केवल शारीरिक संबंध बनाने के लिए झूठा वादा किया था। इसने कहा, ‘केवल इसलिए वह शादी करने के अपने वादे से मुकर गया कि उसके माता-पिता उनकी शादी से सहमत नहीं थे, यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता ने बलात्कार का अपराध किया है।’

scroll to top