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जानें क्यों, बीमा कंपनी के अस्पतालों के नेटवर्क के बारे में जानना है जरूरी

कोरोना महामारी के बाद अधिकांश लोग हेल्थ इंश्योरेंस करवा रहे हैं ताकि मुश्किल वक्त में सही इलाज और वित्तिय सुरक्षा मिल सके. आप अगर हेल्थ इंश्योरेंस लेने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें कि जिस कंपनी से आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रहे हैं तो उसका अस्पतालों का नेटवर्क (Network Hospital) सही हो.

उसी हेल्थ इंश्योरेंस को चुनना चाहिए जो आपको आपके क्षेत्र में अधिकतम अस्पताल नेटवर्क हॉस्पिटल हो. दरअसल नेटवर्क अस्पताल अस्पतालों का एक ग्रप होता है जो आपको अपनी वर्तमान हेल्थ प्लान को भुनाने की परिमिशन देता है.

अगर किसी इंश्योरेंस कम्पनी के अस्पतालों का नेटवर्क अच्छा नहीं है, उसके अस्पताल में नेटवर्क में अच्छे अस्पताल शामिल नहीं हैं तो हो सकता है कि आपात स्थिति में आपको सही इलाज न मिल पाए.

हेल्थ इंश्योरेंस में शहर के अच्छे अस्पताल नेटवर्क में शामिल होने चाहिए ताकि जरूरत पढ़ने पर बेहतर इलाज मिल सके. अस्पताल नेटवर्क में बड़े नेटवर्क शामिल होने चाहिए जिनमें तमाम टेस्ट, आईसीयू, जैसी सुविधाओं. अगर अस्पतालों में ही टेस्ट की सुविधा है तो आपको बाहर टेस्ट नहीं कराना पड़ेगा.

पॉलिसी वही चुनें जो नेटवर्क अस्पतालों में कैशलेस क्लेम की सुविधा देती हो.

कैशलैस मेडिकल इंश्योरेंस में पॉलिसी होल्डर को इलाज के लिए कैश भुगतान नहीं करना होता है और बिलों का सेटलमेंट सीधे अस्पताल और इंश्योरेंस कंपनी के बीच हो जाता है.

यह ध्यान रखें कि अगर अस्पताल में आपकी भर्ती तय है तो आमतौर पर कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को 2 दिन पहले ही इसकी जानकारी दे दें.

अगर एमरज़ेंसी की स्थिति में अस्पताल में भर्ती करने पर 24 घंटों के अंदर इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करना होता है.

बिलों का सेटलमेंट थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) के तहत हो जाता है और मेडीक्लेम कार्ड अस्पताल में सबमिट करना होता है.

कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस के मामले में यह ध्यान रखें कि इलाज, मेडीक्लेम सेवा देने वाली कंपनी के नेटवर्क अस्पतालों की लिस्ट में शामिल किसी अस्पताल में कराया जाए, नहीं तो राशि का रीइम्बर्समेंट बाद में तब होगा जब सारे बिल इंश्योरेंस कंपनी के पास जमा कर दिए जाएंगे.

थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर बीमा देने वाली कंपनी और बीमा लेने वाले व्यक्ति के बीच एक मध्यस्थ के रूप में काम करता है.

थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर का मुख्य काम दावे और सेटलमेंट की प्रक्रिया में मदद करना है.

टीपीए की तरप से बीमा लेने वाले व्यक्ति को कार्ड जारी किया जाता है. इस कार्ड को दिखाने पर ही अस्पताल में कैशलेस इलाज कराया जा सकता है.

किसी दावे के वक्त बीमा लेने वाला व्यक्ति टीपीएस को ही पहले सूचना देता है. इसके बाद उसे संबंधित अस्पताल में जाने के लिए कहा जाता है.

यह बीमा कंपनी के नेटवर्क का अस्पताल होता है. अगर ग्राहक दूसरे अस्पताल में भी इलाज कराता है तो इसका खर्च उसे रीइम्बर्समेंट के जरिए मिल सकता है.

इंश्योरेंस लेते वक्त कोपे का ऑप्शन कभी न चुनें. को-पे का मतलब होता है कि क्लेम की स्थिति में पॉलिसी धारक को खर्चों का कुछ फीसदी खुद भुगतान करना होगा. को-पे को चुनने से प्रीमियम में डिस्काउंट बहुत ज्यादा नहीं मिलता है लेकिन यह ऑप्शन आपके बीमार पड़ने पर ये आपकी जेब खाली करा सकता है.

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