रवि भोई की कलम से
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी चौंकाने वाले फैसले लेती रहती है। इस जोड़ी ने अबकी बार छत्तीसगढ़ के लोगों और भाजपा नेता-कार्यकर्ताओं को भी चौंका दिया। राज्यसभा प्रत्याशी के लिए ऐसे नेता के नाम की घोषणा कर दी, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर रहा था। कांग्रेसी नाड़ी वाले राजा देवेंद्र प्रताप सिंह को भाजपा हाईकमान ने छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजने का फैसला कर दिया। राज्यसभा जाने के लिए सपना देख रहे नेताओं को झटका तो लगा ही, नाम सुनकर दूसरों को भी करंट लग गया। भाजपा के नेता देवेंद्र का नाम सुझाने वाले की तलाश में लग गए हैं। खबर है कि राज्यसभा प्रत्याशी तलाशने केंद्र और राज्य की आठ टीमें लगी थीं। देवेंद्र प्रताप सिंह के पिता और बहन खांटी कांग्रेसी रहे हैं। गोंड आदिवासी देवेंद्र प्रताप सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य होने के साथ दो दशक से भाजपा से जुड़े हैं और वर्तमान में रायगढ़ जिले के लैलूंगा से जिला पंचायत सदस्य हैं। ये भाजपा संगठन में भी कई पदों पर रह चुके हैं। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के बाद अब राज्यसभा प्रत्याशी बनाए जाने से कयासों का बाजार गर्म है। माना जा रहा है कि गोंड आदिवासियों को साधने और रायगढ़ लोकसभा में भाजपा की जीत पक्की करने के लिए देवेंद्र का दांव चला गया है। रायगढ़ लोकसभा की आठ विधानसभा सीटों में चार कांग्रेस और चार भाजपा के पास है। कहा जा रहा कि राज्य की आदिवासी जनसंख्या का 56 फीसदी गोंड हैं। ऐसे में गोंड आदिवासियों को संदेश देने के लिए भी यह रणनीति बनाई गई है। पाली-तानाखार विधानसभा सीट में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की जीत से भाजपा को रायगढ़ के अलावा कोरबा, सरगुजा और दूसरे लोकसभा सीटों में भी गोंड आदिवासियों को साधना जरुरी हो गया है।
गुस्से में जनसंपर्क अधिकारी
कहते हैं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को फिर जनसंपर्क संचालक बनाए जाने से समाचार बनाने और छपवाने वाले अधिकारी इन दिनों नाराज चल रहे हैं। कहा जा रहा है जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने अब तक नए साहब का औपचारिक स्वागत भी नहीं किया है। वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारियों के रहते डिप्टी कलेक्टर को पुनः जनसंपर्क विभाग का संचालक बनाए जाने के खिलाफ उच्चाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया है। मामला हल न होने पर मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात रखने की रणनीति बना रहे हैं। भूपेश बघेल की सरकार में डिप्टी कलेक्टर को संचालक जनसंपर्क बनाने की परंपरा शुरू हुई। तब भी जनसंपर्क अधिकारियों ने उसका विरोध किया और मुख्यमंत्री से मिले थे, लेकिन उनकी आवाज नक्कार खाने की तूती बनकर रह गई। इसके पहले आईएएस को संचालक बनाया जाता रहा है या फिर विभागीय अधिकारी को प्रभार मिल जाता था।जनसंपर्क विभाग में एडिशनल डायरेक्टरों की तादात कुछ बढ़ी है, इस कारण भी अफसर भविष्य की राह बनाने में लगे हैं। खबर है कि इस बार धुआं ज्यादा उठ रहा है। अब देखते हैं जनसंपर्क अधिकारियों के सिर सेहरा बंधता या फिर पिछली बार की तरह उन्हें झुनझुना पकड़ा दिया जाता है।
मंत्रियों के स्टाफ पर उठने लगी उंगुलियां
राज्य की भाजपा सरकार ने एक तरफ भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है, तो दूसरी तरफ कुछ मंत्रियों के पीए-पीएस और विशेष सहायकों को लेकर उंगुलियां भी उठने लगी है। कहते हैं घरेलु मामले को लेकर अदालती फेर में फंसे एक अफसर को एक मंत्री ने अपना विशेष सहायक बना लिया है तो रमन राज में एक मंत्री के यहां चर्चित रहे अफसर ने भी एक नए नवेले मंत्री के यहां अपना ठीहा बना लिया है। इस अफसर ने कांग्रेस राज में भी कुछ दिनों तक एक मंत्री के यहां रस्सी थामे रहा। पोल खुलने पर विदाई हो गई। एक पुराने मंत्री ने इस बार पुराने चेहरों को अपने स्टाफ में जगह नहीं दी तो उन्होंने एक नए मंत्री का दामन थाम लिया। एक मंत्री ने तो मुआवजा प्रकरणों के खिलाड़ी एक अफसर को अपनी टीम में रख लिया है। मंत्री स्टाफ की छवि को लेकर चर्चा का बाजार गर्म होने लगा है और लोग कहने लगे हैं दागदार लोगों के सहारे मंत्री बेदाग सरकार कैसे चला पाएंगे ?
वन विभाग में उत्तर-दक्षिण की लड़ाई
कहते हैं छत्तीसगढ़ के वन विभाग में इन दिनों दो गुट बन गया है। उत्तर के अफसरों का एक गुट है,तो दूसरा एक दक्षिण भारतीय अफसरों का। अभी वन विभाग में दक्षिण भारतीय अफसरों का वर्चस्व है। उत्तर भारत से संबंध रखने वाले अफसर इस वर्चस्व को तोड़ने में लगे हैं। जंग का असर विधानसभा में भी नजर आने लगा है। सदन में चर्चा में भी वन विभाग सुर्खियों में आ जा रहा है। राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद से पीसीसीएफ श्रीनिवास राव को बदले जाने की चर्चा चल पड़ी है। कुछ दिनों पहले एक नाम भी सामने आ गया, लेकिन अब तक अधिकृत कुछ नहीं हुआ है। श्रीनिवास राव की नियुक्ति से प्रभावित अफसर कोर्ट गए हैं। कहते हैं 23 फ़रवरी को मामले की सुनवाई होनी है। कोर्ट के निर्देश का भी कुछ अफसरों को इंतजार है।
साय के राज में वापसी
भूपेश बघेल के राज में छत्तीसगढ़ से केंद्र सरकार में चले गए आईएएस और आईपीएस अफसर विष्णुदेव साय की सरकार में वापसी करने लगे हैं। माना जा रहा है कि अफसरशाही के लिए अनुकूल माहौल के चलते वापसी होने लगी है। आईएएस अफसर ऋचा शर्मा के बाद सोनमणि बोरा और मुकेश बंसल को भी भारत सरकार ने रिलीव कर दिया है। अमित कटारिया और रजत बंसल की भी वापसी की चर्चा है। इनमें से कुछ अफसर समय पूरा होने से पहले ही लौट रहे हैं। आईपीएस अफसरों में पहले अमित कुमार आए। इसके बाद अमरेश मिश्रा की भी वापसी हो गई। अमित कुमार लंबे समय तक केंद्र सरकार में पदस्थ रहे। छत्तीसगढ़ सरकार ने आईपीएस अफसरों की नई पोस्टिंग कर दी है। आईएएस अफसरों की ज्वाइनिंग का इंतजार है। कहा जा रहा है केंद्र सरकार से आईएएस अफसरों की वापसी के बाद दो -तीन विभाग संभाले अफसरों का बोझ हल्का होगा और राज्य में आला अफसरों की कमी दूर होगी।
विधायक पर भारी पड़े अधिकारी
कहते हैं एक भाजपा विधायक पर महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारी भारी पड़ गए। खबर है कि महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारी एक प्रश्न पर सदन पर चर्चा नहीं चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कूटनीति का इस्तेमाल किया और सफल हो गए। प्रश्न तारांकित से अतारांकित में बदल गया। अब प्रश्न-उत्तर विधानसभा की प्रश्नोत्तरी में तो छपेगा, लेकिन उस पर सवाल-जवाब नहीं होगा। चर्चा है कि विधायक जी 20 फ़रवरी को इस प्रश्न को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में जुटे थे। अब विधायक जी आक्रमण नहीं कर पाएंगे। कहा जा रहा है कि कूटनीति सफल होने पर विभाग के अफसरों ने जश्न मनाया। बताते हैं प्रश्न पिछली सरकार में अधिकारियों-कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। विधानसभा में चर्चा होती तो कई अधिकारियों-कर्मचारियों के कपड़े उत्तर जाते।
पुलिस मुख्यालय में पोस्टिंग का इंतजार
राज्य सरकार ने फ़रवरी के पहले हफ्ते में कई आईपीएस अफसरों की पोस्टिंग बदली थी। फील्ड में तैनात अफसर पुलिस मुख्यालय में भेजे गए और पुलिस मुख्यालय के कुछ अफसरों को फील्ड में भेजा गया। जिले में भी इधर से उधर हुए। पुलिस मुख्यालय में आए अफसरों को अभी तक कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। ये अफसर भूपेश बघेल के राज में प्राइम पोस्टिंग पर रहे। साय की सरकार इन अफसरों को क्या काम सौंपती है या नहीं, इस पर सबकी नजर टिकी हुई है।
उच्च शिक्षा आयुक्त रहने का रिकार्ड
कहते हैं आईएएस शारदा वर्मा 2019 से उच्च शिक्षा आयुक्त हैं। अब तक राज्य में इतने लंबे समय तक कोई भी कमिश्नर हायर एजुकेशन नहीं रहा। भूपेश बघेल के राज में जब अफसरों की पोस्टिंग फटाफट बदल जाती थी, तब भी शारदा वर्मा अप्रभावित रहीं। विष्णुदेव साय की सरकार ने जनवरी महीने में आईएएस अफसरों में फेरबदल किया, तब भी उनका विभाग नहीं बदला। शारदा वर्मा वित्त विभाग में भी विशेष सचिव हैं।
यूपीएससी को गए डिप्टी कलेक्टरों के नाम
कहते हैं सात डिप्टी कलेक्टरों को आईएएस बनाने के लिए राज्य शासन ने इस महीने संघ लोकसेवा आयोग को प्रस्ताव भेज दिया है। सात पदों के लिए 21 अफसरों के नाम भेजे गए हैं। इनमें 2008 बैच के अफसरों के अलावा हिना नेताम और संतोष देवांगन के नाम भी आईएएस के लिए भेजा गया है। बताते हैं जेल में बंद डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया आईएएस के लिए विचार क्षेत्र से बाहर हो गई है। सौम्या का नाम आईएएस के लिए संघ लोकसेवा आयोग को नहीं भेजा गया है। 2008 बैच को 2021 और 2022 में आईएएस अवार्ड हो जाना चाहिए था।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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