महंगाई बढ़ने की आशंका से अब आरबीआई भी चिंतित दिख रहा है. दरअसल हाल के दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जिस तेजी से इजाफा हो रहा है और इनकी कीमतें रिकार्ड लेवल पर पहुंच चुकी हैं, इससे आरबीआई को महंगाई के मोर्चे पर चिंता सताने लगी है. अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर काबू नहीं हुआ तो यह अर्थव्यवस्था में आ रही रफ्तार के असर को कम कर सकती है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पेट्रोल-डीजल महंगा होने से मैन्यूफैक्चरिंग की लागत बढ़ सकती है. इसका असर महंगाई पर पड़ सकता है. गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने साफ कहा कि पेट्रोल और डीजल पर टैक्स की कटौती पर केंद्र और राज्य सरकारों को मिल कर फैसला लेना होगा. उन्होंने कहा कि दरअसल इस वक्त राज्य और केंद्र दोनों की कमाई पर असर पड़ा है. कमाई घटने की वजह से न तो राज्य टैक्स कटौती की हालत में हैं और न केंद्र में. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की महंगाई घटने की उम्मीद नहीं की जा सकती.
हाल में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है. इससे तेल महंगा हुआ है. लेकिन केंद्र और राज्य दोनों की ओर से इन पर लगाई जाने वाली टैक्स की दरें काफी ऊंची है. यही वजह है कि देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गई हैं. डीजल की कीमत भी 90 रुपये प्रति लीटर को पार कर गई हैं. आरबीआई का लक्ष्य महंगाई को चार से पांच फीसदी के दायरे में रखने का है. लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं हुई तो खुदरा महंगाई दर बेकाबू हो सकती है. इससे आम आदमी की आमदनी के अलावा आर्थिक विकास दर पर भी नकारात्मक तौर पर असर पड़ेगा.