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बदलते मौसम में रामलला कहीं बीमार ना हो जाएं इसलिए मधु -पर्क से कराया जा रहा स्नान

अयोध्या। मार्च का महीना लगभग एक तिहाई बीत गया है. मार्च का महीना शुरू होते ही होली का हुड़दंग और गर्मी का अहसास लोगों को होने लगता है. लेकिन इस बार का मौसम कुछ अजीब दिख रहा है. मौसम विभाग के अनुसार, मार्च महीने में रात में गर्मी होगी तो वहीं दिन का तापमान सामान्य रहेगा. मौसम के इस अजीब खेल का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है. बदलते मौसम में रामलला बीमार न हों, इसलिए उनकी नित्य सेवा में कुछ बदलाव किए गए हैं.

 

बदलते मौसम में रामलला का विशेष ध्यान दिया जा रहा है. रामलला को इन दिनों पंचामृत की बजाय मधु-पर्क से स्नान कराया जा रहा है. भोग में उन्हें मौसमी फल, केसर युक्त दूध व ड्राई फ्रूट्स दिए जा रहे हैं. रामलला को सुबह 4 बजे नित्य स्नान कराया जाता है. पहले रामलला को पंचामृत से स्नान कराया जाता था लेकिन अब मधु-पर्क से स्नान कराया जा रहा है .

राजसी ढंग से रामलला की सेवा
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के अनुसार इस समय मौसम में उतार-चढ़ाव का दौर चल रहा है, रामलला कहीं बीमार न हो जाएं, इसलिए उनका विशेष ध्यान रखा जा रहा है. सुबह सबसे पहले उन्हें मधु-पर्क से स्नान कराया जा रहा है. आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद माना जाता है कि उनमें प्राण हैं. राममंदिर में रामलला पांच साल के बालक के रूप में विराजमान हैं. वे राजकुमार भी हैं, ऐसे में रामलला की नित्य सेवा बालक के रूप में राजसी ढंग से की जाती है.

कब-कब लगाया जाता है रामलला को भोग
आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि रामलला को सुबह 6:30 बजे शृंगार आरती के बाद रबड़ी, किशमिश, बादाम आदि का भोग लगाया जाता है. 9 बजे रामलला को बाल भोग कराया जाता है. इसमें केसर, मखाना, मिश्रित दूध का भोग लगता है. दोपहर 12 बजे राजभोग अर्पित किया जाता है. इसमें कई प्रकार के व्यंजन होते हैं. रात में भी रामलला को लगभग इसी तरह का भोग लगाया जाता है. पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि चूंकि अब ठंड लगभग खत्म है इसलिए रामलला को रजाई के बजाय पशमीना शॉल ओढ़ाई जा रही है.

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