नई दिल्ली-स्कूल में 6 से 12वीं क्लास तक की लड़कियों को सैनिटरी पैड मुफ्त दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है। इसमें कहा गया है कि मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 4 हफ्ते के अंदर एक समान (यूनिफॉर्म) पॉलिसी बनाकर रिपोर्ट पेश की जाए।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पर्दीवाला की बेंच ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्कूलों में लड़कियों के टॉयलेट की उपलब्धता और सेनेटरी पैड की सप्लाई को लेकर जानकारी भी मांगी है। साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सैनिटरी पैड और सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन के लिए किए गए खर्च का ब्यौरा देने को भी कहा है।दरअसल, एडवोकेट वरिंदर कुमार शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके लड़कियों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर चिंता जताई थी। याचिका में बताया था कि पीरियड में होने वाली दिक्कतों के कारण कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। क्योंकि, उनके परिवार के पास पैड पर खर्च करने लायक पैसे नहीं होते हैं और कपड़ा यूज करके उन दिनों में स्कूल जाना परेशानी का कारण बनता है।स्कूलों में भी लड़कियों के लिए फ्री पैड की सुविधा नहीं है। इससे उनके पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं, स्कूलों में यूज्ड पैड को डिस्पोजल करने की सुविधा भी नहीं है, इस वजह से भी लड़कियां पीरियड्स में स्कूल नहीं जा पाती हैं।
केंद्र ने कहा- ये हमारी नहीं, राज्यों की जिम्मेदारी
कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि वह लड़कियों के लिए पीरियड्स के दौरान स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार के लिए समर्पित है। लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं देने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।