स्पोर्ट्स न्यूज़। राजस्थान रॉयल्स के युवा बल्लेबाज वैभव सूर्यवंशी ने 14 साल की उम्र में आईपीएल में शतक जड़ दिया है वह ऐसा करने वाले दुनिया के सबसे युवा बल्लेबाज बन गए। वैभव ने सोमवार को गुजरात टाइटंस के खिलाफ 38 गेंद में 101 रन की पारी खेली। वह इस लीग में सबसे तेज शतक लगाने वाले भारतीय भी बन गए। वैभव आईपीएल डेब्यू करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बने थे। उन्होंने लखनऊ सुपर जाएंट्स के खिलाफ डेब्यू किया था। वैभव ने अपनी आईपीएल करियर की पहली गेंद पर शार्दुल ठाकुर का सामना किया था और पहली गेंद पर छक्का लगाकर बता दिया कि उनमें कितनी प्रतिभा है।
अब शतक के लिए उन्होंने दुनिया के सबसे बेहतरीन स्पिनर अफगानिस्तान के राशिद खान की गेंद पर छक्का लगाया और बता दिया कि भारत का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। हालांकि, वैभव के लिए यह सफर आसान नहीं रहा है। उन्हें और उनके परिवार को काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि उनके पिता ने उनके क्रिकेट करियर के लिए जमीन तक बेच दी थी। वैभव की उम्र पर भी सवाल उठे, लेकिन इस युवा ने मजबूती और दृढ़संकल्प से सभी को अपना लोहा मनवाया। आइए उनकी पूरी कहानी जानते हैं…
पांच साल की ट्रेनिंग का मिल रहा फल
कहते हैं पूत के पांव पालने में नजर आते हैं। पहले ही आईपीएल मैच में 20 गेंदों में 34 रन की पारी वैभव की प्रतिभा की बानगी पेश की। इसके बाद छोटी-छोटी लेकिन बहादुर पारियां खेल वैभव ने अपनी प्रतिभा दिखाई। अब उन्होंने शतक जड़कर दुनिया के सामने दम दिखाया है। शार्दुल ठाकुर, आवेश खान, सिराज, ईशांत शर्मा, प्रसिद्ध कृष्णा, वॉशिंगटन सुंदर, राशिद खान और करीम जनत जैसे गेंदबाजों पर प्रहार कर उन्होंने संकेत दे दिया है उन्हें छोटा बच्चा समझने की गलती नहीं करें। नाविक के तीर की तरह उनके शॉट ताकतवर और सटीक हैं। हालांकि, सवाल यह उठता है कि 14 वर्षीय खिलाड़ी अपने स्ट्रोक्स में इतनी ताकत कैसे पैदा कर सकता है कि उसने शीर्ष स्तर के आक्रमण का सामना करते हुए एक बार नहीं कई बार गेंद को स्टैंड में भेजा? सोमवार को गुजरात के खिलाफ अपनी पारी में वैभव ने सात चौके और 11 छक्के लगा दिए थे।
पटना के उनके कोच मनीष ओझा कहते हैं, ‘आप लोगों ने उसके शॉट में ताकत देखी होगी। बल्ले की स्विंग और सही टाइमिंग देखी होगी। अगर छक्का मारने के लिए ताकत ही एकमात्र मानदंड होता तो पहलवान क्रिकेट खेलते। यह पांच साल की ट्रेनिंग है जिसमें वैभव हर दिन 600 सौ गेंदें खेलते थे।’ जब आम 14 वर्षीय बच्चे प्लेस्टेशन खेलने और होमवर्क करने में व्यस्त होते हैं, तब बिहार के समस्तीपुर के इस किशोर ने कई अनुभवी गेंदबाज की गेंदों पर छक्के लगाए। उन्होंने गेंद को सवाई मानसिंह स्टेडियम की दर्शक दीर्घा में पहुंचा दिया। कोच ओझा ने इस विशेष प्रतिभा को पहचाना और सुनिश्चित किया कि 10 साल के वैभव को इस तरह तैयार किया कि जब भी मौका मिले, वह बड़ी चुनौती के लिए तैयार रहे।
बेटे के लिए पिता ने बेच दी खेती की जमीन
ऐसी प्रतिभा रातों-रात नहीं बनीं, इस अविश्वसनीय कहानी की नींव तब पड़ी जब उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने अपने बेटे के क्रिकेट सपनों को पूरा करने के लिए अपनी खेती की जमीन बेच दी। बिहार क्रिकेट संघ ने वैभव का समर्थन किया और उसे रणजी ट्रॉफी में जगह दिलाई। तिलक नायडू की अध्यक्षता में अंडर-19 राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने उसे कोल्ट टेस्ट क्रिकेट में पहुंचाया। अंत में राजस्थान रॉयल्स के राहुल द्रविड़ और जुबिन भरूचा ने आईपीएल की शुरुआत से पहले उसे 150 से अधिक की गति से साइड-आर्म थ्रोडाउन का सामना करवाकर इस अनगढ़े हीरे को चमकाने में अपना योगदान दिया। ओझा वैभव के पिता और उनके बलिदान की प्रशंसा करते हैं। उसके पिता मैच दिखाने के लिए हर दूसरे दिन 100 किलोमीटर की यात्रा करते थे। मां उसके खान-पान को लेकर बहुत सजग रहती थीं। अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन 600 गेंदें खेलता है तो उसे प्रोटीन के मामले में ज्यादा पोषण की जरूरत होगी।
बल्ले का स्विंग युवराज जैसा
वहीं वैभव के कोच ओझा बताते हैं, ‘जब वह आठ साल का था तब उसके पिता संजीव उसे मेरे पास लाए थे। हर बच्चा अलग होता है, लेकिन अगर मैं उस उम्र के दूसरे लड़कों को देखता हूं तो उसे जो भी सिखाया जाता तो उसमें कार्यान्वित करने की समझ थी। उसका तरीका, बैक-लिफ्ट, कार्यान्वयन, इरादा, सभी हमेशा तालमेल में रहते थे। अकादमियों में अन्य लड़के शायद एक दिन में 50 गेंदें खेलते हैं। मैंने वैभव के ट्रेनिंग सत्रों के लगभग 40 वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किए हैं। आप देखेंगे कि उसका बल्ले का स्विंग युवराज सिंह जैसा है।’ वैभव ने अब तक आईपीएल में तीन मैचों में 75.50 की औसत और 222.05 के बेहतरीन स्ट्राइक रेट से 151 रन बना लिए हैं।
वैभव की उम्र पर भी हुआ था विवाद
पिछले साल जेद्दा आईपीएल की मेगा नीलामी के दौरान वैभव ही चौंकाने वाले खिलाड़ी रहे थे। तब 13 साल की उम्र के उस खिलाड़ी को राजस्थान रॉयल्स ने 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा था। 27 मार्च 2011 को बिहार में जन्मे वैभव नीलामी में बिकने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।हालांकि, नीलामी में इस युवा क्रिकेटर के करोड़पति बनते ही विवाद शुरू हो गया। उनकी उम्र को लेकर सवाल खड़े किए गए। हालांकि, वैभव के पिता टस से मस न हुए और आलोचना करने वालों को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वह किसी से नहीं डरते और जो भी जानकारी दी गई है, वह सही है। समस्तीपुर से 15 किलोमीटर दूर मोतीपुर गांव में खेती योग्य जमीन को बेचने वाले संजीव के पास नीलामी में बेटे के करोड़पति बनने के बाद कोई शब्द नहीं था। संजीव ने तब कहा था कि वैभव अब उनका बेटा नहीं बल्कि पूरे बिहार का बेटा है। संजीव के मुताबिक उनके बेटे ने आठ वर्ष की उम्र में ही कठिन मेहनत की और जिले के अंडर-16 ट्रायल में सफलता हासिल की। वैभव की उम्र संबंधी विवादों पर संजीव ने कहा था कि जब वह साढ़े आठ साल के थे तो बीसीसीआई की ओर से उसकी हड्डियों का टेस्ट हुआ था। वह कहते हैं कि उन्हें इस बारे में किसी का डर नहीं है। हम आगे भी किसी टेस्ट तक जा सकते हैं।
घरेलू क्रिकेट में धमाल मचा चुके वैभव
उन्होंने जनवरी 2024 में बिहार के लिए अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू किया, तब उनकी उम्र सिर्फ 12 साल और 284 दिन थी। पिछले साल वह चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत अंडर-19 के मैच का हिस्सा थे, जहां उन्होंने 58 गेंदों में शतक जड़ा था। इसी के साथ वैभव ने अंडर-19 टेस्ट में किसी भारतीय द्वारा सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड बना लिया था। युवा खिलाड़ी ने अपनी दमदार पारी के दौरान 14 चौके और चार छक्के लगाए। वह मात्र 62 गेंदों पर 104 रन बनाकर रन आउट हो गए थे। उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टी20 टूर्नामेंट 2024 के दौरान बिहार के लिए अपना टी20 डेब्यू भी किया। हालांकि वे अपने एकमात्र मैच में ज्यादा रन नहीं बना पाए। वे ACC अंडर 19 एशिया कप 2024-25 में सातवें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी भी थे। उन्होंने टूर्नामेंट में पांच मैचों में 176 रन बनाए, जिसमें उनका उच्चतम स्कोर 76* रहा।