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Operation Sindoor: सेना ने बताया- कार्रवाई के डर से खाली हुए कैंप,तबाह हुए आतंकी ठिकानों की तस्वीरें साझा की

 



दिल्ली। भारत की थल सेना, नौसेना और वायु सेना के सैन्य महानिदेशक (डीजीएमओ) मीडिया को संबोधित कर रहे हैं। तीनों सेनाओं के अधिकारी जब प्रेस ब्रीफिंग करने पहुंचे तो ऑडियो-वीडियो प्रस्तुति चलाई गई। इसके माध्यम से भी भारतीय सेना ने स्पष्ट संदेश दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस बैकग्राउंड संगीत का इस्तेमाल किया गया वह शिव तांडव स्तोत्र है। एयर मार्शल एके भारती, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई, वाइस एडमिरल एएन प्रमोद और मेजर जनरल एसएस शारदा ने भारतीय सेना की कार्रवाई पर जानकारी दी।

सेना के अधिकारियों ने तस्वीरों के साथ विस्तार से बताया कि सैन्य कार्रवाई से पहले के हालात कैसे थे और बाद का मंजर कैसा है। उन्होंने बताया कि भारत की जवाबी कार्रवाई के डर से कुछ आतंकी ठिकाने खाली हो गए। ऑपरेशन सिंदूर के लिए सोच-विचार कर नौ आतंकी शिविरों को हमले के लिए चुना गया। 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए।

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा, आप सभी ने देखा है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों को कितनी बेरहमी और निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। जब हमने उन दर्दनाक तस्वीरों और परिवारों के दुख को हाल के अन्य आतंकी हमलों के साथ जोड़कर देखा तो यह स्पष्ट हो गया कि अब देश को एक कड़ा जवाब देना जरूरी है। इसी मकसद से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया गया ताकि आतंक फैलाने वालों और उसकी योजना बनाने वालों को सजा दी जा सके और उनके छिपने की जगहें खत्म की जा सकें। मैं यहां वही बात नहीं दोहरा रहा, जो हम पहले भी कई बार कह चुके हैं कि भारत आतंकवाद को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट घई ने कहा, इन नौ आतंकी ठिकानों पर हुए हमलों में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए, जिनमें यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद जैसे कुछ बड़े लक्ष्य भी शामिल थे। ये सभी IC814 विमान अपहरण और पुलवामा हमले में शामिल थे। इसके बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) का उल्लंघन किया और उनकी बौखलाहट साफ दिखी। उन्होंने जवाबी कार्रवाई में कई आम लोगों, गांवों और धार्मिक स्थलों जैसे गुरुद्वारों को भी निशाना बनाया, जिससे दुखद रूप से कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। भारतीय वायुसेना ने आतंकी शिविरों को निशाना बनाया और भारतीय नौसेना ने सटीक हथियारों की मदद दी। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान लगातार आसमान में मुस्तैद थे।

उन्होंने आगे कहा, 8-9 मई की रात को उन्होंने (पाकिस्तान ने) हमारी सीमा के पास ड्रोन और विमान भेजे और कई सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के कई असफल प्रयास किए। पाकिस्तान की ओर नियंत्रण रेखा पर उल्लंघन फिर से शुरू हुआ और फिर यह मुठभेड़ में बदल गया।

एयर मार्शल ए.के. भारती ने कहा, 8 और 9 की रात साढ़े दस बजे से हमारे शहरों पर ड्रोन और यूएवी से बड़े पैमाने पर हमला किया गया, जो श्रीनगर से नलिया तक किए गए… हम तैयार थे और हमारी वायु रक्षा तैयारियों ने सुनिश्चित किया कि जमीन पर या दुश्मन द्वारा तय किसी भी लक्षित लक्ष्य को कोई नुकसान न पहुंचे। एक संतुलित प्रतिक्रिया में हमने एक बार फिर लाहौर और गुजरांवाला में सैन्य प्रतिष्ठानों, निगरानी रडार साइट को निशाना बनाया… ड्रोन हमले सुबह तक जारी रहे, जिनका हमने जवाब दिया। ड्रोन हमले लाहौर के नजदीक कहीं से किए जा रहे थे, दुश्मन ने अपने नागरिक विमानों को भी लाहौर से उड़ान भरने की अनुमति दे दी थी, न केवल उनके अपने विमान बल्कि अंतर्राष्ट्रीय यात्री विमान भी, जो काफी असंवेदनशील है और हमें अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी।

डीजीएमओ लेफ्टिनेंट घई ने बताया, जमीन पर भी हमने वायु रक्षा प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर प्रणाली को तैनात करने जैसे कुछ अहम कदम उठाए, ताकि भारतीय वायु सेना के साथ मिलकर एक साझा सुरक्षा तंत्र (इंटीग्रेटेड ग्रिड) बनाया जा सके। मैंने देखा और सुना है कि आप में से कई लोग इस तरह की प्रणाली की काफी सराहना कर रहे हैं, खासतौर पर जब बात दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने की हो। हमने जमीन, समुद्र और आसमान तीनों क्षेत्रों में अपनी सेनाओं की तैनाती की और उन्हें आगे बढ़ाया। 9 और 10 मई की रात भी ड्रोन और विमानों से वैसी ही घुसपैठ की कोशिश हुई। इस बार दुश्मन ने खास तौर पर हमारे एयरफील्ड्स और कुछ बेहद जरूरी लॉजिस्टिक (सप्लाई) ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की। लेकिन फिर एक बार भारतीय वायु सेना और थल सेना की साझा वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को पूरी बहादुरी और कुशलता से नाकाम कर दिया। दुश्मन का कोई भी हमला कामयाब नहीं हो पाया।
उन्होंने आगे कहा, कुछ एयरफील्ड और लॉजिस्टिक ठिकानों पर हवाई हमलों की कई लहरें आईं, लेकिन सभी को नाकाम कर दिया गया। पाकिस्तानी सेना ने 7 से 10 मई के बीच नियंत्रण रेखा पर तोप और छोटे हथियारों से हुई गोलीबारी में लगभग 35 से 40 सैनिकों के मारे जाने की रिपोर्ट दी।
एयर मार्शल भारती ने कहा, 8 मई की शाम लगभग 8 बजे से पाकिस्तान के कई ड्रोन और लड़ाकू उपकरणों ने भारतीय वायु सेना के कई ठिकानों पर हमले की कोशिश की। इनमें जम्मू, उधमपुर, पठानकोट, अमृतसर, बठिंडा, डालहौजी, जैसलमेर शामिल थे। ये हमले लगभग एक साथ किए गए थे और लहरों में आए। हमारी सभी एयर डिफेंस गन और अन्य प्रणाली पहले से तैयार थे। इन सभी लहरों को हमारे प्रशिक्षित चालकों ने वायु रक्षा प्रणाली का उपयोग करके तबाह कर दिया। पाकिस्तान की ओर से इन घुसपैठ औरहमलों से जमीन पर कोई नुकसान नहीं हुआ।

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