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धूमावती जयंती आज : विधवा के रूप में पूजा जाता है मां को, जानिए पूजा का महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार मां धूमावती की जयंती ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. मां धूमावती अलक्ष्मी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं. इस साल धूमावती जयंती 28 मई, रविवार को मनाई जाएगी. भगवान शिव द्वारा प्रकट महाविद्या हैं. उनको सातवीं महाविद्या कहा जाता है.वह दरिद्रता को दूर करने वाली देवी हैं. उनको दुखों को दूर और गुस्से को शांत करने वाली देवी भी माना जाता है. पुराणों के मुताबिक उनके बराबर शक्ति कोई दूसरी नहीं है. दुख-तकलीफों से बचने के लिए मां धूमावती की पूजा की जाती है. जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक मां की पूजा करता है उन पर मां की कृपा बरसती हैं.

मां धूमावती को विधवा रूप में पूजा जाता है. वह सफेद कपड़े धारण करने वाली देवी हैं जो अपने बाल खुले रखती हैं. एक कथा के मुताबिक जब सती ने यज्ञ में खुद को भस्म कर दिया था उस समय जो धुआं निकला उससे मां धूमावती का जन्म हुआ था. वहीं दूसरी कथा के मुताबिक एक बार माता पार्वती भगवान शिव के साथ कहीं घूमने गई थीं. इस दौरान उनको भूख लग गई. देर तक खाना नहीं मिला तो उन्होंने शिव को ही निगल लिया. शिव की प्रार्थना के बाद उन्होंने उनको वापस उगल दिया. कहा जाता है कि शिव ने उनको विधवा रूप में रहने का श्राप दे दिया था. इस तरह से धूमावती देवी का जन्म हुआ. देवी के जन्म के बारे में अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं.

कैसे करें मां धूमावती की पूजा
मां धूमावती की जंकी के दिन सुबह जल्दी उठकर पहले पहले स्नान करें इसके बाद पूजा की जगह को गंगाजल से पवित्र कर लें. फिर माता की तस्वीर को सामने रखकर धूप-दीप,फल, चावल और सिंदूर से उनका पूजन करें और भोग लगाएं. पूजा के आखिर से जो भी गलती हुई है उसकी माफी मांग लें.इसके साथ ही माता से संकट दूर करने और कष्ट हरने की कामना करें.

देवी को लगाएं किस चीज का भोग?
मां धूमावती ने पापियों के नाश के लिए अवतार लिया था. इसीलिए वह ज्येष्ठा भी कहलाती हैं. उनकी पूजा करना काफी फलकारी है. मां की पूजा धन प्राप्ति के लिए भी की जाती है. उनकी साधनाएं साधारण नहीं बल्कि उग्र होती हैं. मध्य प्रदेश के दतिया में मां धूमावती का बड़ा मंदिर है. खास बात ये है कि इन देवी को भोग में मीठा नहीं बल्कि नमकीन चढ़ाया जाता है.दतिया पीठ में मां को कचौड़ी और पकौड़ें का भोग लगाया जाता है.

गुरु आदेश के बिना न करें मां धूमावती की पूजा
मां धूमावती को भूखी देवी माना जाता है, इसीलिए कभी भी इनकी पूजा बिना भोग के नहीं करनी चाहिए. सूखी रोटी पर नमक लगाकर भी मां का भोग लगाया जा सकता है. कहा जाता है कि मां को रोटी भी बहुत प्रिय है.जिस पर भी मां की कृपा बरस जाती है उनके सभी कष्ट कट जाते हैं.उसके पास धन और वैभव की कोई कमी नहीं रहती है. भक्तों को पूजा के समय धूमावती स्तोत्रं का पाठ करना चाहिए.वैसे तो गुरु के आदेश के बिना मां की पूजा नहीं करनी चाहिए लेकिन अगर आपके पास गुरु नहीं हैं तो भगवान शिव को गुरु मानकर येपूजा की जा सकती है.

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