विकास जरूरी है लेकिन इसे हमें प्रकृति से बिना छेड़छाड़ किए हासिल करना होगा। प्रकृति का अस्तित्व बसता है पेड़-पौधों, नदियों, जंगलों और पहाड़ों में। क्या हमने उन्हें सुरक्षित रखा है या क्या सुरक्षित रखने की कभी कोशिश की है? नदियों पर बांध, वृक्षों की अवैध कटाई और जंगल एवं पहाड़ों पर गगनचुंबी इमारतें खड़ी कर क्या हम पर्यावरण के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे ?
बदले में प्रकृति के प्रकोप स्वरूप कभी हमें भूस्खलन, कभी भूकंप और कभी जल प्रलय जैसी विभीषिकाएं झेलनी पड़ती हैं, जो पल भर में हजारों-लाखों लोगों की जिंदगियां बर्बाद कर देती हैं। महानगरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण हर किसी का सांस लेना दूभर हो गया है। पर्यावरण की स्थिति दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है। निरंतर बिगड़ते पर्यावरण पर नियंत्रण रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रत्येक वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया। साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में विश्व पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में लगभग 119 देशों ने हिस्सा लिया था।
कब मनाते हैं विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल जून के महीने में मनाया जाता है। भारत समेत विश्वभर में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इस मौके पर सभी देश अलग अलग तरीके से पर्यावरण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत 1972 में हुई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून 1972 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया, तब से हर वर्ष इस दिन को मनाया जाने लगा।
किस देश में मनाया गया था पहला पर्यावरण दिवस
संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला लिया था लेकिन पर्यावरण दिवस सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मनाया गया। 1972 में स्टॉकहोम में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 119 देशों में हिस्सा लिया था।
पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य
दुनिया में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। इसी बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृति पर खतरा बढ़ रहा है। जिसे रोकने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई, ताकि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए और प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
पर्यावरण दिवस की थीम
विश्व पर्यावरण दिवस के लिए प्रतिवर्ष एक खास थीम होती है। विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम “Solutions to Plastic Pollution” है। यह थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित है।