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घरेलू उड़ानों में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पर राज्यों में असहमति, नागरिक उड्डयन मंत्रालय राज्यों से कर रहा बातचीत

नई दिल्लीः घरेलू उड़ानों में आरटी-पीसीआर को सीमित करने की कोशिश पर राज्यों में असहमति के बीच केंद्र सरकार इस पर कोशिश कर रही है. केंद्र सरकार चाहती है कि जिन यात्रियों को कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लग गई हैं उन्हें घरेलू उड़ान में आरटी-पीसीआर की बाध्यता से बाहर रखा जाय. इसे लेकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय राज्यों से बात कर रहा है.

सिविल एविएशन मिनिस्ट्री का तर्क   

सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी पिछले कई महीनों से ये कहते आए हैं कि एविएशन इंडस्ट्री भारी नुक़सान में है, लिहाज़ा हम इसे धीरे-धीरे खोलने के सुरक्षित रास्ते तलाश रहे हैं. अब जबकि काफ़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज़ लग गए हैं तब मंत्रालय ऐसे लोगों को बिना आरटी-पीसीआर के यात्रा करने देने की वकालत कर रहा है.

राज्यों से अनुमति ज़रूरी 

दरअसल, स्वास्थ्य सम्बंधी मामलों पर राज्य का अधिकार होता है और राज्यों की अनुमति के बिना आरटी-पीसीआर टेस्ट को नहीं हटाया जा सकता. इस वक़्त महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे करोना प्रभावित राज्यों में आरटी-पीसीआर दिखाना अनिवार्य है.

लेकिन तैयार नहीं हैं बड़े राज्य 

महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. इन राज्यों का कहना है कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लग जाने के बावजूद करोना नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में बाहर से एसिमटोमैटिक मरीज़ों से ख़तरा हो सकता है.

पहले हो 70% जनसंख्या का टीकाकरण

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कहा गया है कि अभी वैक्सीनेशन की दर बहुत धीमी है. अधिकांश लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज़ मिलने में दिक्कत आ रही है. ऐसे में जब तक देश की 70% आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज़ नहीं लग जाते तब तक आरटी-पीसीआर की बाध्यता को बनाए रखना मजबूरी है.

 

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