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ओमीक्रोन का सबवेरिएंट BA.2.12.1 भारत पहुंचा

ओमीक्रोन ने पिछले साल पूरी दुनिया में खूब कहर बरपाया। भारत में भी ज्‍यादातर कोविड मरीजों में यही वेरिएंट मिल रहा है। मगर अब इसके सबवेरिएंट्स चिंताजनक रफ्तार से फैलने लगे हैं। ओमीक्रोन का सबवेरिएंट BA.2.12.1 भारत पहुंच गया है। हालांकि अभी इसका इन्‍फेक्‍शन सीमित है मगर राज्‍यों को अलर्ट कर दिया गया है। महाराष्‍ट्र और तमिलनाडु में ओमीक्रोन के सबवेरिएंट्स BA.4 और BA.5 के कई मामले मिले हैं। BA.5 की मौजूदगी 47 देशों में है जबकि BA.2 42 देशों में सामने आया है। राहत की बात यह है कि भारत में अभी तक नए सबवेरिएंट्स के जितने मामले मिले हैं, सब मरीज रिकवर हो चुके हैं। फिर भी हेल्‍थ एक्‍सपर्टस ने सचेत करते हुए कहा कि ओमीक्रोन से संक्रमित हो चुके लोगों को नए वेरिएंट्स से ज्‍यादा खतरा है। एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, सबवेरिएंट्स की वजह से मामलों में बहुत बड़ा उछाल देखने को नहीं मिलेगा। अगर बड़े पैमाने पर स्‍क्रीनिंग हुई केसेज में स्‍पाइक देखने को मिल सकता है।

नए वेरिएंट्स पर राज्‍य

महाराष्‍ट्र: मुंबई में अधिकारियों ने सोमवार को ओमीक्रोन के BA.4 और BA.5 सबवेरिएंट्स की पुष्टि की। सूत्रों के अनुसार, पुणे व कुछ अन्‍य जिलों में BA.2.12.1 के केस भी मिले हैं। महाराष्‍ट्र में अब इन वेरिएंट्स के 15 मामले हो चुके हैं। मुंबई के अलावा पुणे और ठाणे में भी कोविड के मामले तेजी से बढ़े हैं। मुंबई का वीकली पॉजिटिविटी रेट 15% से ज्‍यादा है।

तमिलनाडु में 19 साल का एक युवक BA.4 वेरिएंट से संक्रमित मिला है।

नए वेरिएंट्स पर केंद्र ने क्‍या कहा?

केंद्र सरकार ने राज्‍यों से कहा है कि BA.2.12.1 (BA.2 का सबवेरिएंट, दोनों ओमीक्रोन से निकले), BA.4 और BA.5 के मामले दुनियाभर में बढ़ रहे हैं। देश में भी इनके केस मिले हैं। केंद्र ने नोट में कहा कि ‘BA.2.12.1 नॉर्थ अमेरिका में उछाल की वजह है। महाराष्‍ट्र और तमिलनाडु में भी कुछ मामलों की पहचान हुई है।

क्‍या भारत में कोविड की चौथी लहर आ रही है?

क्या कुछ महीनों की राहत के बाद भारत कोविड की चौथी लहर की तरफ बढ़ रहा है? आईआईटी कानपुर के प्रफेसर राजेश रंजन भरोसा दिलाते हैं कि ऐसा नहीं होने वाला। अब घबराने की जरूरत नहीं है। एस-आई-आर मॉडल के ज़रिए कोविड की पिछली तीन लहरों में सटीक आकलन कर चुके प्रफेसर रंजन ने कहा, ‘आपको याद होगा कि कुछ महीने पहले अचानक दिल्ली में केस बढ़ने लगे थे। यह इजाफा लोकल ही था। महाराष्ट्र और केरल में कुल मिलाकर रोज़ाना 8-9 हजार केस आ रहे हैं। यह राज्यवार एक छोटी लहर जैसा मामला है। संभव है कि महीने के अंत तक प्रतिदिन 30 से 50 हजार केस आ जाएं, लेकिन नैशनल लेवल पर एक साथ केस बढ़ना या पीक आने जैसा कुछ नहीं होगा।’

अपनी बात समझाते हुए प्रफेसर रंजन कहते हैं, ‘अगले एक साल तक ऐसा हो सकता है कि कभी एक राज्य तो कभी दूसरे राज्य में केस बढ़ें। इस बार महाराष्ट्र है, तो अगली बार पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश हो सकता है, लेकिन एक बात से बेफिक्र रहें कि दूसरी लहर में हुई त्रासदी जैसा कुछ हो सकता है। इन्फेक्शन हल्का होगा। महाराष्ट्र और केरल में नए केसों में तेजी की वजह वहां आबादी का घनत्व है। उत्तर प्रदेश और बिहार में केस बढ़े तो पीक छोटा ही होगा।’

ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए प्रफेसर रंजन ने बताया, ‘वहां भी सारी पाबंदियां हटा लेने के बाद केस कुछ बढ़े थे, लेकिन अब स्थितियां ठीक हैं। पहली तीन लहरों में नियमों का पालन करने वाले लोग साधारण जीवन में लौट आए हैं। वे अब मास्क नहीं लगाते। पार्टियां और समारोह में भी होने लगे हैं। ऐसे में लोकल स्तर पर साधारण सर्दी-ज़ुकाम जैसे लक्षणों वाले केस बढ़ सकते हैं। जो तीनों लहरों में कोविड संक्रमण से बचे रहे, वे इसका शिकार हो सकते हैं।’

 

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