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संसदीय व्यवस्था में वित्तीय समितियों की भूमिका अहम : रमन सिंह

० विधान सभा की वर्ष 2024-25 के लिए गठित लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति तथा स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति की संयुक्त बैठक संपन्न
रायपुर। छत्तीसगढ़  विधानसभा की वर्ष 2024-25 के लिए गठित वित्तीय समितियों लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति तथा स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति की संयुक्त बैठक आज विधान सभा परिसर स्थित समिति कक्ष कमांक-1 में संपन्न हुई । संयुक्त समितियों की आज संपन्न प्रथम बैठक में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे । बैठक में लोक लेखा समिति के सभापति डॉ. चरणदास महंत, प्राक्कलन समिति के सभापति अजय चन्द्राकर, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति अमर अग्रवाल, स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति के सभापति धरम लाल कौशिक एवं समितियों के सदस्यगण, विधान सभा के सचिव  दिनेश शर्मा, प्रधान महालेखाकार, छत्तीसगढ़,यशवंत कुमार, वित्त विभाग की सचिव श्रीमती शारदा वर्मा एवं संचालक, राज्य संपरीक्षा, सुश्री पुष्पा साहू उपस्थित थे ।
समिति की प्रथम बैठक को सम्बोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि- इस वर्ष वित्तीय समितियों में दो पूर्व विधान सभा अध्यक्ष एवं शेष दो समितियों में से अतिवरिष्ठ मान. सदस्य सभापति के रूप में नामित हैं । इन वरिष्ठ सदस्यों के अनुभवों एवं संसदीय ज्ञान का लाभ हम सब को मिलेगा । संसदीय शासन प्रणाली में समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है । संसद एवं विधान मंडल के बहुत से कार्य लघु सदन के रूप में समितियों के माध्यम से किये जाते हैं। विधान सभा में 21 समितियां है, इनमें लोक लेखा समिति एवं प्राक्कलन समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति एवं स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति सदन की वित्तीय समितियां हैं।  वित्तीय कामकाज की संपूर्ण समीक्षा, नियंत्रण एवं यथा आवश्यक सुझाव, अनुशंसा संबंधी कार्य इन समितियों के द्वारा किया जाता है । लोकलेखा समिति विधान सभा की महत्वपूर्ण वित्तीय समिति है । इस समिति का महत्वपूर्ण कार्य शासन पर वित्तीय नियंत्रण रखना होता है । लोकलेखा समिति का मुख्य कार्य यह देखना होता है कि विधान सभा द्वारा जो बजट पारित किया गया है, उसका खर्च उन्हीं योजनाओं एवं कार्यो में सही तरीके से किया गया है या नहीं । समिति यह भी देखती है कि निरर्थक व्यय या वित्तीय अनियमितता तो नहीं की गई है ।
संविधान में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का प्रावधान किया गया है, जो संघ-राज्य क्षेत्र में शासन द्वारा किये जाने वाले व्यय में होने वाली खामियों के संबंध में अपना प्रतिवेदन सभा पटल पर प्रस्तुत करते हैं । प्राक्कलन समिति विभागों के प्राक्कलनों पर विचार करती है और विभागीय नीति के अनुरूप खर्च पर नियंत्रण करने तथा बचत के सुझाव देती है । सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति विधान सभा की महत्वपूर्ण वित्तीय समिति है । सरकारी उपक्रमों सबंधी समिति के माध्यम से विधायिका राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों के कार्यकलापों पर निगरानी रखती है । स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति छत्तीसगढ़ विधान सभा की चतुर्थ वित्तीय समिति है । स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के द्वारा जो कार्य संपादित किये जाते है ।
इस अवसर पर लोक लेखा समिति के सभापति डॉ.चरणदास महंत ने कहा कि- संसदीय समिति में वित्तीय समितियों की अहम भूमिका होती है । समितियॉ सभा का लघु स्वरूप होती हैं एवं यह समितियॉ अपने कार्यो के माध्यम से ससदीय प्रजातंत्र के मूल तत्व कार्यपालिका की विधायिका के प्रति जबाबदेही को सुनिश्चित करेगी ।
प्राक्कलन समिति के सभापति  अजय चन्द्राकर ने कहा कि, विभागों की कार्य पद्धतियों का परीक्षण कर विभागों की कार्य प्रणाली में किस प्रकार से सुधार किया जा सकता है । इस विषय पर समिति अपना ध्यान केन्द्रित करेगी ।
सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति  अमर अग्रवाल ने कहा कि, यह समिति प्रमुखतः सरकारी उपक्रमों के लेखे एवं प्रतिवेदनों, भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक तथा सरकारी उपक्रमों की स्वायत्तता और कुशलता की जॉच करती है।
स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज लेखा समिति के सभापति  धरमलाल कौशिक ने कहा कि- प्रदेश के स्थानीय निकाय एवं पंचायतों के वित्तीय कामकाज की संपूर्ण समीक्षा, नियंत्रण एवं यथा आवश्यक सुझाव, अनुशंसा संबंधी कार्य इस समिति के द्वारा किया जाता है ।
इस अवसर पर सभी वित्तीय समितियों के सभापतियों ने विधान सभा अध्यक्ष को डॉ़ रमन सिंह को आश्वस्त किया कि समितियों की अधिक से अधिक बैठकें कर कंडिकाओं का शीघ्र निराकरण कर सदन में अधिक से अधिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किये जायेंगे ।
इस अवसर पर मान. सदस्य सर्वश्री धर्मजीत सिंह, कुंवर सिंह निषाद, अनुज शर्मा, नीलकंठ नेताम, प्रधान महालेखाकार, छत्तीसगढ़,  यशवंत कुमार एवं सचिव, वित्त विभाग, श्रीमती शारदा वर्मा एवं संचालक, राज्य संपरीक्षा सुश्री पुष्पा साहू ने भी अपने विचार व्यक्त किये । अंत में  राजेश मूणत ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया ।
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